चुनाव की बातें : सारण में लालू को पुराने करिश्मे की उम्मीद

Loksabha Election 2024: रोहिणी के लिए रूडी को हराना एक कठिन काम है। रूडी ने केंद्रीय मंत्री के रूप में अटल बिहारी और नरेंद्र मोदी दोनों के साथ काम किया है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-16 05:28 GMT

Lalu Yadav (Photo: Social Media)

Loksabha Election 2024: बिहार के सारण लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के लिए राजद संरक्षक लालू प्रसाद यादव के परिवार और भाजपा के राजीव प्रताप रूडी के बीच मुकाबला कोई नई बात नहीं है। पिछले दो चुनावों में रूडी और लालू परिवार से जुड़े राजद उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला रहा था। 2014 में रूडी ने लालू की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को 40,000 वोटों से हराया, जबकि 2019 में उन्होंने लालू के बेटे तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को 1.38 लाख वोटों के अंतर से शिकस्त दी।

बेटी को रिटर्न गिफ्ट

इस बार सारण चुनाव में काफी दिलचस्प मुकाबला है क्योंकि लालू की बेटी रोहिणी आचार्य चुनावी मैदान में हैं। रोहिणी एक मेडिकल डॉक्टर हैं जो सिंगापुर में बस गईं हैं। वह 2022 में खबरों में तब आईं जब उन्होंने अपनी एक किडनी अपने बीमार पिता को दान कर दी। इसके लिए लालू के प्रतिद्वंद्वियों से भी उनको प्रशंसा हुई।



अब एहसान का बदला चुकाने के लिए लालू कड़ी मेहनत कर रहे हैं। खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने कई रैलियों को संबोधित किया है और राजद कैडर के साथ बैठकें की हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में उनका गहरा जुड़ाव है, जिसका उन्होंने 2013 के पहले चार बार प्रतिनिधित्व किया था। 2008 के परिसीमन से पहले यह क्षेत्र छपरा के नाम से जाना जाता था।

राह आसान नहीं

रोहिणी के लिए रूडी को हराना एक कठिन काम है। रूडी ने केंद्रीय मंत्री के रूप में अटल बिहारी और नरेंद्र मोदी दोनों के साथ काम किया है। फिर भी रोहिणी आश्वस्त हैं वह कहती हैं - मैं नौसिखिया नहीं हूँ। मुझे पता है कि बिहार में क्या हो रहा है। मैंने राजनीति की बारीकियां अपने पिता से सीखी हैं, जो मेरे राजनीतिक गुरु भी हैं।

जहां तक रूडी का सवाल है, वह मोदी की छवि के अलावा क्षेत्र के लिए अपने काम का प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन वह लालू फैक्टर को स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि मैदान में रोहिणी नहीं है, असली प्रतिद्वंद्वी लालू हैं, जो पर्दे के पीछे से लड़ रहे हैं।



बहरहाल, रोहिणी को राजद के पारंपरिक मुस्लिम-यादव वोट बैंक और ईबीसी पर भरोसा है। उनके सामने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का कठिन काम है। लेकिन सारण का राजनीतिक परिदृश्य अब लालू शासनकाल जैसा नहीं रहा। बहुत कुछ बदल चुका है। राजनीति और लोगों का मिजाज भी बदल चुका है।

पिछले चुनाव

  • 2014 में हुए चुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपनी जगह पर इस बार राबड़ी देवी को खड़ा किया। पर जीत बरकरार नहीं रख पाए। तब भाजपा के उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 40948 मतों के अंतर से हराया।
  • 2019 में भी लालू यादव ने उम्मीदवार बदला। इस बार उन्होंने अपने समधी पूर्व मंत्री चंद्रिका राय को चुनावी जंग में उतारा। परंतु राजद के हाथ इस बार भी हार ही लगी। भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूड़ी ने पूर्व मंत्री चंद्रिका राय को 138411 मतों के अंतर से हराया।


  • सारण लोकसभा में छह विधान सभा क्षेत्र पड़ते हैं। इनमे मढोरा, गरखा, परसा और सोनपुर विधानसभा में राजद के विधायक हैं। वही भाजपा का छपरा और अमनौर सीट पर कब्जा है।
  • सारण लोकसभा क्षेत्र 2009 में अस्तित्व में आई। पहले इसे छपरा सीट के नाम से जाना जाता था। छपरा से 1957 में प्रसपा के राजेंद्र सिंह पहले सांसद बने थे। 1962, 67 और 71 में कांग्रेस के रामशेखर जीते। 1977 में जनता पार्टी से लालू यहां से पहली बार जीते। 1980 में जनता पार्टी के सत्यदेव और 84 में रामबहादुर सांसद बने। 1989 में जनता दल से लालू फिर जीते। 90 और 91 में लालबाबू जनता दल के टिकट पर जीते। 1996 में भाजपा के लिए राजीव प्रताप रूडी ने पहली बार सीट जीती। 98 में राजद के हीरा लाल जीते, तो 99 में फिर रूडी जीते। 2004 में राजद से लालू जीते। 2009 में सीट सारण के नाम से जानी जाने लगी। लालू सांसद बने। 
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