UP Lok Sabha Election: PM मोदी की पीलीभीत रैली में नहीं पहुंचे वरुण गांधी, आगे ले सकते हैं बड़ा फैसला

UP Lok Sabha Election 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस रैली में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर इस सीट से बड़ी जीत हासिल करने वाले वरुण गांधी रैली में नहीं पहुंचे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-04-09 09:29 GMT

PM Modi Varun Gandhi  (photo: social media ) 

UP Lok Sabha Election 2024: भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ताबड़तोड़ रैलियां और रोड शो करने में जुटे हुए हैं। इस कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पीलीभीत में एक बड़ी चुनावी सभा को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गठबंधन और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण ठुकराकर कांग्रेस ने भगवान राम का अपमान किया है। रैली को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा को बड़ी जीत दिलाने की अपील की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस रैली में एक उल्लेखनीय बात यह रही कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर इस सीट से बड़ी जीत हासिल करने वाले वरुण गांधी रैली में नहीं पहुंचे। भाजपा ने इस बार वरुण गांधी का टिकट काटते हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है। वरुण गांधी का टिकट काटने के बाद प्रधानमंत्री पहली बार पीलीभीत के दौरे पर पहुंचे थे और इस दौरान सबकी निगाहें वरुण गांधी को ही ढूंढ रही थीं मगर वे गायब थे।ऐसे में वरुण के आगे की रणनीति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं और माना जा रहा है कि वे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

पीलीभीत से मां और बेटे का पुराना रिश्ता

वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी का पीलीभीत से काफी पुराना रिश्ता रहा है। मेनका गांधी ने 1989 में जनता दल उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की थी। उसके बाद वे कई बार इस सीट से सांसद चुनी गईं। मेनका ने 2004 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और फिर भाजपा उम्मीदवार के रूप में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी।

उसके बाद 2009 में इस सीट पर वरुण गांधी को जीत हासिल हुई। 2014 में मेनका गांधी ने पीलीभीत से फिर जीत हासिल की जबकि वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद बने थे। 2019 में फिर तस्वीर बदली और वरुण पीलीभीत सीट से जीते जबकि मेनका सुल्तानपुर से सांसद बनी थीं।

अब इस बार भाजपा ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट तो दे दिया है मगर पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतार दिया। टिकट काटने के बाद से ही वरुण गांधी ने चुप्पी साध रखी है।


मोदी सरकार की नीतियों पर खड़े किए थे सवाल

दरअसल 2019 की जीत के बाद कई मौकों पर वरुण गांधी का रवैया भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को नागवार गुजरा था। 2019 के चुनाव में मिली जीत के बाद वरुण गांधी कई मौकों पर पार्टी लाइन से अलग बयान देते हुए दिखे थे। मोदी सरकार के तीन कृषि कानून के खिलाफ किसानों के आंदोलन के दौरान उन्होंने अपने ही सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए थे और किसानों की मांगों का समर्थन किया था। हालांकि चुनाव से कुछ समय पूर्व वरुण गांधी ने पार्टी नेतृत्व के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की कोशिश की मगर बात नहीं बन सकी।

वरुण गांधी के टिकट को लेकर पहले ही सवाल खड़े किए जा रहे थे और आखिरकार भाजपा नेतृत्व ने उनका टिकट काटते हुए जितिन प्रसाद के नाम पर मुहर लगा दी थी। अब वरुण गांधी की आगे की रणनीति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं।


टिकट कटने के बाद पीलीभीत में प्रचार नहीं

भाजपा का टिकट कटने के बाद से ही वरुण गांधी मीडिया से पूरी तरह कटे हुए हैं। उन्होंने भाजपा की ओर से आयोजित किसी भी कार्यक्रम में अभी तक हिस्सा नहीं लिया है। पीलीभीत में उनके चुनाव प्रचार से भाजपा को सियासी फायदा हो सकता है मगर वे चुनाव प्रचार से पूरी तरह कटे हुए हैं।

आज प्रधानमंत्री मोदी की रैली में भी वरुण गांधी के न पहुंचने के बाद उनके नाराज होने की बात भी कहीं जाने लगी है। इससे पहले वरुण गांधी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम से भी दूरी बनाई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि वे आगे चलकर कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।


भावी कदम को लेकर लगने लगीं अटकलें

टिकट कटने के बाद से ही वरुण गांधी की भावी रणनीति को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाती रही हैं। यह भी कहा जाता रहा है कि उन्हें कांग्रेस के टिकट पर गांधी परिवार का गढ़ मानी जाने वाली किसी सीट से उतारा जा सकता है। हालांकि इस बाबत कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।

दूसरी ओर सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही मेनका गांधी ने अपने बेटे को लेकर लगाई जा रही अटकलों को अपवाह बताया है।


वरुण गांधी ले सकते हैं बड़ा फैसला

मेनका गांधी ने पिछले दिनों स्पष्टीकरण दिया था कि वरुण गांधी और उनकी पत्नी दोनों बीमार हैं और इस कारण उनकी सियासी सक्रियता नहीं दिख रही है। वैसे वरुण गांधी ने पीलीभीत से नामांकन पत्र भी खरीद लिया था और इसका मतलब साफ है कि वे चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार थे मगर भाजपा ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।

पीलीभीत में अब चुनाव प्रचार के लिए काफी कम दिन बचे हैं क्योंकि यहां पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है। ऐसे में अब वरुण गांधी के पीलीभीत पहुंचने की कोई उम्मीद नहीं है और आगे के उनके सियासी कदम पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं।

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