Loksabha Election 2024: मोहनलालगंज लोकसभा सीट कौशल किशोर कर रहे हैट्रिक लगाने की तैयारी, जानें समीकरण

Mohanlalganj Seat Loksabha Election 2024: भाजपा ने कौशल किशोर को तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने आरके चौधरी पर दांव लगाया है। है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update: 2024-05-16 10:06 GMT

Mohanlalganj Seat Loksabha Election 2024

Mohanlalganj Seat Loksabha Election 2024: यूपी की राजधानी लखनऊ और उन्नाव जिले के बीच में स्थित मोहनलालगंज लोकसभा सीट की गिनती प्रदेश के हॉट सीटों में होती है। इस सीट पर लखनऊ का असर देखने को मिलता है। कभी कांग्रेस और सपा का गढ़ कहे जाने वाले मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर भाजपा के कौशल किशोर का कब्जा है । वह अभी मोदी सरकार में मंत्री हैं। भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाने के लिए उनको तीसरी बार उम्मीदवार बनाया है। जबकि सपा ने आरके चौधरी पर दांव लगाया है। जबकि बसपा ने राजेश कुमार को चुनावी रण में उतारा है। यहां इस बार लड़ाई भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने की और सपा को वापसी करने की है। जबकि बसपा इस सीट पर अपना खाता खोलना चाहती है। अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के कौशल किशोर ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे सीएल वर्मा को 90,204 वोट से हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में कौशल किशोर को 6,29,999 और सीएल वर्मा को 5,39,795 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के आरके चौधरी को महज 60,069 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान कौशल किशोर ने कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर बसपा के आरके चौधरी को 1,45,416 वोट से हराकर 18 साल बाद इस सीट पर दुबारा कमल खिलाया। इस चुनाव में कौशल किशोर को 4,55,274 और आरके चौधरी को 3,09,858 वोट मिले थे। जबकि सपा के सुशीला सरोज को 2,42,366 और कांग्रेस के नरेंद्र गौतम को 52,598 वोट मिले थे।


Mohanlalganj Vidhan Sabha Chunav 2022 




Mohanlalganj Lok Sabha Chunav 2014 


Mohanlalganj Vidhan Sabha Chunav 2017




यहां जानें मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Mohanlalganj Seats Parliament Constituency Details)

  • मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 34 है।
  • यह लोकसभा क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया था।
  • इस लोकसभा क्षेत्र का गठन लखनऊ जिले के मलिहाबाद, बख्शी का तालाब, सरोजिनी नगर व मोहनलालगंज और सीतापुर जिले के सिधौली विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
  • मोहनलालगंज लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।
  • यहां कुल 20,23,431 मतदाता हैं। जिनमें से 9,40,429 पुरुष और 10,82,912 महिला मतदाता हैं।
  • मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 12,70,580 यानी 62.79 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Mohanlalganj Seats Political History)

मोहनलालगंज की जमीन क्रांति का इतिहास भी समेटे है और आम के खास स्वाद का वर्तमान भी। बगल की लखनऊ सीट को इसने पीएम चुनते देखा है। लेकिन फैसला करने का इसका अपना ही अंदाज रहा है। यह यूपी की उन चुनिंदा सीटों में है, जिसने यहां हुए 15 चुनावों में 8 बार आधी आबादी को संसद भेजा है। यहां के मतदाताओं ने जिसको दिल में बसाया है, उसका लंबा साथ निभाया है। यह सीट 1962 में अस्तित्व में आई तो पहले चुनाव में इसने पड़ोसी लखनऊ से ताल से ताल मिलाई और कांग्रेस के उम्मीदवार गंगा देवी को संसद भेजा। लखनऊ ने भी पहले चुनाव में आधी आबादी को ही प्रतिनिधित्व दिया था। जीत की हैट्रिक लगाने वाली गंगा देवी व कांग्रेस का विजय रथ 1977 में जनता पार्टी के रामलाल कुरील ने रोका। हालांकि, कांग्रेस की 1980 में फिर वापसी हुई और जीत का सिलसिला 1984 तक चला। यूपी की अधिकतर लोकसभा सीटों की तरह यहां भी इसके बाद कांग्रेस का खाता नहीं खुला। 1990 में जनता दल के एसपी सरोज ने कांग्रेस की राह बंद की तो फिर खुल नहीं सकी।

