यादों के झरोखों से: जब निर्दलीय प्रत्याशी ने दी कांग्रेस को चुनौती, तो झांसी आना पड़ा था पं.नेहरू को

Lok Sabha Election: चुनाव में कड़ी चुनौती देते हुए दूसरे स्थान पर रहे अयोध्या प्रसाद को बाद में कांग्रेस में शामिल किया गया और उन्हें 1962 में ललितपुर सुरक्षित सीट से पार्टी का टिकट दिया और वह विजयी हुए।

Report :  B.K Kushwaha
Update: 2024-04-08 03:30 GMT

 पं. जवाहर लाल नेहरु (Pic: Social Media)

Lok Sabha Election: 1952 में हुए पहले लोकसभा व विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आत्माराम गोविंद खैर को चुनौती देते हुए दलित समाज के नेता बाबू अयोध्या प्रसाद ने नामांकन दाखिल किया तो पूरे देश में नेहरू मैजिक होने के बाद भी झांसी के कांग्रेसी खेमे में खलबली मच गई। अयोध्या प्रसाद को मिल रहे अपार जन समर्थन को देख पं. जवाहर लाल नेहरू को आमसभा करने झांसी आना पड़ा था।

देश की आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव में झांसी से कांग्रेस की खैर - धुलेकर की जोड़ी चुनाव मैदान में थी। विनायक राव धुलेकर लोकसभा और आत्माराम गोविंद खैर विधानसभा सीट के प्रत्याशी थे। उस दौर में कांग्रेस के विधान सभा प्रत्याशी को चुनौती देने के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर दलित बस्ती खुशीपुरा निवासी नगर पालिका सदस्य और आर्य समाजी अयोध्या प्रसाद ने अपना नामांकन दाखिल कर हलचल पैदा का दी। उन्हें मिल रहे अपार जनसमर्थन से कांग्रेस के खेमे में खलबली मच गई । अयोध्या प्रसाद के समर्थन में झांसी की सड़कों पर निकले तीन मील लंबे जुलुस की खबर पाकर खुद प्रथम प्रधानमन्त्री पं. जवाहर लाल नेहरु को झांसी आना पड़ा ।

चुनाव में कड़ी चुनौती देते हुए दूसरे स्थान पर रहे अयोध्या प्रसाद को बाद में कांग्रेस में शामिल किया गया और उन्हें 1962 में ललितपुर सुरक्षित सीट से पार्टी का टिकट दिया और वह विजयी हुए। वह 1962 व 67 में दो बार विधायक बने। उनकी लोकप्रियता का ये आलम था कि उनके चुनाव प्रचार में झांसी से लोग ललितपुर साइकिल से आया -जाया करते थे। लोग उन्हें श्रद्धा से बाबू जी कहकर पुकारते थे।

सन 1903 को जन्मे बाबू अयोध्या प्रसाद 16 वर्ष तक झांसी नगर पालिका के सदस्य रहे। वह पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी , हेमवती नन्दन बहुगुणा आदि के निकटतम रहे।

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