Lok Sabha Election: बिहार में हो सकता है बड़ा सियासी खेल, चिराग और उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी NDA को पड़ सकती है भारी

Lok Sabha Election 2024: बेतिया की चुनावी रैली में उन्होंने विपक्षी महागठबंधन पर तीखा हमला बोला मगर दूसरी ओर एनडीए का कुनबा ही एकजुट नजर नहीं आ रहा है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-03-07 03:01 GMT

Upendra Kushwaha and Chirag Paswan (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में अब नाराजगी की बात खुलकर सामने आने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) चार दिनों के भीतर बुधवार को जब फिर बिहार के दौरे पर पहुंचे तो उनकी सभा से लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान (Chirag Paswan)  और रालोजपा के नेता उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha ) गायब रहे। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को बेतिया में 21,800 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। पीएम मोदी की इस रैली में भाजपा, जदयू और हम के नेता जरूर मौजूद थे मगर चिराग और उपेंद्र कुशवाहा की नामौजूदगी को लेकर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं।

बेतिया की चुनावी रैली में उन्होंने विपक्षी महागठबंधन पर तीखा हमला बोला मगर दूसरी ओर एनडीए का कुनबा ही एकजुट नजर नहीं आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने चार दिनों पहले औरंगाबाद और बेगूसराय में भी चुनावी रैली की थी और इन दोनों रैलियों में भी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा मौजूद नहीं थे।

पीएम मोदी की सभाओं से लगातार दूरी

बिहार के सियासी हल्कों में एनडीए के भीतर खटपट होने की अटकलें अब काफी तेज हो गई हैं। बिहार एनडीए में अभी तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय नहीं किया जा सका है। सीट शेयरिंग को लेकर चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा दोनों नाराज बताए जा रहे हैं। इन दोनों नेताओं की नाराजगी भाजपा के साथ ही जदयू से भी है।

चिराग पासवान के मुख्यमंत्री और जदयू के मुखिया नीतीश कुमार से पहले ही छत्तीस के आंकड़े हैं जबकि उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार से नाराजगी के बाद जदयू से इस्तीफा दिया था।

कुशवाहा की पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्हें बुधवार को पीएम मोदी की बेतिया रैली का निमंत्रण ही नहीं मिला था। उनका तर्क था कि बेतिया का कार्यक्रम सरकारी था और चूंकि कुशवाहा किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं,इसलिए उन्हें निमंत्रण नहीं भेजा गया था।

एनडीए में खींचतान चरम पर

मजे की बात यह है कि सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहने वाले उपेंद्र कुशवाहा ने बुधवार को अपनी किसी पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी का बिहार में स्वागत तक नहीं किया। चिराग पासवान की भी यही स्थिति रही और वे प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए नहीं दिखे।

चिराग पासवान खुद को प्रधानमंत्री मोदी का हनुमान बताते रहे हैं मगर उन्होंने भी प्रधानमंत्री के स्वागत में कोई पोस्ट नहीं डाली। इससे पता चलता है कि एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है और टकराव काफी चरम पर पहुंच गया है। हालांकि दोनों नेताओं ने ऐसा कोई बयान अभी तक नहीं दिया है जिससे उनकी नाराजगी का खुलासा हो सके।

पीएम के पिछले दौरे से भी बनाई थी दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो मार्च को भी बिहार पहुंचे थे और इस दौरान उन्होंने औरंगाबाद और बेगूसराय में बड़ी चुनावी रैलियों को संबोधित किया था। इन दोनों कार्यक्रमों में भी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा नजर नहीं आए थे। जानकारों का कहना है कि कुशवाहा को पीएम मोदी की बेगूसराय रैली का आमंत्रण भेजा गया था मगर इसके बावजूद उन्होंने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।

पूर्व मुख्यमंत्री और हम के मुखिया जीतनराम मांझी ने बेगूसराय की रैली में पीएम मोदी के साथ मंच साझा किया था जबकि बुधवार को पीएम मोदी की रैली के दौरान उनके बेटे और राज्य के मंत्री संतोष कुमार मंच पर दिखे। भाजपा,जदयू और हम के नेताओं ने भी बेतिया के कार्यक्रम में हिस्सा लिया मगर एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दलों की नामौजूदगी को लेकर सियासी हल्कों में खूब चर्चा हो रही है।

सीट शेयरिंग और नीतीश से नाराजगी

जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं की नाराजगी का कारण बिहार में अभी तक सीट बंटवारे को फाइनल न किए जाने को लेकर है चिराग पासवान 2019 की तरह छह सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं जबकि उनकी पार्टी टूट चुकी है। इसके साथ ही वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का खुलकर विरोध करते रहे हैं। एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी को लेकर भी वे नाखुश बताए जा रहे हैं।

दूसरी ओर उपेंद्र कुशवाहा काराकाट समेत कुछ अन्य सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। जानकारों का करना है कि भाजपा चिराग और कुशवाहा को इतनी ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। यही कारण है कि दोनों नेताओं ने पीएम मोदी की सभाओं से दूरी बना बनाए रखी जिसे लेकर अब सवाल उठाए जा रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में यह टकराव और बढ़ सकता है। अगर इन दोनों नेताओं ने एनडीए को गच्चा दिया तो निश्चित रूप से एनडीए के लिए लोकसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन का मुकाबला करना आसान साबित नहीं होगा।

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