Lok Sabha Election: पूर्वांचल में क्षत्रिय किसके साथ, आखिर क्यों विरोध में हो रही हैं बैठकें, कौन है निशाने पर?

Lok Sabha Election: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर राजपूतों की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। इस आरोप के दाग को धुलने के लिए ही गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ सीटों में से चार पर भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है।

Update: 2024-04-20 02:24 GMT

सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)

Lok Sabha Election: पश्चिम ही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद के आसपास के जिलों में भी क्षत्रियों की नाराजगी कम नहीं है। क्षत्रिय समाज के लोग अलग-अलग लोकसभा में अलग-अलग वजहों से नाराज दिख रहे हैं। गोरखपुर के बांसगांव लोकसभा सीट पर क्षत्रीय विरादरी के लोग भाजपा प्रत्याशी कमलेश पासवान के विरोध में बैठकें कर रहे हैं। वहीं कुशीनगर और देवरिया में भी विरोध हो रहा है। पूर्वांचल के लोग जौनपुर में धनंजय सिंह के खिलाफ हुई कार्रवाई के साथ ही बृजभूषण सिंह के टिकट को लेकर हो रही देरी से भी नाराज है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर राजपूतों की राजनीति करने का आरोप लगता रहा है। इस आरोप के दाग को धुलने के लिए ही गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ सीटों में से चार पर भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। गोरखपुर से रवि किशन शुक्ला, देवरिया से शंशाक मणि त्रिपाठी, कुशीनगर से विजय दूबे और बस्ती से हरीश द्विवेदी मैदान में हैं। वहीं डुमरियागंज से राजपूत विरादरी के जगदम्बिका पाल को भाजपा ने टिकट दिया है। इसके बाद भी राजपूत बिरादरी के लोग भाजपा प्रत्याशियों का विरोध कर रहे हैं। बांसगांव में श्री क्षत्रिय युवक संघ गोरक्ष क्षेत्र के बैनर तले भाजपा प्रत्याशी कमलेश पासवान का विरोध हो रहा है। संगठन की तरफ से बांसगांव के तेनुआ, मझगांवा समेत क्षत्रीय बाहुल्य इलाकों में बैठकें हुईं हैं।

संगठन की तरफ से मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा गया है। जिसमें कहा गया है कि बांसगांव से सांसद कमलेश पासवान चौथी बार भारतीय जनता पार्टी समर्थित उम्मीदवार हैं। वे भारत सरकार और प्रदेश सरकार की नीतियों को जमीनी स्तर पर क्रियान्यवन करने में पूरी तरह असफल है। हम लगातार भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यों को देखते हुए हम लोग उन्हें अमूल्य वोट अपना देते रहे है। भारतीय जनता पार्टी राजनीति में परिवारवाद का विरोध करती है। एक ही परिवार के सदस्यों को बाँसगाँव लोकसभा और बिधान सभा का टिकट बार-बार देना समझ से परे है।

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा है कि वह योगी आदित्यनाथ और भाजपा के साथ हैं लेकिन कमलेश पासवान का समर्थन नहीं कर सकते हैं। सपा सरकार में पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह भी सपा में टिकट नहीं मिलने के बाद कुशीनगर या देवरिया से टिकट मांग रहे थे। उनके समर्थकों द्वारा भी राजपूतों में विरोध का स्वर बुलंद किया जा रहा है। देवरिया में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे रतनपाल सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे। देवरिया से भाजपा के प्रवक्ता सत्यनारायण सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे थे।

अखिलेश सिंह और सुप्रिया श्रीनेत विरोध को हवा दे रहे

कांग्रेस ने देवरिया से अखिलेश सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं पूर्व सांसद और कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में बता रही हैं कि भाजपा का राजपूत प्रेम सिर्फ छलावा है। बांसगांव क्षेत्र में भाजपा नेत्री अस्मिता चंद चिल्लूपार विधानसभा से टिकट मांग रही थी। लेकिन उनकी अनदेखी कर चिल्लूपार से राजेश त्रिपाठी को टिकट दे दिया गया। ऐसे में अस्मिता चंद के समर्थक भी नाराज क्षत्रियों के मनाने में कोई रूचि नहीं ले रहे हैं।

एक समय में राजपूतों का था बोलबाला

गोरखपुर-बस्ती मंडल की 9 सीटों पर राजपूत प्रभावी रहे हैं। महराजगंज में कुंवर अखिलेश सिंह और हर्षवर्धन सांसद रह चुके हैं। देवरिया में मोहन सिंह कई बार सांसद रह चुके हैं। गोरखपुर सीट पर गोरक्षपीठ का ही तीन दशक से अधिक समय तक कब्जा रहा है। पीठ पर राजपूतों की राजनीति का आरोप लगता रहा है। महराजगंज की सिसवा विधानसभा सीट से शिवेन्द्र सिंह तो वहीं फरेंदा से बजरंगी सिंह विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।  

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