Loksabha Election 2024: कौशांबी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का था गढ़, अब बीजेपी कर रही हैट्रिक लगाने की तैयारी, जानें समीकरण

Kaushambi Loksabha Seat Details: सुरक्षित कौशांबी लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत की हैट-ट्रिक लगाने के लिए विनोद सोनकर पर तीसरी बार दांव लगाया है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-05-06 11:32 GMT

Kaushambi Loksabha Seat Details

Lok Sabha Election 2024: प्रयागराज से 55 किमी दूरी पर स्थित कौशांबी जिले का गौरवशाली इतिहास रहा है। कौशांबी जिले को महात्मा बुद्ध की धरती रूप में दुनियाभर में जाना जाता है। यह क्षेत्र रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की वजह से भी काफी चर्चा में रहता है। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कौशांबी लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने जीत की हैट-ट्रिक लगाने के लिए विनोद सोनकर पर तीसरी बार दांव लगाया है। जबकि सपा ने पुष्पेंद्र सरोज को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने शुभम नारायण गौतम को उम्मीदवार बनाया है। सभी उम्मीदवारों की नजर यहां के अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर है।

अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के विनोद कुमार सोनकर ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 38,722 वोट से हराकर दुबारा जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में विनोद कुमार सोनकर को 3,83,009 और इंद्रजीत सरोज को 3,44,287 वोट मिले थे। जबकि जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के शैलेन्द्र कुमार को 1,56,406 और कांग्रेस के गिरीश चंद्र पासी को महज 16,442 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान विनोद कुमार सोनकर ने सपा के शैलेन्द्र कुमार पासी को 42,900 वोट से हराकर इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में विनोद कुमार सोनकर को 3,31,724 और शैलेन्द्र कुमार पासी को 2,88,824 वोट मिले थे। जबकि बसपा के सुरेश पासी को 2,01,322 और कांग्रेस के महेंद्र कुमार को 31,905 वोट मिले थे।


कौशांबी विधानसभा चुनाव 2022




Kaushambi Loksabha Chunav 2014


 यहां जानें बसपा उम्मीदवार के बारे में 


बसपा उम्मीदवार शुभम नारायण गौतम रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं। प्रयागराज के गोविंदपुर निवासी शुभम नारायण गौतम, ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के छात्र संघ अध्यक्ष व इलाहाबाद युनिवर्सिटी के 1978-89 में कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा शुभनारायण लंबे समय तक वामसेफ की सेंट्रल कमेटी के सदस्य रहे हैं। मूलरूप से देवरिया के रहने वाले शुभम नारायण गौतम ने एमए तक की पढ़ाई की है। शुभम नारायण की पत्नी भी पूर्व में बीडीसी रह चुकी है। वह सीओ के पद से रिटायर हुए हैं।

यहां जानें सपा उम्मीदवार के बारे में


सपा उम्मीदवार पुष्पेंद्र सरोज की उम्र महज 25 वर्ष है। उन्होंने क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से एकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट की पढ़ाई की है। पुष्पेंद्र सरोज सपा के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं। वे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए चुनाव मैदान में उतर गए हैं।

यहां जानें कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Kaushambi Loksabha Seat Details Hindi)

  • कौशांबी लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 50 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 2009 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन कौशांबी जिले के सिराथू, मंझनपुर व चैल और प्रतापगढ़ जिले के बाबागंज, कुंडा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • कौशांबी लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर भाजपा और 2 पर जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) का कब्जा है।
  • यहां कुल 17,87,120 मतदाता हैं। जिनमें से 8,26,078 पुरुष और 9,60,774 महिला मतदाता हैं।
  • कौशांबी लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 9,75,037 यानी 54.56 प्रतिशत मतदान हुआ था।

कौशांबी लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Kaushambi Political History)

