UP Lok Sabha Election: राहुल गांधी ने क्यों छोड़ दिया अमेठी का रण क्षेत्र, स्मृति ईरानी से भिड़ना केएल शर्मा के लिए नहीं होगा आसान

UP Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस नेताओं की ओर से पहले अमेठी से राहुल और रायबरेली से प्रियंका गांधी के लड़ने की बात कही जा रही थी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-05-03 04:02 GMT

Rahul Gandhi Kishori lal Sharma (photo: social media )

UP Lok Sabha Election 2024: अमेठी और रायबरेली सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर पिछले कई दिनों से जारी सस्पेंस नामांकन के आखिरी दिन खत्म हो सका। कांग्रेस की ओर से आज राहुल गांधी को रायबरेली और गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी सीट से चुनाव मैदान में उतारने का ऐलान किया गया है। गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इन दोनों सीटों पर राहुल और प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी की अटकलें लंबे समय से लगाई जाती रही हैं मगर प्रियंका गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली है।

कांग्रेस नेताओं की ओर से पहले अमेठी से राहुल और रायबरेली से प्रियंका गांधी के लड़ने की बात कही जा रही थी मगर अमेठी से लगातार तीन बार चुनाव जीतने वाले राहुल गांधी ने इस बार अपनी पुरानी सीट से दूरी बना ली है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले के पीछे बड़ा कारण माना जा रहा है। दूसरी ओर अमेठी में उम्मीदवार बनाए गए केएल शर्मा के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भिड़ना आसान साबित नहीं होगा।

राहुल को इस कारण हो सकती थी मुश्किल

अमेठी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने अपनी पहली सूची में ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के नाम का ऐलान कर दिया था। स्मृति ईरानी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार राहुल गांधी को चुनौती दी थी मगर उस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इसके बाद भी वा लगातार अमेठी में सक्रिय बनी रहीं और 2019 में उन्होंने अपनी हार का बदला ले लिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राहुल गांधी को करीब 55,000 मतों से हराकर सियासी हल्कों में सनसनी फैला दी थी।

भाजपा की ओर से करीब दो महीने पूर्व उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही स्मृति ईरानी क्षेत्र में लगातार सक्रिय बनी हुई हैं। दूसरी और राहुल गांधी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अभी तक अमेठी एक बार भी नहीं पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि ऐसी स्थिति में राहुल गांधी को इस बार भी अमेठी के रण क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था। इस कारण कांग्रेस ने उन्हें अमेठी के रण क्षेत्र से दूर रखने का फैसला किया।


अमेठी में राहुल को नहीं बांधना चाहती थी कांग्रेस

मौजूदा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं और उनके कंधों पर देशभर में कांग्रेस प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में उन्हें स्मृति ईरानी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कई दिनों तक अमेठी में डेरा डालना पड़ता। ऐसी स्थिति में दूसरे लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का चुनाव प्रचार प्रभावित होने की आशंका थी।

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया और पार्टी का शीर्ष नेतृत्व यह नहीं चाहता था कि राहुल अमेठी सीट पर नामांकन करके वहां बंध जाए। इससे पार्टी के चुनाव प्रचार पर बुरा असर पड़ता और इसलिए उन्हें गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली दूसरी सीट रायबरेली से उतारने का फैसला किया गया।


लंबे समय से गांधी परिवार के वफादार हैं शर्मा

अमेठी लोकसभा क्षेत्र में अब कांग्रेस की ओर से लंबे समय तक गांधी परिवार के वफादार रहे के एल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा गया है। मूल रूप से पंजाब में लुधियाना के रहने वाले किशोरी लाल 1983 में पहली बार राजीव गांधी के साथ अमेठी और रायबरेली के दौरे पर पहुंचे थे। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद भी उनका गांधी परिवार से पारिवारिक रिश्ता बना रहा। बाद में शीला कौल और सतीश शर्मा के राजनीतिक कामों को देखने के लिए भी उनका अमेठी आना-जाना बना रहा।

1999 में सोनिया गांधी के अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ने पर अमेठी के चुनाव क्षेत्र में केएल शर्मा की सक्रियता काफी बढ़ गई। 2004 में सोनिया ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया जबकि अमेठी में राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा। इसके बाद किशोरी लाल शर्मा अमेठी और रायबरेली दोनों लोकसभा क्षेत्रों में गांधी परिवार के प्रतिनिधि के रूप में काम करने लगे। अब कांग्रेस ने उन्हें अमेठी के रणक्षेत्र में स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतार दिया है।


शर्मा के लिए आसान नहीं होगी अमेठी की जंग

अमेठी के रणक्षेत्र में केएल शर्मा के लिए स्मृति ईरानी के खिलाफ जंग लड़ना आसान साबित नहीं होगा। भाजपा गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर अपना कब्जा किसी भी सूरत में नहीं खोना चाहती। यही कारण है कि स्मृति ईरानी ने पिछले दो महीने से इस लोकसभा क्षेत्र में डेरा डाल रखा है।

अमेठी सीट का जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा की ओर से सधी चालें चली जा रही हैं। अमेठी में यादव वोट बैंक का समीकरण साधने के लिए भाजपा हाईकमान की ओर से स्मृति ईरानी के नामांकन में विशेष रूप से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को भेजा गया था।


गांधी परिवार पर तेज होंगे भाजपा के हमले

अमेठी के चुनाव मैदान में उतरने के बाद से ही स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद स्मृति ईरानी और हमलावर हो जाएंगी। स्मृति ईरानी और अमित शाह सरीखे बड़े नेताओं की ओर से पहले ही राहुल गांधी पर अमेठी से भागने का आरोप लगाया जाता रहा है।

2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को बड़ी शिकस्त दी थी और ऐसे में उनके खिलाफ मजबूती से चुनाव लड़ना केएल शर्मा के लिए भी आसान साबित नहीं होगा। माना जा रहा है कि भाजपा आने वाले दिनों में अपने हमले और तेज करेगी और स्मृति ईरानी इसे सियासी रूप से भुनाने की कोशिश करेगी।

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