Lok Sabha Election 2024: बेटी के लिए सब कुछ करेंगे शरद

Lok Sabha Election 2024: बारामती सीट पर लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले और शरद पवार के भतीजे उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आमने सामने हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-04-13 11:02 IST

Supriya Sule and Sharad Pawar  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र के स्ट्रांगमैन शरद पवार को अपनी बेटी सुप्रिया की चुनावी जीत के लिए न सिर्फ खूब पसीना बहाना पड़ रहा है बल्कि पुराने दुश्मनों से हाथ मिलाना पड़ रहा है। 83 वर्षीय शरद पवार ने बारामती से तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए खुद को चुनावी प्रचार में झोंक दिया है। सुप्रिया सुले विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की उम्मीदवार हैं।

बारामती सीट पर लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले और शरद पवार के भतीजे उप मुख्यमंत्री अजीत पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार आमने सामने हैं।

55 साल बाद शरद पवार 12 अप्रैल को अपने कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी श्यामराव काकड़े से मिलने उनके गांव पहुंचे। श्यामराव के पिता पूर्व सांसद संभाजी काकड़े की पत्नी का हाल ही में निधन हो गया था, जिसके बाद पवार अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए काकड़े परिवार से मिलने गए।

संभाजी काकड़े का 2021 में 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। वह पुणे के कद्दावर समाजवादी नेताओं में से आखिरी और जनता पार्टी के दिग्गज नेता थे, जिन्होंने एन.जी. गोरे और मोहन धारिया जैसे समाजवादी दिग्गजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया था। वह पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. के करीबी माने जाते हैं। वीपी सिंह ने बारामती लोकसभा सीट से दो बार जीत हासिल की थी - 1977 और 1985 में। काकड़े परिवार ने पुणे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक पर दो दशकों से अधिक समय तक नियंत्रण रखा था, लेकिन बाद में पवार परिवार ने नियंत्रण जमा लिया था।

शरद पवार भाजपा नेता चंद्रकांत तवारे के आवास पर भी गये। काकड़े और तवारे दोनों ही परिवार पवार परिवार के बराबर बारामती में राजनीतिक महत्व और प्रभुत्व रखते हैं।

पुराने प्रतिद्वंद्वी से मुलाकात

काकड़े परिवार से मिलने से पहले शरद पवार ने अपने एक और पुराने दुश्मन - वरिष्ठ कांग्रेसी अनंतराव थोपटे से मुलाकात की। थोपटे कांग्रेस के नेतृत्व वाली कई सरकारों में मंत्री रह चुके हैं। थोपटे के बेटे संग्राम भोर सीट से तीन बार विधायक रहे हैं। वे पुणे जिले में कांग्रेस के पुराने वफादारों में से एक हैं और जब पवार कांग्रेस में थे तब उनके बीच कड़ी प्रतिद्वंदिता थी। ऐसा कहा जाता है कि शरद पवार ने कथित तौर पर थोपटे को महाराष्ट्र का सीएम बनने नहीं दिया था।

साफ है कि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के पाला बदलने के साथ, शरद पवार ने अपने पुराने दुश्मनों तक पहुंचने और सुलह करने का प्रयास सिर्फ इसलिए किया ताकि उनकी बेटी को बारामती में प्रतिष्ठित राजनीतिक लड़ाई में बड़ी बाधाओं का सामना न करना पड़े।


सफाई भी दी

हालांकि, शरद पवार की मुलाकात के बाद चंद्रकांत तवारे ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक मुलाकात नहीं थी। उन्होंने कहा कि शरद पवार शोक व्यक्त करने आए थे और इस मुलाकात का राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।कांग्रेस विधायक से सुलह की कोशिश

इससे पहले शरद पवार ने कांग्रेस विधायक संग्राम थोपटे और उनके पिता अनंतराव थोपटे के साथ सुलह की कोशिश की थी। पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद पवार ने अपने मतभेदों को भुलाकर थोपटे से उनके आवास पर मुलाकात की।


अजित पवार भी लगे हुए

सिर्फ शरद पवार ही नहीं बल्कि अजित पवार भी अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार के लिए अपने पुराने प्रतिद्वंद्वियों के साथ मतभेद दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। अजित पवार ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी पूर्व मंत्री और एकनाथ शिंदे कैम्प के नेता विजय शिवतारे के साथ मंच साझा किया। शिवतारे ने हाल तक बारामती चुनाव में तीसरे दावेदार के रूप में प्रवेश करके पवार वंश को उखाड़ फेंकने की कसम खाई थी। शिवतारे ने वर्षों में पहली बार सीएम एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में अजीत पवार के साथ मंच साझा किया।

2019 में अजीत ने शिवतारे के खिलाफ लगातार अभियान चलाया था और उनके "कद" पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की थी कि "यह विजय शिवतारे कौन है जो तोते की तरह लगातार बोलता रहता है?" अजित पवार ने शिवतारे को हराने की कसम खाई थी। लेकिन अभी दोनों एक मंच पर दिखाई दे रहे हैं।



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