Lok Sabha Election: वाराणसी में होगा पीएम मोदी और अजय राय का मुकाबला, यूपी में आठ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी तय
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा की तीन सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई है। इनमें वाराणसी संसदीय सीट भी शामिल है।
Lok Sabha Election 2024: देश के सबसे चर्चित लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बीच मुकाबला तय हो गया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 17 में से 8 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं और इन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कभी भी किया जा सकता है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की तीन सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई है। इनमें वाराणसी संसदीय सीट भी शामिल है। इस संसदीय सीट पर अजय राय को उतारने का फैसला किया गया है जबकि अमेठी और रायबरेली को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं किया जा सका है। ऐसे में इन दोनों सीटों को लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है।
तीसरी बार देंगे पीएम मोदी को चुनौती
समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 17 सीटें मिली हैं और इनमें से आठ सीटों पर पार्टी ने अपने प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगा दी है। वाराणसी संसदीय सीट पर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजय राय के बीच मुकाबला होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इस सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि दोनों बार उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
इस बार फिर अजय राय को ही पीएम मोदी को चुनौती देने के लिए सियासी अखाड़े में उतारने का फैसला किया गया है। अजय राय ने पहले ही कहा था कि वाराणसी संसदीय सीट को लेकर पार्टी हाईकमान को फैसला करना है और हाईकमान के निर्देश पर मैं इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।
भाजपा का गढ़ मानी जाती है वाराणसी सीट
वैसे वाराणसी संसदीय सीट पर भाजपा को चुनौती देना विपक्ष के लिए काफी मुश्किल माना जा रहा है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र 1991 से ही भाजपा का गढ़ रहा है। इस संसदीय सीट पर 1991 के बाद सिर्फ 2004 में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जब कांग्रेस प्रत्याशी राजेश मिश्रा को जीत हासिल हुई थी।
राजेश मिश्रा अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और भदोही सीट से भाजपा के टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं। 2004 के चुनाव के अलावा 1991 से 2019 तक लगातार भाजपा को ही जीत हासिल होती रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने इस संसदीय सीट पर बड़ी जीत हासिल की थी।
इन सीटों पर भी कांग्रेस ने तय किए प्रत्याशी
वाराणसी संसदीय सीट के अलावा प्रदेश की कई अन्य सीटों पर भी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर दिए हैं। कानपुर संसदीय सीट पर आलोक मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया गया है। अजय कपूर के भाजपा में शामिल होने के बाद कानपुर में आलोक मिश्रा की दावेदारी पर मुहर लग गई है।
बाराबंकी लोकसभा सीट पर पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया का नाम तय माना जा रहा है। देवरिया से पूर्व विधायक अखिलेश प्रताप सिंह को टिकट देने का फैसला किया गया है। अखिलेश पहले ही क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा चुके हैं। फरेंदा के विधायक वीरेंद्र चौधरी महाराजगंज से पार्टी के प्रत्याशी होंगे। सहारनपुर से इमरान मसूद को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया गया है जबकि पूर्व विधायक राकेश राठौर सीतापुर से पार्टी के प्रत्याशी होंगे।
अमरोहा से मौजूदा सांसद दानिश अली का टिकट तय माना जा रहा है। बसपा से निष्कासित किए जाने के बाद दानिश अली ने कांग्रेस से संपर्क साध रखा था और अब उन्होंने पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली है। ऐसे में उन्हें अब चुनावी अखाड़े में उतारने का फैसला किया गया है।
इन नौ सीटों पर अभी नहीं हो सका फैसला
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी अभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप नहीं दे सकी है। इन सीटों में अमेठी और रायबरेली की सीटें भी शामिल हैं। प्रयागराज, झांसी, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, मथुरा और बांसगांव सुरक्षित सीट से भी अभी प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर नहीं लग सकी है।
अमेठी और रायबरेली को लेकर सस्पेंस बरकरार
बांसगांव सुरक्षित सीट पर हाल में बसपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए सदल प्रसाद को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों पर भी पार्टी की ओर से अभी तक किसी का नाम तय नहीं माना जा रहा है। अमेठी और रायबरेली के कार्यकर्ता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारने के पक्षधर हैं।
अमेठी से स्मृति ईरानी के खिलाफ सुप्रिया श्रीनेत को चुनाव लड़ने की बात कही जा रही थी मगर जानकार सूत्रों का कहना है कि सुप्रिया श्रीनेत ने इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। इन दोनों सीटों का फैसला गांधी परिवार को ही करना है। वैसे इन दोनों सीटों को लेकर सस्पेंस अभी तक खत्म नहीं हो सका है।