Moradabad Lok Sabha: BSP की अलग-थलग राह, सीट के लिए पसीना बहा रही सपा, BJP उठा रही फायदा

Lok Sabha Election 2024 : मुरादाबाद सीट के लिए सपा के पहले से ही पसीने छूट रहे हैं बार-बार प्रत्याशी बदलने से सपा का सम्मान भी अब इस सीट से जुड़ गया है।

Newstrack :  Network
Update: 2024-04-07 08:41 GMT

Moradabad Seat ( Photo: Social media

Lok Sabah election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट पर अपनी हुकूमत बजाना आसान नही है। यूपी में मुरादाबाद सीट का इतिहास सबसे अलग रहा है। इस बार मुरादाबाद सीट के लिए तीन पार्टियां आमने-सामने हैं। भाजपा यूपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी की गृह सीट होने की वजह से भाजपा पार्टी के लिए यह सीट जीतना साख बचाने के लिए आवश्यक हो गया है। यूपी में बसपा की अलग-थलग राह से मुरादाबाद सीट के लिए सपा के पहले से ही पसीने छूट रहे हैं। बार-बार प्रत्याशी बदलने से सपा का सम्मान भी अब इस सीट से जुड़ गया है।

मुरादाबाद सीट पर भाजपा ने कसी कमर

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की मुरादाबद सीट चुनावी पार्टियों की साख बनी हुई है। साल 2014 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा कर लिया था। मगर साल 2019 में मुरादाबाद सीट पर सपा और बसपा गठबंधन ने जीत हासिल की थी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह की गृह सीट होने की वजह से मुरादाबाद सीट पर जीत अब उनकी प्रतिष्ठा की बात हैं। इस सीट पर भाजपा ने सर्वेश सिंह को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा प्रत्याशी सर्वेश सिंह साल 2009 से लगातार इसी सीट पर चुनाव लड़ रहें हैं। उन्होंने ही साल 2014 में भाजपा को इस सीट पर जीत दिलाई थी। अब इस बार भूपेंद्र सिंह चौहान और सर्वेश सिंह की जुगलबंदी इस सीट पर भाजपा की जीत का इतिहास दोहराने को तैयार हैं।


सम्मान बचाने को पसीना बहा रही सपा

साल 2019 में मुरादाबाद सीट पर सपा-बसपा गठबंधन की जीत हुई थी। मगर इस बार लोकसभा चुनाव में बसपा पार्टी ने सपा से दूरी बना ली है और अकेले ही चुनाव लड़ रही है। इस कारण सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मुरादाबाद सीट को लेकर कन्फ्यूजन की स्थित में हैं। सपा ने इस सीट के लिए दो बार प्रत्याशी भी बदले हैं। ऐसे में सपा के लिए इस सीट पर अपना सम्मान बचाना जरूरी हो गया है। यहीं नहीं, मुरादाबाद सीट के लिए सपा जमकर पसीना बहा रही है।

मुरादाबाद सीट का चुनावी इतिहास

लोकसभा चुनाव में मुरादाबाद सीट का पलड़ा एक तराजू पर तौला नहीं जा सकता है। यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। मुरादाबाद सीट के इतिहास पर नजर डालें तो यह बात भी साफ हो जाती है। साल 1984 में ये सीट कांग्रेस के खाते में थी। जबकि साल 1989 से लेकर 1991 तक यह सीट जनता दल के पाले में रही। फिर साल 1996 से 1998 तक इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपना कब्जा कर लिया था। इसके बाद भाजपा ने साल 2014 में मुरादाबाद सीट पर जीत हासिल की थी। मगर साल 2019 में यह सीट सपा के खाते में चली गई थी। उस वक्त सपा ने बसपा के साथ चुनाव लड़ा था। अब जब इस बार बसपा और सपा के बीच विचारों की लड़ाई चल रही है तो इसका फायदा भाजपा को बड़ी जीत के रूप में दे सकता है। लोकसभा चुनाव 2024 में तीन पार्टियां आमने-सामने हैं। जिनमें सपा और बसपा कमजोर पड़ती दिख रही हैं, जबकि भाजपा दूसरी बार इस सीट पर अपना कब्जा जमाने की तैयारी में है।

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