संसदीय चुनाव: द्रमुक का वादा - नीट, सीएए, यूसीसी सब खत्म करेंगे

Tamil Nadu: द्रमुक ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया है जिसमें वादा किया गया है कि अगर इंडिया अलायन्स सत्ता में आता है तो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और और एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को हटा दिया जाएगा।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-03-20 13:42 GMT

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन द्वारा जारी घोषणापत्र: Photo- Social Media

Tamil Nadu: द्रमुक ने लोकसभा चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया है जिसमें वादा किया गया है कि अगर इंडिया अलायन्स सत्ता में आता है तो नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और और एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को हटा दिया जाएगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन द्वारा जारी घोषणापत्र में पार्टी ने यह भी कहा कि वह तमिलनाडु के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) से छूट सुनिश्चित करेगी।

ये भी किये वादे

- द्रमुक के घोषणापत्र में ये भी वादा किया गया है कि जन-केंद्रित कानून को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के साथ पिछले दशक में भाजपा सरकार द्वारा पेश किए गए कानूनों की गहन समीक्षा का करेगी।

- भाजपा शासन द्वारा स्थापित वर्तमान नीति आयोग को भंग करना और राज्य सरकारों के अनुरोधों के आधार पर योजनाओं का मसौदा तैयार करने के लिए फिर से योजना आयोग की स्थापना करना।

- जाति जनगणना कराई जाएगी और गरीबी रेखा से नीचे के व्यक्तियों के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी।

- पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि परिसीमन प्रक्रिया प्रत्येक राज्य में लोकसभा सीटों की संख्या को प्रभावित किए बिना की जाए।

- घोषणापत्र में नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को रद्द करने का वादा किया गया है।

- घोषणापत्र में कहा गया है कि पेट्रोल 75 रुपए, डीजल 65 रुपये और रसोई गैस सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध कराया जाएगा।

- राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों में किसानों के ऋण और ब्याज माफ किये जायेंगे।

- छात्रों के लिए शैक्षिक ऋण माफ होगा।

- तमिलनाडु में केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना और राज्य शैक्षणिक संस्थानों में केंद्र सरकार द्वारा अनिवार्य सार्वजनिक परीक्षाओं को समाप्त करने का वादा।

राज्यों के सामने आने वाले वित्तीय तनाव को कम करने के लिए, द्रमुक ने प्रस्ताव दिया है कि राज्य परिषदों को वित्त आयोग द्वारा निधि हस्तांतरण के कारकों को निर्धारित करने का अधिकार दिया जाएगा। पार्टी की राय राज्यपालों के पदों को समाप्त करने की है। लेकिन जब तक ये नहीं होता, पार्टी ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि राज्यपालों की नियुक्ति संबंधित राज्य सरकारों के परामर्श के बाद ही की जाए।

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