Loksabha Election 2024: मिर्जापुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार को तीसरी बार नहीं मिलता मौका, जानें यहां का समीकरण

Loksabha Election 2024 Mirzapur Seats Details: इस सीट पर फूलन देवी के अलावा अजीम इमाम, उमाकांत मिश्र, वीरेंद्र सिंह और वर्तमान सांसद अनुप्रिया सिंह पटेल को दो बार सांसद बनने का गौरव हासिल कर चुके हैं।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-04-05 15:10 GMT

Loksabha Election 2024 Mirzapur Seats Details: यूपी का मिर्जापुर उन चंद चुनिंदा लोकसभा सीटों में से एक है जिसकी अपनी ही राजनीतिक महत्ता है। मिर्जापुर शब्द 'मिर्जा' से लिया गया है जो फारसी शब्द 'ट्रिप कलचू' का अनुवाद है, जिसका अर्थ है शासक या अमीर का बच्चा। मिर्जापुर लोकसभा सीट से एनडीए की सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया सिंह पटेल 2014 लगातार सांसद हैं। उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार राम चरित्र निषाद को 2,32,008 वोटों से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की थी। अनुप्रिया सिंह पटेल को 5,91,564 और राम चरित्र निषाद को 3,59,556 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी तीसरे स्थान पर थे। उन्हें महज 91,501 वोट मिले थे। इस चुनाव में 15,353 मतदाताओं ने नोटा का भी प्रयोग किया था।


मिर्जापुर लोकसभा सीट पर 2014 से हैं सांसद अनुप्रिया

वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया सिंह पटेल ने बसपा के समुद्र बिंद को 2,19,079 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। तब कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी 1,52,666 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। जबकि समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र सिंह पटेल 1,08,859 वोट पाकर चौथे स्थान पर थे। मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 79 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का गठन मिर्जापुर जिले के छानबे, चुनार, मड़िहान, मझवां और मिर्जापुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों एनडीए का कब्जा है। जिसमें से 3 भाजपा 1 अपना दल (सोनेलाल) और 1 निषाद पार्टी के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 18,45,150 मतदाता हैं। जिनमें से 8,71,275 पुरुष और 9,73,720 महिला मतदाता हैं। बता दें कि मिर्जापुर लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 11,09,059 यानी 60.11 प्रतिशत मतदान हुआ था।


अनुप्रिया सिंह पटेल के पिता सोनेलाल पटेल उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में से एक थे। सोनेलाल पटेल सबसे बड़े कुर्मी नेता माने जाते थे। जो बसपा के संस्‍थापकों में से एक थे। सोनेलाल ने कांशी राम से मतभेद के बाद 1995 में अपना दल नाम से राजनीत‍कि पार्टी का गठन किया था। लेकिन सोनेलाल पटेल कभी भी चुनाव जीतने में सफल नहीं हुए। 2009 में सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया, इसके बाद अनुप्र‍िया सिंह पटेल अपना दल की राष्‍ट्रीय महासचि‍व बनीं और यहीं से उन्‍होंने सत्‍ता का सियासी सफर तय किया। यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में उन्होंने वाराणसी के रोहनिया सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 में उनकी पार्टी ने भाजपा से गठबंधन कर लिया। फिर उन्होंने मिर्जापुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। ऐसे में उनकी रोहनिया सीट खाली हो गई। अनुप्रिया चाहती थीं कि रोहनिया सीट से उनके पति चुनाव में खड़े हो लेकिन मां कृष्णा पटेल ने इस सीट से खुद चुनाव लड़ा और हार गईं। इसके बाद से ही पारिवारिक विवाद बढ़ने लगा। मां से अलग विचार होने के कारण उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। हालांकि तब तक अनुप्रिया पटेल कैबिनेट में मंत्री बन चुकी थीं। उन्होंने 2016 में खुद की पार्टी अपना दल (एस) बना ली। उनके पिता की पार्टी से कई नेता और कार्यकर्ताओं ने अनुप्रिया का हाथ थाम लिया। सोने लाल पटेल की पार्टी के दो टुकड़े हो गए। इसके बाद अनुप्रिया साल 2018 में अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष बनीं। अनुप्रिया सिंह पटेल का जन्म 28 अप्रैल 1981 को कानपुर जिले में हुआ था। उन्होंने लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में मास्टर्स किया। फिर कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की है। उन्होंने कुछ दिनों तक एमिटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया भी है। अनुप्रिया सिंह पटेल की तीन बहनें हैं। उनकी शादी आशीष सिंह पटेल से हुई है और उनके दो बच्चे हैं।

