Loksabha Election 2024: मुरादाबाद लोकसभा सीट पर दूसरी बार खिलेगा कमल? जानें यहां की सियासी फिजा

Loksabha Election 2024 Moradabad Seats Details: भाजपा ने सर्वेश सिंह और बसपा ने मो. इरफान को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। इस सीट पर इंडिया गठबंधन और भाजपा में कड़ी टक्कर देखने को मिल रहा है।

Written By :  Sandip Kumar Mishra
Written By :  Yogesh Mishra
Update:2024-04-11 16:15 IST

Loksabha Election 2024: देश की राजधानी दिल्ली से 167 किमी की दूरी पर स्थित पश्चिमी यूपी का मुरादाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवार को बदलकर सुर्खियों में ला दिया है। सपा ने डॉ. एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने सर्वेश सिंह और बसपा ने मो. इरफान को उम्मीदवार के रूप में उतारा है। इस सीट पर इंडिया गठबंधन और भाजपा में कड़ी टक्कर देखने को मिल रहा है।

भाजपा दूसरी बार कमल खिलाने की लड़ाई लड़ रही है। आरएलडी इस बार भाजपा के साथ है। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा, बसपा और आरएलडी ने प्रदेश में चुनावी तालमेल कर लिया था और यहां से डॉ. एसटी हसन को मैदान में उतारा था। डॉ. एसटी हसन ने भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह को 98,122 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में डॉ. एसटी हसन को 6,49,538 और कुंवर सर्वेश सिंह को 5,51,416 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस ने यहां से इमरान प्रतापगढ़ी को मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें महज 59,198 वोट पाकर संतोष करना पड़ा था।

वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मुजफ्फरनगर दंगों से बदली हवा और मोदी लहर के दौरान भाजपा के कुंवर सर्वेश सिंह ने सपा के डॉ. एसटी हसन को 87,504 वोटों से हराकर पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में कुंवर सर्वेश सिंह को 4,85,224 और डॉ. एसटी हसन को 3,97,720 को वोट मिले थे। जबकि बसपा के हाजी मोहम्मद याक़ूब को 1,60,945, पीस पार्टी के इंजीनियर मोहम्मद इरफ़ान को 25,840 और कांग्रेस के बेगम नूर बानो को महज 19,732 वोट ही मिले थे। मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 06 है। इसमें वर्तमान में 5 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।


इस लोकसभा क्षेत्र का गठन मुरादाबाद जिले के कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद नगर, मुरादाबाद देहात और बिजनौर जिले के बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है। फिलहाल इन 5 सीटों से 2 पर भाजपा और 3 पर सपा के विधायक हैं। यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था। यहां कुल 19,58,939 मतदाता हैं। जिनमें से 9,10,023 पुरुष और 10,48,819 महिला मतदाता हैं। बता दें कि मुरादाबाद लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 12,82,206 यानी 65.46 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास

यूपी का मुरादाबाद शहर पीतल नगरी के नाम से मशहूर है। पीतल के शानदार काम के लिए यह शहर अमेरिका और यूरोप समेत पूरी दुनिया में विशेष पहचान रखता है। आधुनिक कारीगरों की ओर से आकर्षक और कलात्मक पीतल के बर्तन, गहने और ट्रॉफियां बनाई जाती हैं। यहां पर पीतल से बनी चीजें दुनियाभर के बाजार में सोने का भाव दिलाती है। शहर 8-10 हजार करोड़ रुपए का सालाना निर्यात करता है। रामगंगा नदी के किनारे बसा यह शहर अक्सर बाढ़ की समस्या से दो-चार होता है। मुरादाबाद शहर की स्थापना साल 1600 में मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे मुराद ने की थी। उनके नाम पर ही शहर मुरादाबाद कहा जाने लगा। यहीं के प्रसिद्ध उर्दू कवि जिगर मुरादाबादी ने लिखा था, 'उन का जो फर्ज है, वो अहल-ए-सियासत जानें, मेरा पैगाम मोहब्बत है, जहां तक पहुंचे'। यह अलग बात है कि सियासत ने जिगर के पैगाम की धार उनके ही शहर में कुंद कर दी।

इस सीट पर बसपा का नहीं मिली है सफलता

लोकसभा चुनाव में पक्ष या हो विपक्ष दोनों को वोटों का ध्रुवीकरण सुहाता है। यहां की जनता से बसपा को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख दलों के चेहरों को चुनकर संसद भेजा है। आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने लगातार 2 बार जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के रामसरन को दोनों बार जीत मिली। 1962 में यहां पहला बदलाव हुआ और सैयद मुजफ्फर हुसैन को जनता ने निर्दलीय चुनकर संसद भेजा। जनता का फिर मन बदला और 1967 और 1971 में जनसंघ को जिताकर भेजा। 1977 में जनता पार्टी की आंधी में मुरादाबाद भी बहा और जनता पार्टी के गुलाम मोहम्मद खान सांसद चुने गए। 1980 के चुनाव में भी जनता ने उन्हें ही मौका दिया। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए चुनाव में जीत तो कांग्रेस के हाफिज मोहम्मद ने हासिल की। लेकिन 4 साल पहले अस्तित्व में आई भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई। उसे 83,000 से अधिक वोट मिले। 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर मुरादाबाद ने गुलाम मोहम्मद खान को फिर मौका दिया, लेकिन 1991 के बाद यहां भाजपा स्थायी प्रतिद्वंद्वी हो गई।

