Etah Lok Sabha Election 2024: एटा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र

Etah Lok Sabha Election 2024:कल्याण सिंह बेटे राजवीर सिंह (राजू भइया) पर एक बार फिर भाजपा ने विश्वास जताया है। वहीं, इंडिया अलायन्स में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-05-06 15:50 IST

Etah Lok Sabha election 2024  (photo: social media )

Etah Lok Sabha Election 2024: एटा लोकसभा क्षेत्र तुलसी और खुसरो की सरजमीं है। यहां के प्रमुख स्थलों में पटना पक्षी विहार, कैलाश मंदिर, काली मंदिर, हनुमान घड़ी, राम दरबार आदि हैं। इसे पृथ्वीराज चौहान के सरदार राजा संग्राम सिंह ने बसाया था। उन्होंने एटा में एक सुदृढ़ मिट्टी का दुर्ग बनवाया था जिसके खंडहर आज भी मौजूद हैं।

- यह शहर 1857 के विद्रोह का गवाह भी बना था।

- यहां पर बहुसंख्यक आबादी यादव और लोधी राजपूतों की है।

जातीय समीकरण

- पिछले चुनाव में एटा में वोटरों की संख्या 16 लाख 21 हजार 295 थी। यहां पर लोधी राजपूतों की संख्या करीब 2 लाख 90 हजार, यादव लगभग ढाई लाख, शाक्य करीब 2 लाख, ब्राह्मण 90 हजार, वैश्य 90 हजार, और जाटव मतदाता 2 लाख हैं।

विधानसभा क्षेत्र

- एटा लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र हैं - कासगंज, अमांपुर, पटियाली, एटा और मारहरा। पटियाली सीट सपा के कब्जे में है, बाकी सीटों पर भाजपा काबिज है।

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- इस सीट पर सबसे पहले कांग्रेस, फिर भाजपा और फिर सपा का कब्जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी को इस सीट पर कभी कामयाबी नहीं मिली।

- भाजपा सांसद महादीपक सिंह शाक्य ने निरंतर छह चुनाव जीते।

- कानपुर और फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से सटे एटा में पहला चुनाव (1952) कांग्रेस ने जीता था, लेकिन उसके बाद यहां से हिंदू महासभा ने पहले 1957 फिर 1962 में जीत दर्ज की। उसके बाद कांग्रेस ने 1967 और 1971 का आम चुनाव जीतकर जोरदार वापसी की।

- 1977 में चली कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोकदल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 1980 के चुनाव में यहां से कांग्रेस ने आखिरी बार जीत हासिल की।

- 1984 में भारतीय लोक दल के जीत दर्ज करने के बाद यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में आ गई। 1989, 1991, 1996 और 1998 में यहां भारतीय जनता पार्टी के महादीपक सिंह शाक्य ने जीत दर्ज की।

- 1999 और 2004 एटा से लगातार दो बार समाजवादी पार्टी का परचम लहराया।

- 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से अलग हो अपनी पार्टी बनाई और चुनाव में जीत भी हासिल की।

- 2014 के चुनाव में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने भाजपा के टिकेट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

इस बार कौन हैं मैदान में

- कल्याण सिंह बेटे राजवीर सिंह (राजू भइया) पर एक बार फिर भाजपा ने विश्वास जताया है। वहीं, इंडिया अलायन्स में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है। यहां से सपा ने देवेश शाक्य को मैदान में उतारा है। बसपा ने मोहम्मद इरफ़ान एडवोकेट को उम्मीदवार बनाया है।

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