Lok Sabha Election: मिश्रिख (एससी) लोकसभा क्षेत्र, जानें किस करवट बैठेगा चुनावी ऊंट

Lok Sabha Election: मिश्रिख लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाता ज्यादा हैं। पासी वोटों की अधिकता होने के नाते ज्यादातर पार्टियां यहां से पासवान प्रत्याशी को ही खड़ा करती हैं। ओबीसी में कुर्मी, गड़रिया, काछी, कहार और यादव भी काफी संख्या में हैं।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-05-12 14:37 IST

Lok Sabha Election (Pic: Social Media)

Lok Sabha Election: पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऋषि महर्षि दधीचि का जन्म यहीं हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन अंतिम सांस तक यहीं बिताया था। इसलिए यह क्षेत्र दधीचि कुंड के कारण भी प्रसिद्ध है।मिसरिख का किला महमुदाबाद, महर्षि व्यास गाड़ी यहां के प्रसिद्ध पर्यटन और धार्मिक स्थल हैं। पिहानी में धोबिया आश्रम और प्रहलाद घाट के पास बूढ़े बाबा मंदिर भी चर्चित धार्मिक स्थलों में से है।

विधानसभा क्षेत्र

मिश्रिख लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र – बालामऊ (एससी), संडीला, बिल्हौर (एससी), मिसरिख (एससी) और मल्लावां आते हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन सभी पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

मिश्रिख सीट से मौजूदा सांसद अशोक रावत (Pic: Social Media) 

जातीय समीकरण

मिश्रिख लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाता ज्यादा हैं। पासी वोटों की अधिकता होने के नाते ज्यादातर पार्टियां यहां से पासवान प्रत्याशी को ही खड़ा करती हैं। ओबीसी में कुर्मी, गड़रिया, काछी, कहार और यादव भी काफी संख्या में हैं। 25 लाख 66 हजार 927 मतदाता वाली इस सीट की 90 फीसदी आबादी ग्रामीण है।

सपा उम्मीदवार संगीता राजवंशी (फोटो: सोशल मीडिया)

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- मिश्रिख सीट पर किसी जमाने में कांग्रेस का दबदबा था। लेकिन बीते दो चुनाव से बीजेपी को यहां से जीत मिल रही है।

- मिश्रिख सीट सीतापुर की मिश्रिख विधानसभा, हरदोई की बालामऊ, मल्लावां और संडीला तथा कानपुर की बिल्हौल विधानसभा सीट को मिलाकर बनाई गई है।

- साल 1962 में अस्तित्व में आई मिश्रिख की सीट पर पहली विजय जनसंघ के गोकरण प्रसाद को मिली थी। इसके बाद साल 1967 में कांग्रेस ने जनसंघ का रास्ता रोक दिया। कांग्रेस के संकटा प्रसाद ने जीत दर्ज की। 1971 के चुनाव में संकटा प्रसाद ने अपनी जीत दोहरा दी।

- इमरजेंसी के बाद 1977 के चुनाव में हेमवंती नंदन बहुगुणा गुट के नेता रामलाल राही ने कांग्रेस के संकटा प्रसाद को हरा दिया। वह भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़े थे। हालांकि, जीत के बाद वह भी कांग्रेस में शामिल हो गए।

- 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने राम लाल राही को ही टिकट दिया और वह जीत भी गये। 1991 तक उनका विजय अभियान जारी रहा।

- 1996 में पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद मिश्रिख में कांग्रेस का स्वर्णकाल समाप्त हो गया।

- साल 1998 में बसपा ने भाजपा से यह सीट छीन ली। रमाशंकर भार्गव सांसद बने।

- 1999 में सपा प्रत्याशी सुशीला सरोज सांसद बनीं।

- इसके बाद 2004 और 2009 में लगातार बसपा के अशोक रावत ने जीत दर्ज की।

- 2014 में बीजेपी की डॉ. अंजू बाला ने जीत दर्ज की।

- 2019 के चुनाव में अशोक रावत बसपा छोड़ भाजपा में आ गए। उन्होंने यहां से फिर जीत दर्ज कर ली और सांसद बन गए।

इस बार के उम्मीदवार

- भाजपा ने इस बार के चुनाव में अपने मौजूदा सांसद डॉक्टर अशोक कुमार रावत पर भरोसा जताया है। इंडिया गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में आई है। सपा ने संगीता राजवंशी को टिकट देकर मैदान में उतारा है। वह रिश्ते में डॉक्टर रावत की सलहज हैं। बहुजन समाज पार्टी ने डॉक्टर बीआर अहिरवार को टिकट दिया है।

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