Lok Sabha Chunav: भतीजे पर पसीजा चाचा का दिल, पशुपति पारस करेंगे चिराग का समर्थन
Lok Sabha Election: सीट बंटवारे के बाद चिराग पासवान खुद अपने पिता रामविलास पासवान की परंपरागत हाजीपुर सीट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं
Lok Sabha Election: बिहार की चर्चित लोकसभा सीट हाजीपुर को लेकर लंबे समय तक चली तकरार के बाद आखिरकार चाचा पशुपति पारस का दिल अपने भतीजे चिराग पासवान के लिए पसीज गया है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के मुखिया पशुपति पारस ने हाजीपुर सीट पर अपने भतीजे चिराग पासवान को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पारस ने इसी लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी।
पारस इस बार के चुनाव में भी इसी लोकसभा सीट पर दावेदारी कर रहे थे मगर एनडीए में हुए सीट बंटवारे में उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। दूसरी ओर चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। सीट बंटवारे के बाद चिराग पासवान खुद अपने पिता रामविलास पासवान की परंपरागत हाजीपुर सीट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।
हाजीपुर में चिराग पासवान को समर्थन
रालोजपा मुखिया पारस ने कहा कि बिहार में लोकसभा की सभी 40 सीटों पर एनडीए की जीत ही उनका मकसद है। ऐसे में हाजीपुर लोकसभा सीट पर चाहे चिराग पासवान लड़ें या एनडीए में शामिल दल का कोई दूसरा नेता लड़े,उसे मेरा समर्थन हासिल रहेगा।बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान पारस ने हाजीपुर सीट पर चिराग पासवान को समर्थन देने की बात कही।उन्होंने कहा कि बिहार में एनडीए में शामिल सभी दलों को मेरा समर्थन है और मैं राज्य की सभी सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश करूंगा।चिराग पासवान से दुश्मनी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आपसी लड़ाई अलग है मगर चुनाव में एकजुट होकर जीत हासिल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम नीति और सिद्धांतों पर चलने वाले लोग हैं और हमारा एक ही लक्ष्य है कि बिहार की सभी सीटों पर एनडीए को जीत मिले ताकि नरेंद्र मोदी को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाने में कामयाबी मिल सके।
2019 में पारस को मिली थी जीत
हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर पशुपति पारस और चिराग पासवान में लंबे समय तक खींचतान की स्थिति बनी रही। मौजूदा समय में पारस इसी लोकसभा सीट से सांसद हैं और 2024 के चुनाव में भी वे इस सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि 2019 में मैं लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता था मगर अपने भइया रामविलास पासवान के निर्देश पर मैं हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरा था। उस चुनाव में मैंने बड़ी जीत हासिल की थी। जब भइया ने 2019 के चुनाव में यह सीट चिराग पासवान को नहीं दी तो अब उनका इस सीट पर कोई दावा नहीं बनता है।दूसरी और चिराग पासवान का गाना था कि यह लोकसभा सीट उनके पिता की विरासत है और वे अपने पिता की इस विरासत को कभी नहीं छोड़ेंगे।हाजीपुर लोकसभा सीट को रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता था और इस सीट पर उन्होंने नौ बार जीत हासिल की थी। 2019 में उन्होंने इस सीट पर अपने भाई पशुपति पारस को चुनाव लड़ाया था जिसमें पारस को जीत हासिल हुई थी।
चाचा-भतीजे में हुई थी तीखी बयानबाजी
पिछले चुनाव में जीत हासिल करने के बाद पशुपति पारस इस बार भी इस सीट से ही चुनाव मैदान में उतरने पर अड़े हुए थे। इस सीट को लेकर उनके और चिराग पासवान के बीच कई बार तीखी बयानबाजी भी हुई थी।एनडीए में हुए सीट बंटवारे से पशुपति पारस को करारा झटका लगा था क्योंकि चिराग पासवान हाजीपुर समेत पांच सीटें हासिल करने में कामयाब रहे। एनडीए के सीट बंटवारे में एक भी सीट न मिलने के बाद पशुपति पारस ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
एनडीए में ही बने रहने का पारस का फैसला
उनके विपक्षी महागठबंधन से हाथ मिलाने की अटकलें लगाई जा रही थीं मगर पारस ने एक बार फिर एनडीए में ही बने रहने का ऐलान किया है। अब उन्होंने एक कदम और आगे बढ़कर हाजीपुर में चिराग पासवान को समर्थन देने का ऐलान भी कर दिया है। हालांकि उन्होंने अभी यह साफ नहीं किया है कि वे चिराग का चुनाव प्रचार करने के लिए हाजीपुर जाएंगे या नहीं।पारस ने हाल में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से भी मुलाकात की थी। अभी इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि भाजपा की ओर से पारस को आगे के लिए क्या आश्वासन दिया गया है। माना जा रहा है कि पारस को आगे चलकर राज्यपाल बनाने या कोई अन्य जिम्मेदारी सौंपने का कदम उठाया जा सकता है।