Lok Sabha Election 2024: कभी छात्र आंदोलन से उपजे नेता पहुंचते थे संसद, अब सूख गई राजनीति की नर्सरी
Lok Sabha Election 2024: राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने भी राजनीतिक पारी बीएचयू में शुरू की थी।;
सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)
Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल की सियासत को देखें तो ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो कि छात्र आंदोलनों की उपज है। गोरखपुर से लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पदाधिकारी रहे नेता विधानसभा से लेकर संसद तक पहुंचने में कामयाब हुए। लेकिन, वर्तमान दौर में न तो छात्र संघ हैं, न ही छात्र आंदोलन से उपजे नेता। परिवारवाद, जातिवाद, धनबल और बाहुबल की सियायत में राजनीति की नर्सरी गायब हो गई है।
राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल ने भी राजनीतिक पारी बीएचयू में शुरू की थी। 1974 में जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बाद में बीएचयू टीचर्स एसोसिएशन (भूटा) के महासचिव चुने गए। इसी तरह हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला भी छात्र आंदोलन की उपज हैं। वह गोरखपुर यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े लेकिन उन्हें शीतल पांडेय से हार का सामना करना पड़ा। केन्द्र सरकार में रक्षा मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राजनाथ सिंह भी गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पढ़े हुए हैं। भाजपा के सिंबल पर सहजनवा से विधायक रहे शीतल पांडेय भी गोरखपुर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। देवरिया से सांसद डॉ.रमापति राम त्रिपाठी भी एमजी डिग्री कॉलेज के अध्यक्ष रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कल्पनाथ राय 1963 में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के महामंत्री चुने गए। वह घोसी लोकसभा से चार बार सांसद और तीन बार राज्य सभा सदस्य बने। इंदिरा गांधी और नरसिंह राव सरकारों में मंत्री भी रहे। सिसवा विधानसभा से विधायक रहे जगदीश लाल भी गोरखपुर यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्रसंघ अध्यक्ष रहे रवींद्र सिंह भी 1977 में कौड़ीराम से विधायक चुने गए।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के दो अध्यक्षों को पूर्वांचल ने सांसद बनाया
देवरिया में जन्में मोहन सिंह सत्तर के दशक में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1977 में वे बहरज से विधायक बने। वर्ष 1991 में वह जनता दल के टिकट पर देवरिया के सांसद चुने गए। यहाँ पर उन्होंने तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री राजमंगल पांडेय को हराया था। इसके बाद वर्ष 1998 और 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट में देवरिया से जीत कर सांसद बने। बृजभूषण तिवारी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी डुमरियागंज से दो बार सांसद रहे। 1989 में जनता दल और 1996 समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। बस्ती के राजमणि पांडेय भी 1972-73 में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे। वे 1989 में बस्ती सदर से विधायक चुने गए।
सपा सरकार में मंत्री भी छात्र राजनीति के उपज
गोरखपुर यूनिवर्सिटी छात्र संघ और बीआरडी पीजी कॉलेज छात्र संघ के महामंत्री रहे राम छबिला मिश्रा जनता दल के टिकट पर देवरिया सीट से विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हुए। कुशीनगर में सपा के दिग्गज ब्रह्माशंकर त्रिपाठी बुद्ध कॉलेज के अध्यक्ष रहे। वह सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके साथ ही कुशीनगर के सेवरही स्थित किसान डिग्री कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। अजय कुमार लल्लू विधायक का चुनाव जीतने में कामयाब हुए। उनकी ऊर्जा को देखते हुए कांग्रेस ने यूपी में प्रदेश अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी दी।
युवा आंदोलनों को खत्म करने की साजिशें
वर्ष 1980 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रहे राधेश्याम सिंह कहते हैं कि राजनीति की नर्सरी मानी जाती है छात्र राजनीति। लेकिन इस नर्सरी को समाप्त किया जा रहा है। छात्र राजनीति से नेता निकलते थे तो बाहुबल, धनबल, परिवारवाद से लेकर जातिवाद का असर नहीं था। लेकिन अब ऐसे लोग युवा आंदोलनों को ही खत्म करने की साजिशें रच रहे हैं। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में चुनाव लड़ने वाले नीलेश कुमार सिन्हा का कहना है कि लिंगदोह आयोग की आड़ में सरकारों ने छात्रसंघ को ही खत्म कर दिया। जातिवादी और परिवार की राजनीति करने वाले नहीं चाहते कि गरीब के घर का बेटा छात्ररातनीति से सक्रिय राजनीति में प्रवेश करे।