Lok Sabha Election 2024: लखनऊ से लेकर दिल्ली तक रही धाक, हर सदन के रहे सदस्य

Lok Sabha Election 2024: प्रदेश की राजनीति में ऐसे नेता गिने चुने होंगे जो संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों सदस्य रहे है।

Report :  Jyotsna Singh
Update:2024-06-04 14:39 IST

Lok sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: राजनीति के क्षेत्र में हर नेता की मंशा सदन का सदस्य बनने की होती है फिर चाहे वह कोई भी सदन हो लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसे नेता भी हुए हैं जी विधानसभा विधानपरिषद लोकसभा और राज्यसभा यानी चारो सदन के सदस्य रहकर एक इतिहास बनाने का काम किया है।प्रदेश की राजनीति में ऐसे नेता गिने चुने होंगे जो संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों सदस्य रहे है। कई बड़े नाम वाले नेताओं को यह मौका नहीं मिला लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिन्हे मौका तो मिला लेकिन वे चर्चा में नहीं रहे।

चार बार यूपी और एक बार उत्तरखण्ड के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी,पूर्व मुख्यमंत्री मायावती व रक्षामंत्री रहे राजनाथ सिंह सहित भाजपा के वरिष्ठï नेता कलराज मिश्र जैसे नेताओं का शुमार उन लोगों में है जो संसद के दोनों सदनों और विधानमंडल दल के दोनों सदस्य रहे। तीन बार यूपी और एक बार उत्तरखण्ड के सीएम और आन्ध्रप्रदेश के राज्यपाल रहे नारायण दत्त तिवारी को भी संसद के दोनों और विधानमंडल दल के दोनों सदनों का अवसर मिला। श्री तिवारी प्रदेश की पहली विधानसभा 19952-57-69-77 में विधानसभा के और लोकसभा के लिए 1980-1996-1999में नैनीताल से चुने गए।


जबकि 22 जनवरी 1985 को वे विधानपरिषद के सदस्य बने। और 2 दिसंबर 1985को राज्यसभा के लिए चुने गए। प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही मायावती भी संसद और विधानमंडल दल के दोनों सदनों में अपनी आमद दर्ज करा चुकी है। वे लोकसभा के लिए 1998-1999-2004 में  अकबरपुर से निर्वाचित हुई। विधानसभा के लिए 2002 में सहारनपुर की हरौड़ा और बदायूं की बिल्सी सीट से निर्वाचित हुई। वे अप्रैल 1994 और 22 मार्च 2012 को राज्यसभा के लिए चुनी गयी।


इससे पूर्व सात जुलाई 2010 को विधानपरिषद की सदस्य बनी। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तथा मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का भी शुमार उन राजनेताओं में है जो संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्य रहे। वे 1977 में मिर्जापुर से 2001 और 2002में बाराबंकी की हैदरगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने। 2000और 2002 में संसद के उच्च सदन राज्यसभा पहुंचे। इससे पूर्व 1994 में भी राज्यसभा पहुंचे थे। 1988 में विधानपरिषद के सदस्य रहे। उसके बाद 2009 में गाजियाबाद,2014 और 2019 में लखनऊ संसदीय क्षेत्र से लोकसभा पहुंचे। तत्कालीन बनारसी दास गुप्ता सरकार में राज्यमंत्री रहे मोहन सिंह जो देवरिया से तीन बार सांसद रहे उन्हे भी गौरव हासिल है कि वे संसद और विधानमंडल दल के दोनों सदनों के सदस्य रहे।


मोहन सिंह 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर बरहज विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। 1980 में हुए मध्यावधि चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज कराई। 1990 में देवरिया कुशीनगर स्थानीय निकाय क्षेत्र से विधानपरिषद के लिए चुने गए थे।  उसके बाद 1991-1998-2004 में देवरिया से लोकसभा के लिए चुने गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्हे शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में शिकस्त मिलने के बाद सपा नेतृत्व ने उन्हे राज्यसभा भेजा। राज्यसभा सदस्य रहते हुए मोहन सिंह का निधन हो गया तब शेषकार्यकाल के लिए सपा नेतृत्व ने उनकी पुत्री कनकलता सिंह को राज्यसभा भेजा था।


राजस्थान के राज्यपाल तथा यूपी में तत्कालीन भाजपा सरकारों में कैबिनेट मंत्री तथा प्रदेशाध्यक्ष रहे कलराज मिश्र पहली बार 1978 में विधान परिषद के लिए चुने गए। वर्ष 2002से 2012 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 2012के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हे लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। २2014 के लोकसभा चुनाव में नेतृत्व ने उन्हे देवरिया सीट से प्रत्याशी बनाया जिसमे उन्होंने पहली बार लोकसभा में अपनी आमद दर्ज कराई।


कैराना के पूर्व सांसद मुनव्वर हसन को यह फख्र हासिल है कि वे उन नेताओं में अपना शुमार रखते है जिन्होंने संसद और विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्य रहे है। मुनव्वर हसन 1996-2004 में लोकसभा के लिए और 1991-1993 में विधानसभा के लिए चुने गए। 1998 में राज्यसभा और 2003 में विधानपरिषद के लिए निर्वाचित हुए थे।


मुनव्वर हसन के पुत्र नाहिद हसन इस समय समाजवादी पार्टी से विधायक है और पुत्री इकरा हसन इस बार इंडिया गठबंधन से कैराना संसदीय सीट से लोकसभा प्रत्याशी है। मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन 2009 के आम चुनाव और 2018 के उपचुनाव में कैराना से संांसद रही। जबकि इसी सीट से मुनव्वर हसन के पिता अख्तर हसन 1984 में कांग्रेस के टिकट से संसद पहुंचे थे। 

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