ललितेशपति त्रिपाठी इस बार भदोही लोकसभा सीट से लड़ रहे हैं चुनाव


ललितेशपति त्रिपाठी इस बार ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के टिकट से सोनभद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। ये उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पौत्र हैं। वे कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में आए हैं। वे एक समय प्रियंका गांधी के बेहद करीबी थे। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ भी उनके अच्छे संबंध हैं। ललितेशपति त्रिपाठी ने साल 2012 में मिर्जापुर के मड़िहान विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। साल 2019 का लोकसभा चुनाव ललितेशपति त्रिपाठी हार गए थे। उसके बाद कांग्रेस पर उपेक्षा का आरोप लगाकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और 2021 के अक्टूबर में पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी दल ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

यूपी का सोनभद्र कभी प्रदेश का सबसे बड़ा जिला था, लेकिन 1989 में विभाजन कर मिर्जापुर को नया जिला बना दिया गया। कभी कजरी और बिरहा मिर्जापुर की फिजाओं में गूंजते थे। मैकल पर्वतमाला से घिरे मिर्जापुर में मां विंध्यवासिनी का दरबार है। मान्यता है कि यह 51 शक्तिपीठों में प्रथम और अंतिम शक्तिपीठ है जो गंगा तट पर स्थित है। इसके साथ ही लाल भैरव मंदिर, सीता कुंड, तारकेश्वर महादेव, चुनार का किला, गुरुद्वारा गुरु दा बाघ, विंध्य झरना, टंडा जलप्रपात, यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। इसके अलावा मिर्जापुर पीतल उद्योग के लिए भी पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां बनने वाले पीतल के बर्तन दूर-दूर तक जाते हैं। साथ ही इस जिले में चीनी मिट्टी से बने बर्तन भी काफी मशहूर हैं। मिर्जापुर लोकसभा सीट से कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। 1952 में पहली बार कांग्रेस के जॉन एन विल्सन ने जीत हासिल की थी।  इसके बाद 1957 में भी वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। कांग्रेस 1962 तक यहां से जीतती रही। लेकिन 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1971 में फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में जनता पार्टी के फकीर अली अंसारी सांसद चुने गए। 1980 में इंदिरा की वापसी के बाद यहां भी कांग्रेस की वापसी हुई। इसके बाद 1981 में उपचुनाव और 1984 में इंदिरा की हत्या के बाद में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस पार्टी को यहां की जनता ने लोकसभा में भुला दिया है। बता दें कि पिछले 40 सालों से इस सीट पर कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। यह सीट 2008 तक मिर्जापुर-भदोही लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद मिर्जापुर अलग और भदोही लोकसभा बन गया। अलग मिर्जापुर लोकसभा बनने के बाद सपा के बाल कुमार पटेल यहां के पहले सांसद बने थे।

मिर्जापुर लोकसभा सीट से तीसरी बार नहीं मिला किसी भी सांसद को मौका

चंबल के बीहड़ों से संसद तक पहुंचने वाली दस्यु सुंदरी के नाम से मशहूर फूलन देवी को भी इसी सीट से पहली बार सांसद बनने का मौका मिला। वह दो बार यहां से सांसद चुनी गईं। फूलन के अलावा अजीम इमाम, उमाकांत मिश्र, वीरेंद्र सिंह और वर्तमान सांसद अनुप्रिया सिंह पटेल दो-दो बार यहां से सांसद बनने का गौरव हासिल कर चुके हैं। लेकिन मिर्जापुर लोकसभा सीट देश की ऐसी सीटों में शामिल हैं जहां से तीसरी बार कोई सांसद नहीं बना है। अब अनुप्रिया सिंह पटेल तीसरी बार भी यहीं से मैदान में उतरकर इस मिथक को तोड़ेंगी या कोई और सीट चुनेंगी, यह अभी तय नहीं है।  

मिर्जापुर लोकसभा में जातीय समीकरण

मिर्जापुर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर पिछड़े वर्ग की आबादी 49 प्रतिशत के करीब है। इसके अलावा अनुसूचित जाति लगभग 25 प्रतिशत और सामान्य वर्ग की मिर्जापुर में जनसंख्या 23 प्रतिशत बताई जाती है। जबकि मुस्लिमों की जनसंख्या 1, 95,000 है। ईसाइयों की जनसंख्या 2300 के आसपास है।  यहां पर कुल 70,000 यानी 18 प्रतिशत वैश्य मतदाता हैं। वैश्य समाज को भाजपा का पारंपरिक मतदाता माना जाता है। इसके अतिरिक्त कुर्मी समाज के मतदाता 13 प्रतिशत के करीब हैं।

मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से जेएन विल्सन 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से श्याम धर मिश्र 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनसंघ से वंश नारायण सिंह 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अजीज इमाम 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से फकीर अली अंसारी 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से अजीज इमाम 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से उमाकांत मिश्र 1981 और 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से युसूफ बेग 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से वीरेन्द्र सिंह 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से फूलन देवी 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से वीरेन्द्र सिंह 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से फूलन देवी 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • सपा से राम रति बिंद 2002 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से नरेंद्र कुशवाह 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • बसपा से रमेश दुबे 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से बाल कुमार पटेल 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • अपना दल (सोनेलाल) से अनुप्रिया सिंह पटेल 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
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