Lok Sabha Election 2024: काराकाट में पवन सिंह ने बढ़ाईं उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें, वोट बंटवारे से विपक्ष को होगा फायदा
Lok Sabha Election 2024: भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को पहले भाजपा ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार की एक सीट भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। बिहार की काराकाट लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के मुखिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा चुनाव मैदान में उतरे हैं मगर भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इस सीट पर नामांकन करके उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
विपक्षी महागठबंधन के सीट बंटवारे में यह सीट भाकपा (माले) के खाते में गई है और पार्टी ने इस सीट पर राजा राम सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। पवन सिंह की उम्मीदवारी के कारण इस लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।
आसनसोल छोड़ काराकाट में डटे पवन सिंह
हालांकि उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि पवन सिंह की चुनाव लड़ने से कोई असर नहीं पड़ने वाला है मगर पवन सिंह के कार्यक्रमों में उमड़ने वाली भीड़ से संकेत साफ है कि वे चुनाव के दौरान उपेंद्र कुशवाहा के लिए बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। इस लोकसभा सीट पर आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होने वाला है और माना जा रहा है कि तब तक पवन सिंह अपनी सियासी स्थिति को और मजबूत बनाने में कामयाब हो सकते हैं। कुशवाहा को पटखनी देने के लिए विपक्षी महागठबंधन भी इस सीट पर पूरी ताकत लगा रहा है।
भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को पहले भाजपा ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था। उनकी उम्मीदवारी के ऐलान के बाद ही टीएमसी ने उनके गानों में बंगाली महिलाओं के गलत चित्रण का दावा करते हुए उनकी उम्मीदवारी का विरोध शुरू कर दिया था।
इसे लेकर विवाद पैदा होने के बाद पवन सिंह ने इस सीट पर चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब वे काराकाट लोकसभा सीट पर चुनावी अखाड़े में उतर गए हैं। उनके चुनाव मैदान में उतरने के बाद वोटों के बंटवारे से विपक्षी महागठबंधन के प्रत्याशी राजा राम सिंह को सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
चुनाव मैदान से हटने से इनकार
भाजपा नेता और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी ने हाल में दावा किया था कि पवन सिंह राष्ट्रवादी व्यक्ति हैं और उन्हें समझा बुझाकर मना लिया जाएगा। राजधानी दिल्ली की नॉर्थ ईस्ट सीट से चुनाव मैदान में उतरे मनोज तिवारी ने कहा था कि फिलहाल पवन सिंह रास्ता थोड़ा भटक गए हैं,लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि उन्हें जल्द ही मना लिया जाएगा।
मनोज तिवारी के इस बयान के बाद पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा सीट से अपनी दावेदारी छोडने से साफ तौर पर इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के संबंध में उन्हें अपनी मां का आदेश मिला है और उन्होंने अपनी मां को वचन दिया है। ऐसे में अब उनके चुनाव मैदान से हटाने का कोई सवाल नहीं है। पवन सिंह ने इस लोकसभा सीट पर अपना चुनाव प्रचार जोरदार तरीके से शुरू कर दिया है और निर्दल प्रत्याशी के रूप में उन्हें लोगों का काफी समर्थन भी मिल रहा है।
पिछला चुनाव हार गए थे उपेंद्र कुशवाहा
बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे में राष्ट्रीय लोक मोर्चा को सिर्फ एक सीट मिली है और इस सीट पर पार्टी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा खुद चुनाव मैदान में उतरे हैं। कुशवाहा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार के रूप में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जदयू के प्रत्याशी महाबली सिंह को जीत मिली थी। इस बार वे एनडीए प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर इस लोकसभा क्षेत्र में अपनी ताकत दिखाने के लिए मैदान में उतरे हैं।
काराकाट लोकसभा सीट का स्वरूप
2008 के परिसीमन के बाद बिहार में काराकाट लोकसभा सीट बनाई गई थी। इस लोकसभा क्षेत्र में बिहार के औरंगाबाद और रोहतास जिले के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में ग्रामीण मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
विपक्षी दलों के महागठबंधन के सीट बंटवारे में यह सीट भाकपा माले के खाते में आई है और पार्टी ने एक बार फिर इस सीट पर राजा राम सिंह को चुनाव लड़ने का मौका दिया है। पिछले तीन चुनावों के दौरान उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है मगर इस बार के लोकसभा चुनाव में उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
पवन सिंह को भी मिल रहा है अच्छा समर्थन
भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह के स्थानीय उम्मीदवार होने के कारण उनकी ताकत की अनदेखी नहीं की जा सकती। उन्हें अगड़ी जाति के मतदाताओं का समर्थन हासिल है और इसके साथ ही युवा मतदाताओं में भी उनकी जबर्दस्त लोकप्रियता है। यही कारण है कि काराकाट में पवन सिंह के कार्यक्रमों में जबर्दस्त भीड़ उमड़ रही है। पवन सिंह का कहना है कि स्थानीय लोगों को अभी तक के जनप्रतिनिधियों से काफी शिकायत रही है क्योंकि वे चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र में दिखते नहीं रहे।
उनका कहना है कि मैं राजनीति के क्षेत्र में नया जरूर हूं मगर मैं लोगों की सेवा के संकल्प के साथ चुनाव मैदान में उतरा हूं। इस क्षेत्र में पिछले 15 साल से एनडीए को जीत मिलती रही है मगर विकास के नाम पर कुछ नहीं किया गया। इसलिए विकास इस बार के लोकसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा है और इसी कारण मुझे लोगों का समर्थन हासिल हो रहा है।
काराकाट का जातीय समीकरण
काराकाट लोकसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति और एनडीए के वोटों का बंटवारा उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह के बीच हो सकता है। ऐसी स्थिति में भाकपा माले के उम्मीदवार राजा राम सिंह को फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है। क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस क्षेत्र में यादव मतदाताओं का खासा असर माना जाता है। राजद का समर्थन हासिल होने से राजा राम सिंह को यादव मतदाताओं का खासा समर्थन मिल सकता है।
वैसे इस क्षेत्र में कुशवाहा, कुर्मी, राजपूत और वैश्य मतदाताओं की भी काफी संख्या है। सभी उम्मीदवार जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं और ऐसे में चुनावी तस्वीर त्रिकोणात्मक मुकाबले में उलझी हुई दिखाई दे रही है।
कुशवाहा को जीत मिलने का भरोसा
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने शुक्रवार को इस लोकसभा सीट पर एनडीए प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा कि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पवन सिंह के चुनाव लड़ने का कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वे पवन सिंह से न तो प्रभावित हैं और न जनता पर ही उनका कोई असर दिख रहा है। उन्होंने कहा कि अगर पवन सिंह खुद को भाजपा का सदस्य बताते हैं तो भारतीय जनता पार्टी को उनकी चिंता करनी चाहिए। हमें उनकी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
उपेंद्र कुशवाहा से एक दिन पहले भोजपुरी के पावर स्टार माने जाने वाले पवन सिंह ने इस लोकसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया था। कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विकास के क्षेत्र में काफी काम किया है और एनडीए प्रत्याशी के रूप में उन्हें जनता का समर्थन हासिल होने का पूरा भरोसा है। उन्होंने बिहार में एनडीए को एक बार फिर बड़ी जीत मिलने का भी दावा किया।