Loksabha Election 2024: मछलीशहर लोकसभा सीट पर 2019 में भाजपा 181 वोट से जीत दर्ज की थी, जानें समीकरण

Machhlishahr Seat Parliament Constituency: लोकसभा चुनाव 2019 में पड़ोसी जिले वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी तो मछलीशहर में सबसे कम वोट का रेकॉर्ड भाजपा के नाम बना था। जानें इस बार का यहां का समीकरण

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update:2024-05-19 18:22 IST

Lok Sabha Election 2024: पूर्वांचल के जौनपुर और वाराणसी जिलों के विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनी मछलीशहर लोकसभा सीट की अपनी अलग राजनीतिक महत्ता है। यह प्रदेश के सुरक्षित 17 लोकसभा सीटों में से एक है। लोकसभा चुनाव 2019 में पड़ोसी जिले वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी तो मछलीशहर में सबसे कम वोट का रेकॉर्ड भाजपा के नाम बना। मछलीशहर सीट से संसद में पहुंचने वाले भाजपा के भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) ने मात्र 181 वोट से बसपा के त्रिभुवन राम को शिकस्तल दी थी। उस समय कांटे की टक्कीर के चलते देर रात तक वोटों की गिनती होती रही। भाजपा ने (भोलानाथ सरोज) बीपी सरोज पर दूसरी बार दांव लगाया है। जबकि सपा ने प्रिया सरोज को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने पूर्व आईएएस कृपाशंकर सरोज को उम्मीदवार बनाया है। इस बार यहां भाजपा जीत की हैट्रिक लगाने की तो विपक्ष वापसी की तैयारी कर रहा है।

Machhlishahr Lok Sabha Chunav 2019 Details


Machhlishahr Vidhan Sabha Chunav 2022 Details




Machhlishahr Lok Sabha Chunav 2014 Details


अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे त्रिभुवन राम को महज 181 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) को 4,88,397 और त्रिभुवन राम को 4,88,216 वोट मिले थे। वहीं सुभासपा के राज नाथ को 11,223 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के राम चरित्र निषाद ने बसपा के भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) को 1,72,155 वोट से हराकर यह सीट करीब एक दशक बाद भाजपा के झोली में डाली थी। इस चुनाव में राम चरित्र निषाद को 4,38,210 और भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) को 2,66,055 वोट मिले थे। जबकि सपा के तूफ़ानी सरोज 1,91,387 और कांग्रेस के तूफ़ानी निषाद को 36,275 वोट मिले थे। 

यहां जानें मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र के बारे में


  • मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 74 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन जौनपुर जिले के मछलीशहर, जफराबाद, मड़ियाहू व केराकत और वाराणसी जिले के पिंडरा विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • मछलीशहर लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर सपा और एक-एक पर अपना दल (सोनेलाल), सुभासपा और भाजपा का कब्जा है।
  • यहां कुल 18,48,306 मतदाता हैं। जिनमें से 8,62,427 पुरुष और 9,85,789 महिला मतदाता हैं।
  • मछलीशहर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,34,925 यानी 55.99 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

मछलीशहर लोकसभा सीट 1962 में पहली बार अस्तित्वह में आया। इससे पहले मछलीशहर का कुछ हिस्सा इलाहाबाद जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से जुड़ा था, जहां से देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का सीधा ताल्लुक रहा। इस सीट का परिसीमन कई बार होने से लोकसभा क्षेत्र का भूगोल समय-समय पर बदलता रहा। पहले चुनाव में यह सीट सुरक्षित रही तो बाद के कई चुनावों में साधारण सीट हो गई। 2009 में परिसीमन के बाद से यह फिर सुरक्षित सीट है। इस क्षेत्र से प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके सूरापुर (सुल्तानपुर जिला) के मूल निवासी श्रीपति मिश्र भी यहां से सांसद रह चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेसी दिग्गज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नागेश्वर द्विवेदी, राम मंदिर आंदोलन के अगुवा स्वामी चिन्मयानंद और राम विलास वेदांती जैसे नेताओं ने भी इस सीट से चुनाव जीतकर संसद में नुमाइंदगी की है। मछलीशहर लोकसभा सीट पर अब तक हुए 15 चुनाव में कांग्रेस, जनता पार्टी और भाजपा ने चार-चार बार जीत का स्वाद चखा है। जबकि सपा ने 2 और बसपा ने एक बार ही जीत का स्वाद चखा है।1984 के बाद को कांग्रेस का यहां से जीत नहीं हासिल हुआ है।