1990 के बाद इस सीट पर खुला भाजपा और सपा का खाता

देश में 90 के दशक में चल रहे रामलहर के दौरान यहां की सियासत ने भी करवट बदली। धर्म और जाति चुनाव का केंद्रीय मुद्दा हो गया। इसी बीच 1991 के चुनाव में लखनऊ से भाजपा के सबसे बड़े चेहरे अटल बिहारी वाजपेयी ने पर्चा भरा। बगल में अटल आए तो मोहनलालगंज में भी पहली बार कमल खिल गया। भाजपा के छोटे लाल 10 हजार वोटों से चुनाव जीत गए। 1996 में पूर्णिमा वर्मा ने भाजपा की जीत को कायम रखा। हालांकि, यहीं से मोहनलालगंज ने राह बदल ली। 1998 में जब लखनऊ अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में देश का पीएम चुन रहा था, तब पड़ोस ने विपक्ष चुना। पहली बार इस सीट पर सपा का खाता खुला और रीना चौधरी संसद पहुंचीं। यहां का जातीय गणित सपा के लिए ऐसा मुफीद बैठा कि चार चुनाव तक साइकल ही दौड़ी। दो बार रीना चौधरी, उनके बाद जयप्रकाश रावत और फिर सुशीला सरोज के लिए सपा के टिकट पर संसद के दरवाजे खुले।

बसपा को आज तक नहीं मिला सफलता

जब भी आरक्षित सीटों की बात होती है तो दलित वोट बैंक मुखर होने लगता है। स्वाभाविक तौर पर यह बसपा की जमीन लगती है। लेकिन, मोहनलालगंज की सियासी जमीन बसपा के लिए बंजर ही रही है। पिछले तीन दशक में हर चुनाव में उतरी बसपा एकाध बार जीत के करीब तो पहुंची, लेकिन फिसल गई। 1989 में बसपा पहली बार चुनाव में उतरी तो उसे 8 प्रतिशत वोट मिले। 1996 आते-आते उसने अपनी स्थिति बेहतर की और 27 प्रतिशत वोटों के साथ तीसरे नंबर पर पहुंची। 2004 में सपा से कांटे की लड़ाई में 2568 वोटों से बसपा जीत से दूर रह गई। यह इस सीट पर सबसे नजदीकी लड़ाई थी। 2009, 2014 और 2019 में भी बसपा को दूसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा है।

मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण

मोहनलालगंज लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां यहां लगभग 6 दलित मतदाता हैं, इनमें भी 4 लाख पासी हैं, जिस बिरादरी से वर्तमान सांसद कौशल किशोर आते हैं। करीब 2 लाख ब्राह्मण, पौने दो लाख ठाकुर, इतने ही लोधी, मौर्य जैसी अति पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं, जिसमें भाजपा खुद को सहज पाती है। बीकेटी व सरोजनीनगर का एक बड़ा हिस्सा शहरी आबादी का है। जातीय गणित से इतर योजनाओं के जमीनी अमल से लाभार्थी वोट बैंक का भी विस्तार हुआ है।

मोहनलालगंज लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Mohanlalganj Me Sansad Kaun Hai)

  • कांग्रेस से गंगा देवी 1962, 1967 और 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • जनता पार्टी से राम लाल कुरील 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से कैलाश पति 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से जगन्नाथ प्रसाद 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से सरजू प्रसाद सरोज 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से छोटेलाल 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से पूर्णिमा वर्मा 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • सपा से रीना चौधरी 1998 और 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • सपा से जय प्रकाश रावत 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से सुशीला सरोज 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
  • भाजपा से कौशल किशोर 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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