Lok Sabha Election 2024: महुआ मोइत्रा बनाम अमृता रॉय की लड़ाई बनी प्रतिष्ठा का सवाल

Lok Sabha Election 2024: मोइत्रा भाजपा को करारा जवाब देने के लिए बड़े जनादेश के साथ संसद में लौटना चाहती हैं। कहती हैं - पिछली बार मैं 60,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-05-11 14:30 IST

Amrita Roy and Mahua Moitra  (photo: social media ) 

Lok Sabha Election 2024: 1757 में प्लासी की लड़ाई में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के अंतिम स्वतंत्र शासक सिराज-उद-दौला को हराया और इसी के साथ भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई। प्लासी का युद्ध क्षेत्र अब मौजूद नहीं है लेकिन यह इलाका नादिया जिले में भागीरथी नदी के तट पर मौजूद है जो कृष्णानगर लोकसभा लात के अंतर्गत आता है। वैसे, प्लासी का असली नाम पलाशी था जो ‘पलाश’ के फूलों पर था। अंग्रेजों ने इसे प्लासी कहना शुरू किया था। कृष्णानगर में सिर्फ एक स्मारक है जो भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ की मार्मिक याद दिलाता है।

चुनावी संग्राम के केंद्र में

आज प्लासी, कृष्णानगर के बाकी हिस्सों के साथ, एक और दिलचस्प लड़ाई के केंद्र में है। इस बार लोकसभा चुनाव में कृष्णानगर एक हॉट सीट बन कर उभरी है। यहाँ से तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रखर आलोचक महुआ मोइत्रा को चुना है। कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में उनकी कथित संलिप्तता के बाद उन्हें संसद से निष्कासित कर दिया गया था। भाजपा ने अमृता रॉय को मैदान में उतारा है, जिनके पति सौमिश चंद्र रॉय पूर्व राजा कृष्णचंद्र रॉय के वंशज हैं। कृष्णानगर का नाम इन्हीं राजा के नाम पर रखा गया है।

प्रतिष्ठा का सवाल

मोइत्रा भाजपा को करारा जवाब देने के लिए बड़े जनादेश के साथ संसद में लौटना चाहती हैं। वे जनसभाओं में कहती हैं - पिछली बार मैं 60,000 से अधिक वोटों के अंतर से जीती थी। इस बार मैं एक लाख से अधिक वोटों की बढ़त चाहती हूं। महुआ का प्रचार अभियान संसद से अपने निष्कासन, भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति और ममता सरकार द्वारा लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित है।

उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि कृष्णानगर जीतना तृणमूल के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने मोइत्रा को पार्टी का नादिया जिला अध्यक्ष बनाया और उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी होने से पहले ही उनकी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी। ममता ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने अभियान की शुरुआत भी कृष्णानगर से की थी।

भाजपा की तैयारी

भाजपा ने भी पूरी तैयारी की हुई है। उसका लक्ष्य महुआ मोइत्रा को संसद में लौटने से रोकने के अलावा अपनी खोई जमीन वापस पाने का भी है। भाजपा 1998 में कृष्णानगर में दूसरे स्थान पर रही और 1999 में जीत हासिल की। 2004 में दूसरे स्थान पर आने के बाद वह 2009 और 2014 में तीसरे स्थान पर खिसक गई। लेकिन 2019 दूसरा स्थान जीतकर पार्टी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई।

1967 में स्थापित कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र वामपंथ का गढ़ था। सीपीआई (एम) ने 1971 से 1999 तक लगातार नौ बार इस सीट पर कब्जा किया। 2004 में इसने सीट फिर से हासिल कर ली, लेकिन तेहट्टा, छपरा और नकाशीपारा विधानसभा क्षेत्रों में मुसलमानों के मजबूत समर्थन के साथ, 2009 से इस पर तृणमूल का दबदबा रहा। इस बार सीपीआई (एम) के उम्मीदवार पूर्व विधायक एस.एम. सादी हैं।

भाजपा का फोकस संदेशखाली और तृणमूल नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में, महिला सुरक्षा से संबंधित मुद्दों के लिए तृणमूल को जवाबदेह ठहराने पर है। इसके अलावा पार्टी मोदी की गारंटी को हाईलाईट कर रही है। भाजपा प्रत्याशी अमृता रॉय कहती हैं - मैं महुआ मोइत्रा से नहीं लड़ रही हूँ। मैं भ्रष्टाचार से लड़ रही हूं और मैं अपनी माताओं और बहनों को एक सुरक्षित जीवन प्रदान करने के लिए लड़ रही हूं।

विवाद प्लासी का

जब भाजपा ने अमृता रॉय को अपना उम्मीदवार घोषित किया तो शाही परिवार के इतिहास पर विवाद खड़ा हो गया। तृणमूल का दावा था कि प्लासी की लड़ाई में राजा कृष्णचंद्र ने अंग्रेजों का साथ दिया था। रॉय ने उनका बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने "सनातन धर्म की रक्षा" के लिए ऐसा किया। हालाँकि इस विवाद ने बहुत कम तूल पकड़ा। इसके बजाय, मतदाता फ्लाईओवर, रेलवे लाइन विस्तार और पानी की आपूर्ति की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर अधिक चिंतित हैं।

कृष्णानगर में मतुआ अनुसूचित जाति की आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं। मूल रूप से बांग्लादेश के ये लोग लंबे समय से बिना शर्त भारतीय नागरिकता की मांग कर रहे हैं। कम भुगतान और रोजगार की कमी किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए प्रमुख चिंताएं हैं।

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