Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश की नौ लोकसभा सीटों पर सबकी निगाहें, मामा, राजा और महाराज तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर

Lok Sabha Election 2024: तीनों नेताओं ने अपनी-अपनी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए इस बार पूरी ताकत लगा रखी है। हालांकि विपक्षी उम्मीदवारों की ओर से उनकी तगड़ी घेरेबंदी भी की गई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-05-07 09:12 IST

Jyotiraditya Scindia, Former CM Shivraj Singh Chauhan, Digvijay Singh  (फोटो: सोशल मीडिया )

Lok Sabha Election 2024: मध्य प्रदेश में तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में कई दिग्गज प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। राज्य की नौ लोकसभा सीटों पर आज भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। मध्य प्रदेश की सियासत से जुड़े तीन दिग्गज नेताओं की किस्मत का आज फैसला होने वाला है। मामा यानी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजा यानी दिग्विजय सिंह और महाराज यानी केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया।

इन तीनों नेताओं ने अपनी-अपनी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए इस बार पूरी ताकत लगा रखी है। हालांकि विपक्षी उम्मीदवारों की ओर से उनकी तगड़ी घेरेबंदी भी की गई है। शिवराज सिंह चौहान तो लंबे समय बाद लोकसभा चुनाव की जंग में उतरे हैं और चुनावी जीत के बाद उनके केंद्र की राजनीति में सक्रिय होने की संभावना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ओर बड़ा इशारा कर चुके हैं।

भाजपा पर पिछला प्रदर्शन दोहराने का दबाव

मध्य प्रदेश में तीसरे चरण में नौ लोकसभा सीटों पर मतदाता प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। तीसरे चरण की नौ सीटों में मुरैना, भोपाल, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, राजगढ़ और बैतूल की लोकसभा सीटें शामिल हैं। मध्य प्रदेश में तीसरा चरण भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मध्य प्रदेश के पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा की सीट को छोड़कर राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में भी पार्टी कांग्रेस को करारी शिकस्त देने में कामयाब हुई थी।

ऐसे में भाजपा के सामने पिछला प्रदर्शन दोहराने की बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इस बार पूरी ताकत लगा रखी है और पार्टी पिछले लोकसभा चुनाव में मिली हार का हिसाब बराबर करने की कोशिश में जुटी हुई है। तीसरे चरण की नौ लोकसभा सीटों पर कुल 127 उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

20 साल बाद विदिशा के चुनावी अखाड़े में शिवराज

मध्य प्रदेश में तीसरे चरण की तीन लोकसभा सीटों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इन तीन लोकसभा सीटों पर दिग्गज उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं। मध्य प्रदेश में विदिशा लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं क्योंकि इस सीट पर 20 साल बाद किस्मत आजमाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनावी अखाड़े में हैं। मध्य प्रदेश के लोगों में मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बनने से पहले विदिशा लोकसभा सीट से पांच बार जीत हासिल कर चुके हैं।

इस लोकसभा क्षेत्र को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। विदिशा लोकसभा सीट पर शिवराज सिंह चौहान के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज भाजपा नेता भी चुनावी जीत हासिल कर चुके हैं। इस बार शिवराज सिंह चौहान इस चुनाव क्षेत्र में कमल खिलाने की तैयारी में जुटे हुए हैं।

जीत के बाद दिल्ली में सक्रिय होंगे पूर्व मुख्यमंत्री

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद पर मोहन यादव की ताजपोशी के बाद से ही शिवराज सिंह चौहान की भावी भूमिका को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात का संकेत दे दिया है कि अब शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की राजनीति में ले जाने की तैयारी है। प्रधानमंत्री मोदी ने विदिशा की जनसभा में खुद इस बात का ऐलान किया था कि वे शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली ले जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान अब राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होंगे। शिवराज सिंह चौहान को चुनावी राजनीति का धुरंधर खिलाड़ी माना जाता रहा है और विदिशा में उनकी मजबूत पकड़ रही है। ऐसे में शिवराज विदिशा में विपक्षी कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप भानु शर्मा पर भारी पड़ते हुए दिख रहे हैं।

यादवों की नाराजगी से मुसीबत में फंसे सिंधिया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगा था। उस समय भाजपा उम्मीदवार केपी यादव ने गुना के सियासी रण में ज्योतिरादित्य सिंधिया को पटखनी दे दी थी। इस बड़ी हार के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने इस बार केपी यादव का टिकट काटते हुए सिंधिया को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इसे लेकर यादवों में नाराजगी भी दिख रही है। यादवों की यह नाराजगी इस बार के लोकसभा चुनाव में सिंधिया के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले दिनों गुना की जनसभा के दौरान यादवों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की थी। उन्होंने साफ तौर पर ऐलान किया था कि आप ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत दिलाएं। उनका कहना था कि गुना के लोगों को केपी यादव की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि बीजेपी आगे चलकर उनका पूरा ख्याल रखेगी। कांग्रेस ने इस बार राव यादवेंद्र सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार कर सिंधिया की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि सिंधिया गुना की चुनावी वैतरणी को कैसे पार करते हैं।

दिग्विजय सिंह की सियासी राह आसान नहीं

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को पिछले लोकसभा चुनाव में भोपाल में भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वे राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। वे 33 साल बाद राजगढ़ में अपना सियासी किला बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। भाजपा इस लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से जीत हासिल करती रही है। भाजपा की ओर से रोडमल नागर इस लोकसभा सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।

कड़े मुकाबले में फंसने के बाद दिग्विजय सिंह ने इस बार राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में काफी मेहनत की है। उन्होंने भावुक अपील करते हुए यहां तक ऐलान कर डाला है कि यह उनके जीवन का आखिरी लोकसभा चुनाव होगा। इसके जरिए उन्होंने मतदाताओं की सहानुभूति बटोरने की कोशिश की है।

रोडमल नागर मोदी की गारंटी के जरिए अपने चुनावी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दिग्विजय सिंह को हराने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है और इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव और शिवराज सिंह चौहान समेत कई दिग्गज नेता इलाके में जनसभा कर चुके हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि दिग्विजय सिंह इस चुनाव में अपनी ताकत दिखा पाते हैं या नहीं।

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