मछलीशहर लोकसभा सीट पर 1962 में हुए पहली बार चुनाव में कांग्रेस के गणपत राम ने जनसंघ के महादेव को हराकर सांसद बने। 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस के नागेश्वर द्विवेदी सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के राजकेशर सिंह ने कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया और नागेश्वर दिवेदी को हराकर सांसद बने। 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर शिव शरण वर्मा सांसद बने। लेकिन 1984 के चुनाव कांग्रेस ने वापसी की और श्रीपति मिश्रा ने लोकदल के शिव शरण को हराकर सांसद बने। उसके बाद इस सीट पर कांग्रेस की अब तक वापसी नहीं हुई। 

मछलीशहर लोकसभा सीट पर 1996 में पहली बार खिला कमल

90 के दशक में देश में चल रहे राम लहर के दौरान यहां भाजपा को सफलता नहीं मिली।1989 के चुनाव में जनता दल के शिवशरण वर्मा ने कांग्रेस के श्रीपति मिश्रा को हराकर सांसद बने। 1991 के चुनाव में भी शिवशरण ने भाजपा के राजकेशर सिंह को हरा दिया। लेकिन 1996 के चुनाव में भाजपा ने यहां कमल खिला दिया और राम विलास वेदांती जीतकर सांसद बने। फिर 1998 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद ने सपा के हरवंश सिंह को हराकर सांसद बने। 1999 के चुनाव में सपा के चन्द्र नाथ सिंह ने पहली बार यहां साइकिल दौड़ाई। लेकिन 2004 के चुनाव में बसपा ने उमाकांत यादव को टिकट दिया और उन्होंने सपा के चन्द्र नाथ सिंह को हराकर खाता इस सीट पर पार्टी का खाता खोला। 2009 में सीट सुरक्षित होने के बाद सपा के तूफानी सरोज ने बसपा के कमलाकांत गौतम को हराकर संसद पहुंचे।

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र का चुनावी मुद्दा

देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने अति पिछड़े क्षेत्र मछलीशहर के उत्थान के लिए मुंगराबादशाहपुर-मछलीशहर-जौनपुर के लिए रेल लाइन बिछाने की कार्य योजना बनाई थी। लेकिन वह महत्वाकांक्षी सोच उनके निधन के साथ ही सियासी गलियारे में गुम हो गई है। लोकसभा चुनाव 2014 में यहां से रामचरित्र निषाद सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे। इनके कार्यकाल में भी क्षेत्र को रेल लाइन की सौगात मिलने के दावे पर दावे खूब हुए लेकिन नतीजा फिर वही 'सिफर' ही रहा। 

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां दलित मतदाता ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसा नहीं है कि दूसरी जातियां आंकड़ों में इनसे कहीं कमतर हैं। अगर जातिगत आंकड़े देखें तो यादव समेत अन्य पिछड़ा वर्गों की संख्या दलित मतदाताओं से कहीं ज़्यादा है। ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाताओं को नज़रअंदाज़ करना भी पार्टियों को हार की माला पहना सकता है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 3 लाख दलित, 2 लाख यादव, 1 लाख पटेल और 2 लाख अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। इनके अलावा करीब 1 लाख ब्राह्मण, 1 लाख क्षत्रिय और 80 हजार मुस्लिम मतदाता हैं।

मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से गणपत राम 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से नागेश्वर द्विवेदी 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय लोकदल से राजकेशर सिंह 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से शिव शरण वर्मा 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से श्रीपति मिश्र 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से शिव शरण वर्मा 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राम विलास वेदांती 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से स्वामी चिन्मयानंद 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से चन्द्र नाथ सिंह 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से उमाकांत यादव 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से तूफ़ानी सरोज 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से राम चरित्र निषाद 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से भोलानाथ सरोज (बीपी सरोज) 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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