Loksabha 2024: कुशीनगर सीट पर किसका पलड़ा है भारी? स्वामी प्रसाद का जानें चुनावी खेल
Loksabha Election 2024 Kushinagar Seats Details: भाजपा ने विजय कुमार दुबे को दुबारा उम्मीदवार के रूप में उतारा है। जबकि इंडिया गठबंधन और बसपा ने अपना पत्ता नहीं खोला है। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
Loksabha Election 2024: भगवाना बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के रूप में विश्व में अलग पहचान रखने वाले कुशीनगर जिले का लोकसभा क्षेत्र पडरौना होता था। लेकिन, 2008 में इस लोकसभा क्षेत्र का नाम बदलकर कुशीनगर कर दिया गया। इस सीट पर भाजपा ने विजय कुमार दुबे को दुबारा उम्मीदवार के रूप में उतारा है। जबकि इंडिया गठबंधन और बसपा ने अपना पत्ता नहीं खोला है। लेकिन सपा को छोड़कर अपनी नई पार्टी का गठन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वे राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इंडिया गठबंधन का रुख देखने के बाद अन्य सीटों पर भी वह उम्मीदवार उतारेंगे।
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो उनका समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती दिख रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के सहयोग से भी स्वामी प्रसाद मौर्य चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के विजय कुमार दुबे ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे नथुनी प्रसाद कुशवाहा को 3,37,560 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। विजय कुमार दुबे को 5,97,039 और नथुनी प्रसाद कुशवाहा को 2,59,479 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह उर्फ आरपीएन सिंह को 1,46,151 वोट मिले थे। इस चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि 8,297 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 65 है। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन कुशीनगर जिले के खड्डा, पडरौना, हाटा, रामकोला और कुशीनगर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 17,61,564 मतदाता हैं। जिनमें से 8,07,695 पुरुष और 9,53,729 महिला मतदाता हैं। बता दें कि कुशीनगर लोकसभा चुनाव 2019 में कुल 10,53,117 यानी 59.78 प्रतिशत मतदान हुआ था।
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
कुशीनगर जिले के बारे में एक मान्यता है कि यह क्षेत्र भगवान राम के बेटे कुश की राजधानी थी। कुशीनगर पहले देवरिया जिले का हिस्सा था। 1994 में यह नए जिले के रूप में अस्तित्व में आया। अन्तर्राष्ट्रीय महत्व रखने वाला कुशीनगर लोकसभा में बीजेपी का दबदबा है । लेकिन कांग्रेस भी यहां कभी बहुत मजबूत रही है। कांग्रेस के टिकट से काशी नाथ पांडेय 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा सांसद चुने गए। इसके बाद 1971 में हुए चुनाव में गेंदा सिंह सांसद चुने गए। कुशीनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने जीत का स्वाद पहली बार 1991 में चखा था। भाजपा उम्मीदवार रामनगीना मिश्र ने रामलहर में जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने इस सीट से 1996, 1998, 1999 के लोकसभा चुनाव में जीत का सिलसिला जारी रखा। उन्होंन लगातार चार जीत दर्ज करने का रिकार्ड भी बना दिया, जो अब तक टूट नहीं सका है।
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यह क्षेत्र ब्राह्मण, यादव, मुस्लिम और कुशवाहा बहुल माना जाता है। यहां अनुसूचित जाति के 15 प्रतिशत, मुस्लिम 14 प्रतिशत, कुशवाहा (कुर्मी) 13 प्रतिशत, ब्राह्मण 11 प्रतिशत, सैंथवार 12 प्रतिशत, वैश्य 10 प्रतिशत और यादव 8 प्रतिशत मतदाता हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य का कुशीनगर के कुशवाहा बिरादरी में मजबूत पकड़
स्वामी प्रसाद मौर्य का कुशीनगर की सियासत से गहरा नाता रहा है। वह कुशीनगर लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर भी 2009 में चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि, तब जीत नहीं मिल सकी थी। लेकिन उस चुनाव ने कुशीनगर में उनकी राजनीतिक जड़ें जरूर मजबूत कर दी। लगभग डेढ़ दशक तक कुशीनगर की राजनीति में सक्रिय रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की कुशवाहा बिरादरी पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसी मजबूत बैठ की बदौलत वह पडरौना विधानसभा सीट पर लगातार तीन बार यानी कि वर्ष 2009 और 2012 में बसपा से ही विधायक चुने गए। लेकिन 2017 में उन्होंने बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामा और पडरौना से जीत की हैट्रिक लगाई। इसके बाद एक बार फिर पाला बदला और साइकिल की सवारी कर ली। 2022 में सपा से फाजिलनगर विधानसभा से चुनाव लड़े और इस बार हार का सामना करना पड़ा। अब उनके कुशीनगर के चुनावी सफर और उनके जीत हार के गुणा गणित पर नजर डालें तो उनका मैदान में आना निश्चित रूप से राजनीतिक समीकरण बदलेगा और चुनाव भी दिलचस्प मोड़ लेगा।
विजय कुमार दुबे ने भाजपा छोड़ा फिर की वापसी
विजय कुमार दुबे को भाजपा ने कुशीनगर लोकसभा सीट से 2009 के चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। इस चुनाव में विजय कुमार दुबे हार गए थे। इसी के बाद 2010 में वो भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और 2012 में खड्डा विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। लेकिन, विजय कुमार दुबे 2016 में वापस भाजपा में आ गए। 2019 में पार्टी ने भरोसा कर उन्हें कुशीनगर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया और वे सांसद बने। विजय कुमार दुबे का राजीनीतिक इतिहास कोई बहुत बड़ा नहीं रहा है लेकिन वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं।
कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह को भाजपा ने भेजा राज्यसभा
यूपीए -2 की सरकार में सड़क ट्रांसपोर्ट एवं कॉर्पोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री और पेट्रोलियम व गृह राज्यमंत्री रहे रतनजीत प्रताप नारायण सिंह उर्फ आरपीएन सिंह अब भाजपा के साथ हैं। उनको भाजपा ने अपने खाते से हाल ही राज्यसभा भेजा है। बता दें कि 2009 में सांसद चुने जाने के पहले आरपीएन सिंह कुशीनगर जिले के पडरौना विधानसभा सीट से 1996, 2002 और 2007 में तीन बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं। सांसद बनने के बाद पडरौना विधानसभा सीट उन्होंने छोड़ दी और वर्ष 2009 में हुए उपचुनाव में अपनी मां मोहिनी देवी को चुनाव मैदान में उतारा था। लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा के टिकट पर आरपीएन सिंह की मां को चुनाव हरा दिया। आरपीएन सिंह की कुशीनगर जिले की राजनीति में पकड़ तब कमजोर होती गई, जब वह 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव भी हार गए। बता दें कि आरपीएन सिंह जगदीशगढ़ स्टेट से ताल्लुक रखते हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता कुँवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह 1969-74 में कांग्रेस से पडरौना के विधायक बने। वर्ष 1980 में पडरौना से सांसद चुने गए और इंदिरा गांधी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री भी बने।
कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद
- सोशलिस्ट पार्टी से रामजी वर्मा 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से काशी नाथ पांडेय 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से गेंदा सिंह 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से रामधारी शास्त्री 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से कुँवर चन्द्र प्रताप नारायण सिंह 1980 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता दल से बालेश्वर यादव 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से रामनगीना मिश्र 1991, 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से बालेश्वर यादव 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से रतनजीत प्रताप नारायण सिंह उर्फ आरपीएन सिंह 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से राजेश पांडेय उर्फ गुड्डू 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से विजय कुमार दुबे 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।