Mohanlalganj Lok Sabha Seat: दो बार के सांसद रहे कौशल किशोर अपनी इन खामियों की वजह से हारे चुनाव

Mohanlalganj Lok Sabha Seat: अधिकारियों पर पकड़ न होने से नाराज रही जनता, क्षेत्र का विकास न करना पड़ा भारी

Newstrack :  Network
Update: 2024-06-05 09:51 GMT

Mohanlalganj Lok Sabha Seat

Mohanlalganj Lok Sabha Seat: 4 जून को आए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने मोदी लहर में जीतकर अब तक केंद्रीय मंत्रालय पहुंचते रहे कई बड़े नेताओं को किनारे लगा दिया है। इस बार उत्तर प्रदेश में मोदी लहर नहीं चली जिस वजह से तमाम सांसद अपनी कुर्सी तक नहीं बचा पाए। इसी सूची में एक नाम लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से दो बार के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर का भी आता है। क्षेत्र की जनता ने लगातार 2 बार विजयी बनाने के बाद तीसरी बार कौशल को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक दिया और उनकी जगह समाजवादी पार्टी के आरके चौधरी के सिर पर सांसदी का ताज सजा दिया।

जनता की नाराजगी इन चुनावों में इस कदर हावी रही की उन्हें 70 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। नाराजगी का कारण मूलरूप से क्षेत्र के विकास की अनदेखी, जमीनी मुद्दों से दूरी और पारिवारिक कलह मानी जा रही है। इस बार मोहनलालगंज से सांसद बने आरके चौधरी 2014 में बसपा और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। हालाँकि पिछले दोनों चुनावों में उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इस बार चुनाव के शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे की इस पर कांटे की टक्कर होगी लेकिन आरके चौधरी ने 70 हजार वोटों के बड़े अंतराल से जीत हासिल कर सभी कयासों पर पानी फेर दिए। काउंटिंग शुरू होने से लेकर अंत तक सभी राउंड में आरके चौधरी ही बढ़त बनाए रहे और अंत में विजयी घोषित हुए।


लम्बा राजनीतिक अनुभव और परिवार के दो विधायक भी नहीं जिता सके सांसदी

वर्ष 2002 में पहली बार विधायक बने कौशल किशोर लम्बा राजनीतिक अनुभव रखते हैं। वह वर्ष 2003-04 में उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी रहे जिसके बाद फिर 2014 में वह सांसद बने। साथ ही 2014 से 2018 के बीच गृह मंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य भी रहे। इसके अलावा 2018-19 में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य रहे। वर्ष 2019 में ही वह दोबारा मोहनलालगंज सीट से सांसद चुने गए और 2019-21 के दौरान वह पुनः विभिन्न मंत्रालयों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य बने। इसके बाद वर्ष 2021 में कौशल किशोर केंद्र सरकार में राज्य मंत्री बनाए गए। मोहनलालगंज लोकसभा सीट की दो विधानसभाओं में एक से कौशल की पत्नी जय देवी विधायक हैं जबकि दूसरी सीट से उनकी पत्नी के भाई अमरेश कुमार विधायक हैं। इसके बावजूद इस बार कौशल किशोर सांसदी नहीं जीत सके।


विकास के ये जरूरी मुद्दे रह गए अधूरे, परेशान जनता ने बदला दिया सांसद

सपा छात्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज पासवान कहते हैं कि मोहनलालगंज की जनता कौशल किशोर द्वारा क्षेत्र का विकास न किए जाने से बेहद नाराज है। लोकसभा क्षेत्र में गोसाईंगंज, मोहनलालगंज, नगराम समेत एक बड़ा इलाका ऐसा है जहाँ कोई सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। कई बार मांग करने के बावजूद कौशल क्षेत्र को एक डिग्री कॉलेज तक नहीं दिला पाए। इसके अलावा क्षेत्र में दो गांवों में नहर पर पुल, खस्ताहाल ग्रामीण सड़कें, गोसाईंगंज और मोहनलालगंज में रेलवे क्रासिंग पर आरओबी बनने की मांग भी एक दशक से अधूरी है। इसके अलावा उनकी पारिवारिक कलह और बेटों का आपराधिक घटनाओं में नाम आना भी हार का कारण बना। आखिरकार इस सब का खामियाजा उन्हें हार के रूप में भुगतना पड़ा।

तो क्या मतदान के बाद ही कौशल को हो गया था हार का एहसास

बीती 20 मई को उत्तर प्रदेश में 5वें चरण के मतदान के तहत लखनऊ की दोनों सीटों पर मतदान हुआ था। मतदान के दो दिन बाद 22 मई को उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट की और उसमें लिखा कि ''इस चुनाव में अच्छे-अच्छे लोगों की एक बार फिर पहचान हुयी।'' इसके 4 दिन बाद 26 मई को फिर उन्होंने दूसरी पोस्ट करते हुए लिखा कि ''भीतरघाती भीतरघात करके बहुत खुश होते हैं लेकिन उन्हें कोई पसंद नहीं करता है इसीलिये लोग अपने बच्चे का नाम विभीषण नहीं रखते हैं सभी भीतरघातियों की पहचान हो चुकी है।'' स्थानीय जानकारों की माने तो कौशल की हार में सरोजनीनगर विधानसभा में पार्टी के कई बड़े नेताओं का असहयोग भी कारण रहा है। अन्य विधानसभाओं में भी भाजपा विधायक होने के बावजूद उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। वहीं, फेसबुक पर उनकी पोस्ट के बाद से ही लोग अनुमान लगा रहे थे की शायद इस चुनाव में कौशल को अपनी हार का अंदाजा हो गया है। अंततः नतीजे आने के बाद लोगों की बात सही साबित हुई।


दलित वोट बैंक की समझ और सभी जातियों के सहयोग ने आरके चौधरी को जिताया

सपा छात्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव मनोज पासवान बताते हैं की मोहनलालगंज सीट से चुनाव जीतना किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन सपा पीडीए की नीतियों को लेकर जनता के बीच गई। साथ ही संविधान, आरक्षण और विकास की नीतियां भी जनता के बीच रखी। इसके अलावा दलित वोटबैंक की बेहतर समझ और दलितों पर पकड़ का फायदा भी आरके चौधरी को मिला है।इन चुनावों में आरके चौधरी को यादव, दलित, मुस्लिमों के अलावा सवर्ण वोट भी बड़ी संख्या में मिला है। इसके अलावा मोहनलालगंज सीट से सपा के पूर्व विधायक रहे अमरीश पुष्कर भी वोटबैंक को सपा की तरफ मोड़ने में कामयाब रहे।


मनोज कहते हैं कि पूर्व विधायक समेत सपा के तमाम नेताओं ने घर-घर जाकर जनता से संपर्क किया और अंततः सभी लोग मतदाताओं को सपा की तरफ मोड़ने में कामयाब रहे।

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