Hot Seat Thiruvananthapuram: शशि थरूर को इस बार मिल रही कड़ी टक्कर, राजीव चंद्रशेखर को उतार कर भाजपा ने घेरा
Hot Seat Thiruvananthapuram: सियासी जानकार इस चुनाव क्षेत्र में त्रिकोणात्मक मुकाबले की बात कह रहे हैं मगर थरूर का मानना है कि उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी राजीव चंद्रशेखर से है।
Hot Seat Thiruvananthapuram: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चर्चित शख्सियत शशि थरूर की केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर इस बार भाजपा ने उनकी तगड़ी घेरेबंदी की कोशिश की है। भाजपा ने इस सीट पर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को चुनाव मैदान में उतार दिया है। दो दिग्गज नेताओं के बीच हो रही इस भिड़ंत के कारण तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट मौजूदा चुनाव की हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। एलडीएफ की ओर से सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और पूर्व सांसद के.रविंद्रन को चुनावी अखाड़े में उतारा गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर हमेशा मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बने रहते हैं और तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट पर उन्होंने लगातार पिछले तीन चुनावों में जीत हासिल की है। सियासी जानकार इस चुनाव क्षेत्र में त्रिकोणात्मक मुकाबले की बात कह रहे हैं मगर थरूर का मानना है कि उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी राजीव चंद्रशेखर से है। केरल की अन्य लोकसभा सीटों के साथ तिरुवनंतपुर में 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होने वाला है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि शशि थरूर अपने इस गढ़ को बचाने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।
2009 से लगातार जीत रहे थरूर
संयुक्त राष्ट्र संघ में पूर्व राजनिक रह चुके थरूर को केरल के सबसे लोकप्रिय कांग्रेस नेताओं में गिना जाता है। पूरे देश में उनकी अलग तरह की पहचान है। इसके साथ ही उन्हें अंग्रेजी भाषा के सबसे बड़े जानकार के रूप में भी माना जाता है। केरल की अहम माने जाने वाली तिरुवनंतपुरम सीट पर वे 2009 से लगातार जीत हासिल कर रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के बावजूद वे इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे।
2022 के अक्टूबर महीने के दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार के उम्मीदवार माने जा रहे मल्लिकार्जुन खड़गे को चुनौती दे डाली थी। हालांकि इस चुनाव में उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा। उन्हें विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से राय रखने के लिए जाना जाता है और अब वे कांग्रेस के टिकट पर चौथी जीत हासिल करने के लिए तिरुवनंतपुरम में उतरे हैं।
भाजपा को चंद्रशेखर की जीत का भरोसा
दूसरी ओर उन्हें चुनौती देने के लिए भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतरे राजीव चंद्रशेखर की दावेदारी को भी कमजोर नहीं माना जा सकता। वे वे एक कुशल प्रौद्योगिकी उद्यमी रहे हैं और उन्होंने इंटेल जैसे वैश्विक तकनीकी दिग्गजों के साथ काम किया है। उन्होंने 2006 में कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य चुने जाने के बाद अपनी संसदीय यात्रा की शुरुआत की थी।
राजीव चंद्रशेखर को विभिन्न तकनीकी मुद्दों का बड़ा जानकार माना जाता है और उनका भी थरूर की तरह वैश्विक दृष्टिकोण रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2021 में राजीव चंद्रशेखर को आईटी और कौशल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया था।
अब उन्हें लोकसभा चुनाव की जंग में उतारा गया है और भाजपा का मानना है कि त्रिशूर से ताल्लुक रखने वाले राजीव चंद्रशेखर इस बार अपनी जीत से सबको आश्चर्यचकित कर सकते हैं।
पिछले दो चुनावो में भाजपा ने दी कड़ी चुनौती
राजीव चंद्रशेखर को थरूर के लिए कड़ी चुनौती वाले उम्मीदवार के रूप में यूं ही नहीं देखा जा रहा है। दरअसल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा इस सीट पर नंबर दो पर रही थी। 2014 में भाजपा ने अपने दिग्गज नेता ओ.राजगोपाल को चुनाव मैदान में उतारा था और उन्होंने 32.32 फ़ीसदी मत हासिल किए थे। कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में थरूर ने 34.09 फीसदी मत हासिल करते हुए मामूली अंतर से जीत हासिल की थी। थरूर इस चुनाव में 15,470 मतों से विजयी रहे थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मतों में 20 फ़ीसदी की हैरान करने वाली बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। हालांकि इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान थरूर ने अपनी स्थिति मजबूत बनाते हुए 41 फ़ीसदी से अधिक मत हासिल किए थे जबकि भाजपा को 31 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल हुए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में थरूर का जीत का मार्जिन बढ़ गया था।
इस लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण
इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राजीव चंद्रशेखर जैसे कद्दावर नेता को चुनावी अखाड़े में उतारने का बड़ा सियासी दांव चला है। ऐसे में देश भर के मीडिया की निगाह इस चुनाव क्षेत्र में हो रही दो दिग्गजों की भिड़ंत पर लगी हुई है। इस लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर करीब 14 फ़ीसदी मतदाता ईसाई हैं। दलित मतदाताओं की संख्या करीब 9.5 को फ़ीसदी है।
केरल के कई लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है मगर तिरुवनंतपुरम वैसी स्थिति नहीं है। यहां पर करीब नौ फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में हिंदू मतदाताओं की संख्या 76 फ़ीसदी से अधिक है और यही कारण है कि भाजपा को इस चुनाव क्षेत्र से काफी उम्मीदें हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कई चर्चों का दौरा किया था और ऐसे में माना जा रहा है कि कुछ ईसाई मतदाताओं का समर्थन भी भाजपा को हासिल हो सकता है। अगर भाजपा इस सेंधमारी में कामयाब रही तो निश्चित रूप से थरूर की सियासी राह इस बार मुश्किल हो सकती है।
रविंद्रन की मजबूती से थरूर के लिए खतरा
राजीव चंद्रशेखर के लिए सबसे बड़ी मुश्किल मतदाताओं के बीच में पैठ बनाने की है क्योंकि वे इस इलाके के लिए नए माने जा रहे हैं। दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंद्वी शशि थरूर कोई इस इलाके का चिर परिचित चेहरा माना जाता है।
राजीव चंद्रशेखर की उम्मीदवारी की घोषणा की काफी विलंब से की गई और इसलिए उन्हें मतदाताओं से संपर्क साधने का कम समय मिला है जबकि दूसरी ओर शशि थरूर लंबे समय से इलाके में सक्रिय बने हुए हैं।
एलडीएफ उम्मीदवार और पूर्व राज्यसभा सदस्य के रविंद्रन ने भी इलाके में पूरी ताकत लगा रखी है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि वे कितना वोट काटने में कामयाब हो पाते हैं। उनकी मजबूती थरूर के लिए खतरा बन सकती है।