कौशांबी जिला को 4 अप्रैल 1997 प्रयागराज जिले से काटकर बनाया गया था। कौशांबी जिला उत्तर में प्रतापगढ़, पश्चिम में फतेहपुर, दक्षिण में चित्रकूट और पूर्व में प्रयागराज जिले से घिरा हुआ है। जबकि प्राचीन काल में कौशांबी शहर की अपनी अलग पहचान हुआ करती थी। तब यह छेदी-वत्स जनपद की राजधानी थी। महाभारत और रामायण के दौर में भी इस शहर का जिक्र मिलता है। माना जाता है कि शहर की नींव रखने का श्रेय चेदि राजा उपारिका वसु के तीसरे पुत्र कुसंबा को मिलता है तो दूसरे में कुसा के पुत्र कुसंबा को इस शहर का निर्माता बताया गया है। वहीं परमत्थाज्योतिका का कहता है कि कौशांबी का नाम ऋषि कोसम्बा के नाम पर पड़ा। महात्मा बुद्ध के समय कौशांबी भारत के छह सबसे महत्वपूर्ण और समृद्धशाली शहरों में से एक था।

फूलपुर से अलग होकर बना चायल लोकसभा क्षेत्र

कौशांबी पहले फूलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा था। यहां से 1952 और 1957 में कांग्रेस से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और मसुरियादीन लोकसभा पहुंचे थे। परिसीमन के बाद 1962 में यह सीट चायल लोकसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया तब मसुरियादीन दुबारा सांसद बने। उन्होंने 1967 के चुनाव में भी जीत दर्ज की। फिर 1971 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के छोटे लाल सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर राम निहोर राकेश सांसद बने। 1980 के चुनाव राम निहोर राकेश ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। फिर 1984 में कांग्रेस के बिहारी लाल शैलेश सांसद बने। 1989 में राम निहोर राकेश दुबारा कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने।

भाजपा ने 1996 में खिलाया था कमल

90 के दशक में देश में चल रहे रामलहर के दौरान 1991 में चुनाव में जनता दल के टिकट पर शशि प्रकाश सांसद बने। फिर 1996 में अमृत ​​लाल भारती ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया। लेकिन 1998 के चुनाव में सपा ने यह सीट भाजपा से छिन ली और शैलेन्द्र कुमार बने। 1999 के चुनाव में बसपा के सुरेश पासी सांसद बने। फिर 2004 में सपा ने वापसी की और शैलेन्द्र कुमार सांसद बने। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद कौशांबी की तीन विधानसभा और प्रतापगढ की दो विधानसभा (कुडा व बाबागंज) को जोडकर बनाई गई कौशांबी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई तो 2009 के चुनाव एक बार फिर सपा के शैलेन्द्र कुमार ने जीत दर्ज की। कौशांबी लोकसभा सीट में अब तक कोई महिला उम्मीदवार ने जीत नहीं दर्ज की है।

कौशांबी लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

कौशांबी लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पासी, चमार, धोबी और सोनकर बिरादरी की संख्या अधिक है। जिसमें मंझनपुर और चायल विधानसभा पासी बिरादरी की बहुलता है, जबकि सिराथू में सोनकर और दलित बिरादरी के लोग ज्यादा संख्या में हैं। जिले में पिछडी जातियों में पटेल, मौर्य, यादव, लोधी और पाल की बहुलता है। विधानसभा वार देखा जाए तो सिराथू में पटेल, मौर्य और पाल वहीं मंझनपुर में पटेल, लोधी, पाल, वहीं चायल में कुर्मी और पाल विरादरी का गठजोड चुनावी परिणाम को प्रभावित करता है। सामान्य जातियों में तीनों विधानसभा में ब्राहमणों की बडी संख्या है। विशेषकर सरसवां, कौशांबी और नेवादा ब्लाक में। ब्राहमण और अति पिछडों का गठजोड चुनावी परिणाम को कौशांबी की विधानसभा और लोकसभा सीटों को सदैव से प्रभावित करता रहा है।

कौशांबी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Kaushambi MP Details)

  • कांग्रेस से मसुरिया दिन 1952,1957, 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय जनसंघ से छोटे लाल 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से राम निहोर राकेश 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से राम निहोर राकेश 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से बिहारी लाल शैलेश 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से राम निहोर राकेश 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से शशि प्रकाश 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से अमृत लाल भारतीय 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से शैलेन्द्र कुमार 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से सुरेश पासी 1999में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से शैलेन्द्र कुमार 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से विनोद कुमार सोनकर 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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