इस सीट पर सपा ने 1996 में पहली बार खोला खाता

1990 में मंडल और कमंडल के प्रयोग के बीच राजनीति में नए खिलाड़ी उभरे। इसके बाद अगले तीन दशक की लड़ाई एकाध मौकों को छोड़कर इनकी नुमाइंदगी करने वाले दलों के बीच ही सिमट गई। मुस्लिम-यादव वोटों की जमीन पर खड़ी हुई मुलायम सिंह यादव की सपा के लिए मुरादाबाद की गणित माकूल थी। 1996 में सपा के टिकट पर शफीकुर्रहमान बर्क ने जीत हासिल कर इसे साबित कर दिया, लेकिन उनकी जीत का अंतर महज 2,000 वोटों का ही था। इसके पीछे बड़ी वजह बसपा के मुस्लिम उम्मीदवार को भी 1,12,000 वोट मिलना था। 1998 में फिर सपा और भाजपा में मुकाबला हुआ। इस बार शफीकुर्रहमान बर्क 36,000 वोटों से जीते। भाजपा ने 1999 में नया प्रयोग किया।

यहां अपना उम्मीदवार खड़ा न कर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के चंद्रविजय सिंह को समर्थन दे दिया। सपा के शफीकुर्रहमान बर्क को 1,53,000 वोट और बसपा के मोहम्मद अकील को 1,23,000 वोट मिले। अल्पसंख्यक वोटों के बिखराव के बीच बहुसंख्यक वोटों का एका चंद्रविजय के पक्ष में गया और 2,53,000 वोट से वह चुनाव जीत गए। हालांकि, 2004 में शफीकुर्रहमान बर्क ने एक बार फिर यहां साइकिल दौड़ाई और भाजपा को पीछे छोड़ दिया। कांग्रेस ने 2009 में मुरादाबाद की पिच पर कलात्मक बल्लेबाजी के लिए चर्चित भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को उतार दिया। अजहर को समर्थन मिला और 25 साल बाद यहां कांग्रेस फिर जीत हासिल करने में सफल रही। भाजपा दूसरे और बसपा तीसरे नंबर पर कायम रही, जबकि सपा महज 2 प्रतिशत वोट हासिल कर जमानत भी नहीं बचा पाई।


शफीकुर्रहमान बर्क संभल के मूल निवासी थे। 1967 में चौधरी चरण सिंह के संपर्क में आने पर उन्हें राजनीति शुरू की। वह 1974 में भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) से संभल से पहली बार विधायक बने। इसके बाद 1985 में लोकदल, 1989 में जनता दल से विधायक रहे। 1995 में उन्होंने सपा का दामन थाम लिया। मुलायम सरकार में होमगार्ड विभाग के मंत्री भी रहे। उन्हें 1996 में पार्टी ने मुरादाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। वह सांसद बने। यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे। इसके बाद 2009 में संभल से बसपा से सांसद बने। 

 

मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण

मुरादाबाद लोकसभा सीट अब तक हुए 17 चुनावों में 11 बार मुस्लिम चेहरों ने यहां की नुमाइंदगी की है। इस सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां पर लगभग 45 प्रतिशत मुस्लिम, 10 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। 10 प्रतिशत से अधिक ठाकुर-ब्राह्मण तो 10 प्रतिशत से अधिक सैनी-प्रजापति जैसी अति पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं।

मुरादाबाद लोकसभा सीट से अब तक चुने गए सांसद

  • कांग्रेस से रामसरन 1952 और 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • निर्दल सैयद मुजफ्फर हुसैन 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय जनसंघ से ओम प्रकाश त्यागी 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भारतीय जनसंघ से वीरेंद्र अग्रवाल 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता पार्टी से गुलाम मोहम्मद खान 1977 और 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से हाफिज मो. सिद्दिक 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • जनता दल से गुलाम मोहम्मद खान 1989 और 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से शफीकुर्रहमान बर्क 1996 और 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस से चन्द्र विजय सिंह 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से शफीकुर्रहमान बर्क 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • कांग्रेस से मोहम्मद अज़हरुद्दीन 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • भाजपा से कुंवर सर्वेश सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
  • सपा से डॉ. एसटी हसन 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
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