Lok Sabha Election: नगीना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के बड़े हैं मुद्दें; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
Lok Sabha Election अभी तक नगीना में कुल तीन चुनाव हुए हैं, लेकिन किसी भी एक दल को लगातार जीत नहीं मिली। यानी यहां पर किसी भी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है
Written By : Neel Mani Lal
Update:2024-04-10 16:48 IST
Lok Sabha Electiion: जिला बिजनौर की नगीना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं ने चुनाव से पहले ही अपने मुद्दे सरकार के समक्ष रख दिए हैं। यहां प्रत्याशियों के लिए चुनौतियां कम नही हैं। न्यूजट्रैक की सीरीज लोकसभा का रण, जानें सियासी समीकरण में आज बात नगीना लोकसभा सीट की होगी।
खास बातें
- परिसीमन के बाद साल 2009 में नगीना सीट अस्तित्व में आई थी, इससे पहले यह क्षेत्र बिजनौर लोकसभा सीट के अंदर ही था। उस समय मायावती 1989 में यहीं से लड़कर संसद पहुंची थीं।
- नगीना सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा गया है।
- अभी तक नगीना में कुल तीन चुनाव हुए हैं, लेकिन किसी भी एक दल को लगातार जीत नहीं मिली। यानी यहां पर किसी भी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है।
विधानसभा क्षेत्र
- नगीना लोकसभा क्षेत्र के तहत 5 विधानसभा सीटें हैं : नजीबाबाद, नगीना, धामपुर, नहटौर और नूरपुर।
- 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में नजीबाबाद से सपा के तस्लीम अहमद, नगीना (एससी) से सपा के मनोज कुमार पारस, नूरपुर से सपा के राम अवतार सिंह, धामपुर से भाजपा के अशोक कुमार राणा, नहटौर (एससी) से भाजपा के ओम कुमार जीते थे।
इनमें से 2018 में नूरपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें समाजवादी पार्टी ने भाजपा को हराकर जीत दर्ज की थी। नूरपुर का उपचुनाव कैराना के उपचुनाव के साथ ही हुआ था।
2019 का चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा, बसपा और रालोद के बीच गठबंधन था और संयुक्त उम्मीदवार और बसपा नेता गिरीश चंद्र ने नगीना सीट से चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के यशवंत सिंह को एक लाख से भी बड़े अंतर से हराया था।
पहले के चुनाव
- 2009 के चुनाव में सपा के टिकट से यशवीर सिंह धोबी ने यहां से जीत दर्ज की थी।
- 2014 के चुनाव में भाजपा के यशवंत सिंह ने सपा के यशवीर सिंह को हराया था।
जातीय समीकरण
- नगीना क्षेत्र मुस्लिम बहुल है। यहां पर 50 फ़ीसदी से भी ज्यादा मुसलमान हैं और मात्र 30 फीसदी के करीब हिंदू हैं। पिछले तीन चुनाव से लगातार मुस्लिम आबादी यहां पर निर्णायक साबित हुई है। मुस्लिमों के बाद यहाँ अनुसूचित जाति का दबदबा है। यहाँ करीब 21 फीसदी एससी वोटर हैं।
- पिछले चुनाव में यहां 64 फीसदी मतदान हुआ था। उस समय 15,86,117 वोटर थे जिसमें 8,43,827 पुरुष और 7,42,230 महिला मतदाता थीं।
- नगीना में इस बार मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा की तरफ से नहटौर के विधायक ओम कुमार को मौका दिया है। इंडिया अलायन्स के तहत सपा ने मनोज कुमार को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने सुरेंद्र पाल को टिकट दिया। इसके अलावा भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर भी यहीं से ताल ठोक रहे हैं।
- वोट काटने के लिए कई और भी प्रत्याशी मैदान में हैं। पीस पार्टी के माधव राम, खुसरो सेना पार्टी के विनोद, राष्ट्रीय समानता दल के अमीचंद, अंबेडकर समाज पार्टी के टिकट पर तेज सिंह और कमेश कुमार पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। चरण सिंह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं।
क्या है खास
- ब्रिटिश शासनकाल में पंजाब में 1919 में हुए चर्चित जलियावाला बाग हत्याकांड की तरह यहां भी एक घटना घट चुकी है। 21 अप्रैल 1858 को नगीना के पाईबाग पहुंची ब्रिटिश सेना पर इनामत रसूल और जान मुहम्मद महमूद की ओर से बंदूक से फायर कर दिया गया। जिसके जवाब में सेना ने लोगों पर गोलियां बरसाईं जिसमें करीब 150 लोगों की जान चली गई।
- दुनिया भर में 'लकड़ी शिल्प नगरी' के नाम से मशहूर नगीना अंतरराष्ट्रीय स्तर के लकड़ी के हस्तशिल्प का उत्पादन करता है।
- नगीना के काष्ठ शिल्प उद्योग का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है। इस शहर में ज्यादातर मुल्तानी लोग रहते हैं जो मूल रूप से पाकिस्तान से आए थे। इन लोगों द्वारा निर्मित लकड़ी की अनोखी वस्तुओं को मुगल काल से ही सराहा और प्रोत्साहित किया जाता रहा है।
क्षेत्र के मसले
- विकास सबसे बड़ा मसला है। नगीना के लोग इस क्षेत्र को उत्तराखंड में शामिल करने की मांग करते हैं इस उम्मीद में कि शायद ऐसे कुछ भला हो जाये।
- व्यापारियों, लकड़ी कारीगरों की समस्या, नागरिक सुविधाओं की कमी।