Gorakhpur: जाति के वोटों के सौदागर बेटों को संसद नहीं पहुंचा सके, क्या टूट गया इनका तिलिस्म!

Gorakhpur News: स्वामी प्रसाद मौर्या ने कुशीनगर में दावेदारी की थी। वह पहले भी मौर्या वोटों को सहेज कर संसद पहुंच चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें कुशीनगर में करारी हार झेलनी पड़ी।

Update:2024-06-05 07:35 IST

Sanjay Nishad , Om Prakash Rajbhar , Swami Prasad Maurya (photo: social media )

Gorakhpur News: पूर्वांचल में सपा का पीडीए भले ही जादू दिखाने में कामयाब हुआ लेकिन अपने-अपने पॉकेट में जाति के वोटों से पिछले एक दशक में तोलमोल करने वाले जाति के वोटों के सौदागरों को इस बार मुंह की खानी पड़ी है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद इस बार अपने बेटे प्रवीण निषाद को संसद पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके। वहीं चुनाव के ठीक पहले यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले ओमप्रकाश राजभर भी घोषी में बेटे अरविंद राजभर की सियासी लांचिंग करने में कामयाब नहीं हुए।

स्वामी प्रसाद मौर्या ने कुशीनगर में दावेदारी की थी। वह पहले भी मौर्या वोटों को सहेज कर संसद पहुंच चुके हैं, लेकिन इस बार उन्हें कुशीनगर में करारी हार झेलनी पड़ी। वह जमानत भी नहीं बचा सके। सुहेलदेव समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया के पुत्र अरविंद राजभर को घोषी लोकसभा सीट पर करारी हार का सामना करना पड़ा। उनके दखल वाले सलेमपुर समेत पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर वह प्रभाव छोड़ने में नाकाम दिखे। इसी तरह राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के मुखिया स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर से खुद अपना ही चुनाव हार गए। स्वामी प्रसाद मौर्या वोटरों की ठेकेदारी करते रहे हैं।

2019 में प्रवीण निषाद को संतकबीनगर से सांसद बनाया

वर्ष 2015 में कसरवल कांड से निषाद पार्टी का जन्म हुआ। पूर्वी यूपी में बीते छह वर्ष से निषाद पार्टी तेजी से उभरी है। निषाद वोटों के बल पर ही निषाद पार्टी ने वर्ष 2018 में सपा से आ गई। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने अपने बेटे प्रवीण को 2018 में गोरखपुर में लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब हुए। इसके बाद डॉ. संजय भाजपा के पाले में चले गए। वर्ष 2019 में प्रवीण निषाद को संतकबीनगर से सांसद बनाया। विधानसभा चुनाव में छह सीटों पर निषाद पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी जीते। डॉ. संजय निषाद यूपी में एमएलसी के साथ कैबिनेट मंत्री भी बने। संतकबीरनगर से भाजपा ने एक बार फिर से प्रवीण निषाद को प्रत्याशी घोषित किया था। यह निषाद बाहुल्य लोकसभा क्षेत्र माना जाता है। जिले के मेंहदावल, धनघटा, हैंसर और खजनी में अच्छी संख्या में निषाद मतदाता है। पिछले डेढ़ महीने से निषाद पार्टी के पदाधिकारी संतकबीरनगर में कैंप किए रहे। गोरखपुर से संगठन के ज्यादातर कार्यकर्ता संतकबीर नगर में जमे रहे। इसके बावजूद परिणाम विपरीत चला गया। हालांकि निषाद पार्टी के लिए राहत की खबर कुशीनगर व बांसगांव से आई। कुशीनगर से पार्टी के विधायक डॉ. असीम राय व बांसगांव में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पुत्र व भाजपा विधायक सरवन निषाद की प्रतिष्ठा दांव पर थी।

गोरखपुर में भी निषादों पर पार्टी की पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। यहां पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी काजल निषाद ने निषाद वोटरों में सेंधमारी की। इसके कारण भाजपा के वोटों का ग्राफ गिरा है। चुनाव में सपा और भाजपा के बीच अंतर की खाई कम होने की मुख्य वजह भी यही है। सपा की तरफ निषादों के रूझान को रोकने के लिए निषाद पार्टी ने तमाम बयान जारी किए। डॉ. संजय निषाद ने जनसभाएं की। फिर भी निषाद मतदाताओं में सपा की हिस्सेदारी बढ़ी।

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