Lok Sabha Election 2024: बीजेपी को हर क्षेत्र में चोट, इसलिए यूपी में कम हो गए वोट, हर प्रांच में 4 से 8 सीटों का हुआ नुकसान

Lok Sabha Election Result 2024:भाजपा के लिहाज से छह प्रांत में बंटे यूपी के हर क्षेत्र में 4 से लेकर 8 सीटों तक का उसे नुकसान उठाना पड़ा है।

Update:2024-06-08 10:43 IST

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Lok Sabha Election Result : 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को यूपी से तगड़ा झटका लगा है। इस बार पार्टी को 33 सीटें मिली हैं जब कि 2019 में 62 सीटें मिली थीं। इस तरह से देखा जाए तो उसे 29 सीटों का नुकसान हुआ है।यूपी के हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने का लक्ष्य लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरी भाजपा को इस बार हर क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है। भाजपा के लिहाज से छह प्रांत में बंटे यूपी के हर क्षेत्र में 4 से लेकर 8 सीटों तक का पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। वह भी यह तब हुआ है जब चुनावी जंग में कूदने से पहले पार्टी ने जातीय संतुलन साधने के नाम पर क्षेत्रीय और जिला संगठनों में व्यापक रूप से बदलाव किए थे। लेकिन, इस बार के चुनाव में न तो ये बदलाव ही काम आए और न ही क्षेत्रीय व जिलाध्यक्ष बनाए गए चेहरों की जाति का कोई असर दिखा।

सभी छह प्रांतों में घटी सीटें

2024 के लोकसभा चुनाव के रिजल्ट को देखें तो 2019 की तुलना में इस बार सभी छह प्रांतों में भाजपा की सीटें घट गई हैं। जीती हुई सीटों के लिहाज से पार्टी को सबसे अधिक 8 सीटों का नुकसान काशी प्रांत में हुआ है जबकि दूसरे नंबर पर संयुक्त रूप से अवध और कानपुर क्षेत्र रहे। इन दोनों क्षेत्रों में भाजपा को 6-6 सीटों का नुकसान हुआ है। जबकि भाजपा को गोरक्ष क्षेत्र में 4 और ब्रज क्षेत्र में 5 सीटें गंवानी पड़ी हैं। इस तरह से देखा जाए तो 2019 की तुलना में इस बार एनडीए को कुल 30 सीटों का नुकसान हुआ है।


2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम इसलिए भी सबको चौंका रहा है, क्योंकि इस बार पिछली बार से अधिक दिनों तक चुनावी तैयारियां हुईं। वहीं जनता से संपर्क को लेकर कई तरह के अभियान भी चलाए गए यहीं नहीं जमीनी स्तर पर काम करने वाली बूथ कमेटी, प्रमुख जैसे संगठन और कार्यकर्ताओं की पूरी फौज खड़ी करने के बहुत दावे भी किए गए। राज्य और केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण की तमाम योजनाओं को लागू कर एक बड़ा लाभार्थी वर्ग तैयार किया। क्षेत्र और जिला संगठनों में व्यापक बदलाव किए गए। उसके बाद भी यह हाल रहा पार्टी का यूपी में।


ऐसे में अब यहां यह सवाल उठता है कि आखिर जनता में किस बात को लेकर इतनी नाराजगी घर कर गई कि जो गैर यादव पिछड़ी और गैर जाटव दलित जातियां पिछले एक दशक से भाजपा के साथ खड़ी थीं, वे इस लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पाले में आ गईं। जिस भाजपा ने 2019 में इन जातियों की ही बदौलत 62 सीटों पर अपना भगवा परचम फहराया था, उसे इस बार विपक्ष ने इन जातियों के ही सहारे 33 सीटों पर लाकर पटक दिया। एनडीए के सहयोगी दलों को भी अगर मिला लिया जाए तो भी आंकड़ा 36 तक ही पहुंच रहा है।


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