Lok Sabah Election: उन्नाव लोकसभा क्षेत्र, विकास को तरसती चंद्रशेखर आज़ाद की भूमि

Lok Sabah Election: गंगा और सई नदी के बीच पड़ने वाले उन्नाव को पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और शहीदे आजम चंद्रशेखर आज़ाद हसरत मोहानी जैसे आजादी के दीवानों ने अलग पहचान दिलाई है

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-12 11:12 GMT

Unnao Lok Sabah Election (Photo: Social Media)

Lok Sabah Election: माना जाता है कि चौहान राजपूत गोदो सिंह ने 12वीं शताब्दी में जंगलों को साफ कराया और सवाई गोदो नाम से एक शहर की स्थापना की। कुछ ही समय बाद ही यह कन्नौज के शासकों के हाथों में चला गया तथा खंडे सिंह यहां के गवर्नर बनाए गए। लेकिन उन्हीं के एक सिपहसलार बिसेन राजपूत उनवंत सिंह ने उसकी हत्या कर दी और यहां एक किला बनवाया। इस शहर का नाम अपने नाम पर रखते हुए उन्नाव कर दिया।

गंगा और सई नदी के बीच पड़ने वाले उन्नाव को पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और शहीदे आजम चंद्रशेखर आज़ाद , हसरत मोहानी जैसे आजादी के दीवानों ने अलग पहचान दिलाई है।यह शहर साहित्य के मामले में भी अहम स्थान रखता है। महर्षि वाल्मिकी से लेकर गया प्रसाद शुक्ला, प्रताप नारायण मिश्र, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, नंद दुलारे बाजपेयी, सुमित्रा कुमारी सिन्हा, भगवती चरण वर्मा, प्रताप नारायण मिश्र और शिव मंगल सिंह सुमन जैसे महान साहित्यकारों की धरती रही है।


 यह शहर चमड़ा उद्योग, मच्छरदानी, जरदोजी और रासायनिक उद्योगों के लिए प्रसिद्ध है।

 नवाबगंज बर्ड सेंक्चुअरी, नवाबगंज लेक यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।

 उन्नाव संसदीय क्षेत्र देश की सबसे अधिक मतदाताओं वाली संसदीय सीटों में से एक है।

विधानसभा क्षेत्र

- उन्नाव लोकसभा सीट के तहत छह विधानसभा क्षेत्र - मोहान, उन्नाव, बांगरमऊ, सफीपुर, भगवंतनगर और पुरवा आते हैं। सफीपुर और मोहान सीट विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सभी छह सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

जातीय समीकरण

- उन्नाव लोकसभा क्षेत्र में लोधी समुदाय की अच्छी खासी संख्या है। इसके अलावा इस क्षेत्र में दलित भी निर्णायक भूमिका में हैं। यहाँ पर 30.5 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 11.7 फीसदी है।


राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- आजादी के बाद से 2019 तक 16 बार लोकसभा चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं। इनमें से 9 बार कांग्रेस चुनाव जीतने में सफल रही तो चार बार भाजपा को जीत मिली। सपा, बसपा और जनता पार्टी एक-एक बार जीतने में कामयाब रहीं।

- पिछले चुनावों की बात करें तो 1952 से 1971 तक यहाँ कांग्रेस का वर्चस्व रहा। 1952 और 1957 में यहाँ लीलाधर अस्थाना जीते। 1962, 1967 और 1971 में कृष्ण देव त्रिपाठी विजयी रहे।

- 1977 में जनता पार्टी की लहर में राघवेन्द्र सिंह जीते।

- 1980 और 1984 में कांग्रेस के जियाउररहमान अंसारी ने जीत दर्ज की।

- 1989 में जनता दल के अनवर अहमद विजयी रहे।

- 1991 से 1996 तक यहाँ भाजपा का परचम लहराया। जब देवी बक्श सिंह लगातर तीन बार जीते।

- 1999 में समाजवादी पार्टी के दीपक कुमार ने इस सीट पर कब्जा जमाया।

- 2004 में बसपा के टिकट पर ब्रजेश पाठक ने जीत दर्ज की।

- 2009 में कांग्रेस की अन्नू टंडन जीतीं।

- 2014 और 2019 में भाजपा के साक्षी महाराज ने यहाँ विजय दर्ज की

इस बार के उम्मीदवार

- उन्नाव में इस बार भाजपा ने फिर साक्षी महाराज को अपना उम्मीरदवार बनाया है। जबकि इंडिया अलायन्स के तहत सपा ने अन्नू टंडन को उतारा है बसपा ने आशोक पांडेय को टिकट दिया है।


स्थानीय मुद्दे

- स्थानीय मुद्दे यह जिला विकास की दृष्टि से पिछड़ा है। तमाम गांव सड़कों से नहीं जुट पाये हैं। यहां के मुद्दों में साफ पानी, और बेहतर स्वास्थ्य सेवा है। पानी में फ्लोराइड की समस्या दूर करने की मांग 20 सालों से हो रही है। हाईवे होने के बाद भी मुख्यालय में ट्रामा सेंटर नहीं बन पाया है। शुक्लागंज में अभी भी सीवर लाइन नहीं है।


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