Loksabha Election 2024: महाराजगंज लोकसभा सीट पर भाजपा के दिग्गज उम्मीदवार का खेल बिगाड़ सकते हैं अमन मणि

Maharajganj Seat Parliament Constituency Details: महाराजगंज लोकसभा सीट पर जन कल्याणकारी योजनाओं व विकास से शुरू हुई बात अब जातीय समीकरण बैठाने में उलझ गई है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Update: 2024-05-23 12:48 GMT

Lok Sabha Election 2024: भारत-नेपाल की सीमा पर बसे यूपी के महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सियासी हलचल तेज हो गई है। यहां जन कल्याणकारी योजनाओं व विकास से शुरू हुई बात अब जातीय समीकरण बैठाने में उलझ गई है। भाजपा, कांग्रेस व बसपा के रणनीतिकार जातीय समीकरणों को साधते हुए कदम आगे बढ़ा रहे हैं। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को नौवीं बार भाजपा ने इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। अगर इस लोकसभा सीट में पंकज चौधरी जीत दर्ज करते हैं तो वह सातवीं बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व संसद में करेंगे। जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस ने वीरेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। इस सीट पर भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवार के बीच सीधी लड़ाई के आसार बन रहें हैं। वहीं बसपा उम्मीदवार मोहम्मद मौसमे आलम की चाल पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं। इस चुनाव में बसपा के परंपरागत वोट बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भाजपा व कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नामांकन के दिन से ही जातीय समीकरण साधने में जुट गईं। पार्टी के नेताओं को बुलाकर नामांकन सभा कराई गई।

नामांकन के दिन से ही जातीय समीकरण साधने में जुटे सभी दल


भाजपा उम्मीदवार पंकज चौधरी के नामांकन जुलूस में ब्राह्मण चेहरे के रूप में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद डा. रमापति राम त्रिपाठी शामिल हुए। वहीं कुर्मी समाज में अपना प्रभाव रखने वाले राज्यसभा सांसद कुंवर आरपीएन सिंह भी पहुंचे थे। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह व अन्य क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को भी जातीय समीकरण साधने के लिए बुलाया गया था। इस क्षेत्र में क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी मानी जाती है। इस सीट पर निषाद मतदाताओं को रिझाने के प्रयास भी चल रहे हैं। भाजपा ने इसके लिए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद को मैदान में उतार दिया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की भी जनसभा होगी। इसके जरिए यादव मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लाने का प्रयास किया जाएगा।

कांग्रेस उम्मीदवार को अमर मणि त्रिपाठी का मिला साथ


वहीं कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी के नामांकन सभा में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव मौजूद रहे। इसके जरिए अनुसूचित जाति एवं यादव मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की गई। कोल्हुई क्षेत्र के अड्डा बाजार में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सभा कराई गई है। जल्द ही राहुल और प्रियंका गांधी भी चुनावी जनसभा करके कांग्रेस के उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी पक्ष में मतदान करने की अपील करेंगे। नौतनवा के पूर्व विधायक अमन मणि त्रिपाठी भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उनके कांग्रेस में शामिल होने से जिले का सियासी गणित बदलते नज़र आने लगे हैं।पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी की यहां के ब्राह्मण मतदाताओं में खासी पैठ मानी जाती है। इसी के बूते ही पुत्र अमन मणि त्रिपाठी 2017 में नौतनवा से निर्दलीय विधायक बने थे। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पडा था। अमन मणि त्रिपाठी की वजह से भाजपा के परंपरागत वोटर ब्राह्मण अगर टूटे तो इसका भी फायदा कांग्रेस को होगा।

सपा को मुस्लिमों मतदाताओं पर विश्वास

महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 17 प्रतिशत है। सभी पार्टियां इन्हें अपने पाले में करने के लिए रिझाती हैं। लोकसभा चुनाव में यह निर्णायक भूमिका निभाते हैं। लेकिन उम्मीदवार बनाने में राजनीतिक दलों की रुचि नजर नहीं आती। मुस्लिम वोट बैंक का दावा करने वाली सपा ने भी यहां से कभी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा। 1980 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अशफाक हुसैन सांसद चुने गए थे। उन्हें एक लाख से अधिक वोट मिले थे। इसके बाद कांग्रेस ने इस सीट पर कभी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा। बसपा ने तलत अजीज को 1999 व 2004 के चुनाव में टिकट दिया था। दोनों चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

सजातीय मतदाताओं को रिझाने में जुटे दोनों उम्मीदवार

लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी, पटनवार व सैंथवार मतदाताओं की अच्छी संख्या है। अभी तक भाजपा के कोर वोटर रहे ये मतदाता इस बार कांग्रेस की तरफ से भी सजातीय उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी के उतरने से असमंजस में पड़ गए हैं। भाजपा उम्मीदवार पंकज चौधरी ने अपने इस परंपरागत वोट बैंक का बंटवारा रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। दूसरी तरफ विपक्षी उम्मीदवार इन वोटों में सेंधमारी करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बिरादरी में प्रभाव रखने वाले बड़े-बुजुर्गों को गांव-गांव भेज संबंधों की दुहाई देकर मतों का बिखराव रोकने का प्रयास किया जा रहा है। जिले के सिसवा विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी व पटनवार जाति के लोगों की बहुलता है। पनियरा विधानसभा क्षेत्र में सैंथवार व कुर्मी जाति के लोग अधिक हैं। फरेंदा में कुर्मी तो सदर विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी व पटनवार दोनों की संख्या है। भाजपा ने 1991 के चुनाव में पहली बार पंकज चौधरी को टिकट देकर यहां से कुर्मी मतदाताओं को साधने का प्रयास किया था।

महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र के मुद्दे

इस बार यहां बेरोजगारी, महंगाई और पेपर लीक बहुत बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा बंद चीनी मिलों को चालु करवाने का मामला सिर्फ चुनाव में ही देखने को मिलता है। महराजगंज जिले को मिनी पंजाब और धान के कटोरे की संज्ञा दी गई है। यहां पर कृषि विश्वविद्यालय या कृषि महाविद्यालय की स्थापना की मांग कई बार उठ चुकी है। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है। जिला मुख्यालय की सबसे बड़ी समस्या मुख्य चौराहे पर लगने वाली जाम है, जिससे राहत के लिए फ्लाईओवर की मांग काफी दिनों से चल रही है। जिले में गंडक, छोटी गंडक, राप्ती, रोहिन, चंदन, घोघी नदी व महाव नाला की बाढ़ हर साल बरसात में कहर बरपाती है। इसमें दो सौ से अधिक गांव प्रभावित होते हैं। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार 50 गांव मैरूंड हो जाते हैं। कुल 4387.88 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित होती है। बाढ़ रोकने के लिए बने बंधे मरम्मत के अभाव में खस्ता हाल है। नेपाल की पहाड़ियों से निकला महाव नाला हर साल टूटता है।


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