Lok Sabha Election: सिर्फ बेटों के चुनाव क्षेत्रों तक सीमित हैं दो सियासी दिग्गज, वसुंधरा और गहलोत ने पार्टी के प्रचार से बनाई दूरी

Lok Sabha Election 2024: दोनों नेता राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं मगर चुनाव प्रचार में उनकी भूमिका नहीं दिख रही। अपने-अपने बेटों के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा रखी है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-04-12 05:05 GMT

वसुंधरा राजे अशोक गहलोत  (photo: social media ) 

Lok Sabha Election 2024: राजस्थान के लोकसभा चुनाव में हर बार की तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। दोनों दलों की ओर से एक-दूसरे को पटखनी देने की पुरजोर कोशिश की जा रही है मगर दोनों पार्टियों के दो दिग्गज नेता अपनी-अपनी पार्टियों के चुनाव प्रचार से कटे हुए दिख रहे हैं।

दोनों नेता राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं मगर चुनाव प्रचार में उनकी सक्रिय भूमिका नहीं दिख रही है। हालांकि दोनों नेताओं ने अपने-अपने बेटों के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा रखी है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा की वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अपने दलों के चुनाव प्रचार में सक्रिय न होने की सियासी हल्कों में खूब चर्चा हो रही है।

वसुंधरा ने बेटे के चुनाव क्षेत्र में लगाई ताकत

भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे को राजस्थान में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। अभी तक के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान वे भाजपा प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं मगर इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान वे भाजपा के चुनाव अभियान से पूरी तरह कटी हुई हैं।

उन्होंने अपनी पूरी ताकत झालावाड़ लोकसभा क्षेत्र में अपने बेटे और भाजपा प्रत्याशी दुष्यंत सिंह को जीत दिलाने में लगा रखी है। चुनाव में उनकी भूमिका को इस बात से ही समझा जा सकता है कि अभी तक उन्होंने अपने गृह क्षेत्र धौलपुर-करौली संसदीय क्षेत्र का एक भी दौरा नहीं किया है। वसुंधरा धोलपुर के पूर्व राजपरिवार की महारानी हैं मगर फिर भी वे अपने इलाके में चुनाव प्रचार के लिए नहीं पहुंची हैं।


वसुंधरा की नाराजगी का कारण

भाजपा की प्रदेश इकाई की ओर से भी अभी तक वसुंधरा के चुनावी दौरों का कोई कार्यक्रम नहीं तय किया गया है। राजस्थान के कई चुनाव क्षेत्रों में प्रत्याशियों की ओर से वसुंधरा की चुनावी सभा की डिमांड की गई है मगर इसके बावजूद अभी तक वसुंधरा की एक भी चुनावी सभा किसी दूसरे क्षेत्र में नहीं हुई है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के साथ भी उनका संपर्क पूरी तरह कटा हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चुनाव प्रचार से कटे रहने के पीछे उनकी नाराजगी को बड़ा कारण माना जा रहा है। राजस्थान के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की बड़ी जीत के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने वसुंधरा की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी नहीं की थी। वसुंधरा की दावेदारी को नकार दिया गया था। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल के गठन में भी वसुंधरा समर्थकों की उपेक्षा की गई।


वसुंधरा समर्थकों का कटा टिकट

इस बार के लोकसभा चुनाव के दौरान भी वसुंधरा अपने कई समर्थकों को टिकट नहीं दिला सकीं। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने धौलपुर-करौली के सांसद मनोज राजोरिया, जयपुर शहर के सांसद रामचरण बोहरा, श्रीगंगानगर के सांसद निहालचंद मेघवाल एवं चूरू के सांसद राहुल कस्वा के टिकट काट दिए। इन सभी को वसुंधरा समर्थक माना जाता रहा है और इनका टिकट काटे जाने से भी वसुंधरा नाराज बताई जा रही हैं।

चूरू के सांसद राहुल ने तो भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली और कांग्रेस ने उन्हें तुरंत चूरू के चुनाव मैदान में उतार दिया है। चूरू के लोकसभा क्षेत्र में राहुल की दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा है। वसुंधरा के साथ ही उनके समर्थक भी भाजपा के चुनाव अभियान में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं।


बेटे के लिए सक्रिय दिख रहे गहलोत

दूसरी ओर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कांग्रेस के चुनाव अभियान में सक्रिय भूमिका निभाते हुए नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस ने उनके बेटे वैभव गहलोत को सिरोही-जालौर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा है। गहलोत अपने बेटे वैभव के चुनाव प्रचार में काफी सक्रिय दिख रहे हैं। वैभव की जीत को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने प्रवासी राजस्थानियों से भी संपर्क साधा है। इसके लिए उन्होंने मुंबई और बेंगलुरु तक का दौरा किया।

गहलोत ने बेटे के चुनाव क्षेत्र के विभिन्न गांवों का दौरा किया है और लोगों को यह आश्वासन दिया है कि वैभव हमेशा उनके लिए सक्रिय भूमिका निभाते रहेंगे। गहलोत ने बेटे के चुनाव प्रचार में तो पूरी ताकत लगा रखी है मगर राजस्थान में कांग्रेस के अन्य प्रत्याशियों के लिए वे ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रहे हैं।

गहलोत ने अभी तक सिर्फ चार चुनाव क्षेत्रों का दौरा किया है और वहां भी वे इसलिए पहुंचे क्योंकि इन क्षेत्रों में उनके समर्थक माने जाने वाले नेताओं को पार्टी की ओर से टिकट दिया गया है।


गहलोत से ज्यादा सचिन पायलट सक्रिय

राजस्थान में कांग्रेस के चुनाव प्रचार में गहलोत की अपेक्षा पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं और कांग्रेस इनमें से 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राजस्थान में आठ लोकसभा सीटों पर पायलट समर्थकों को टिकट मिला है। पायलट अभी तक सात लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी सभाएं कर चुके हैं। पायलट गहलोत की अपेक्षा ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं।



Tags:    

Similar News