Loksabha Election 2024: सीतापुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र, राजेश वर्मा पाँचवीं बार के लिए आजमा रहे क़िस्मत

Loksabha Election 2024:

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2024-05-12 09:30 GMT

Loksabha Election 2024: सीतापुर जिला ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से बेहद अहम है। माना जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम के साथ माता सीता यहां पर ठहरी हुई थीं। राजा विक्रमादित्य ने सीता के सम्मान में इस शहर को बसाया और नाम रखा सीतापुर। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी जगह पर महर्षि वेद व्यास ने पुराणों की रचना की थी। सीतापुर धार्मिक नगरी के रूप में विख्यात है। अबुल फजल की आइने अकबरी के अनुसार अकबर के दौर में इस जगह को चटयापुर या चित्तियापुर कहा जाता था।

नैमिषारण्य का पवित्र स्थान गोमती नदी के बाएं तट पर स्थित है। उत्तर वैदिक दौर में एक विशाल विश्वविद्यालय के चिन्ह भी यहां पर मिलते हैं, जहां 88,000 ऋषियों ने शास्त्रों का ज्ञान हासिल किया था। माना जाता है कि राम और सीता ने रावण की मृत्यु का कलंक धोने के लिए इसी पवित्र स्थान पर स्नान किया था। यहीं पर सीता ने अपनी पवित्रता साबित करते हुए नमिश की पवित्र मिट्टी में समाहित हो गईं।काफी प्रसिद्ध खैराबाद नेत्र अस्पताल भी यहीं हैं। यह जिला मुख्य रूप से सूती और ऊनी दरियों के लिये मशहूर है।

विधानसभा क्षेत्र

सीतापुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - सीतापुर, लहरपुर, बिसवां, सेवता और महमूदाबाद। इनमें लहरपुर सीट पर समाजवादी पार्टी और अन्य पर भाजपा का कब्जा है।



जातीय समीकरण

सीतापुर संसदीय सीट पर कुर्मी मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसके अलावा यहां पर मुस्लिम और ब्राह्मण मतदाता भी चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं। अनुमान है कि सीतापुर सीट पर पिछड़े वर्ग के वोटर्स की संख्या करीब 27 फीसदी है। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 21 फीसदी है। इनके अलावा 28 फीसदी एससी और एसटी मतदाता रहे हैं, जबकि क्षेत्र में सवर्ण वोटर्स की संख्या करीब 23 फीसदी है।

राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

सीतापुर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद से अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस 6 बार, भाजपा 4 बार, बसपा तीन बार लगातार और समाजवादी पार्टी एक बार जीत हासिल कर चुकी है। राजेश वर्मा यहां से रिकॉर्ड चार बार सांसद रह चुके हैं। दो बार वह बसपा के टिकट पर 2004 और 2009 में सांसद बने, फिर 2014 और 2019 में भाजपा से सांसद हैं।

  • पिछले चुनावों की बात करें तो 1957 में कांग्रेस की उमा नेहरू यहाँ की पहली सांसद बनीं। 1962 में जनसंघ के सूरज लाल वर्मा और 67 में इसी पार्टी के शारदानन्द विजयी हुए।
  • 1971 में कांग्रेस के जगदीश चन्द्र दीक्षित जीते तो 1977 में जनता पार्टी के हर गोविन्द वर्मा को जीत हासिल हुई।
  • इसके बाद 1980 से 1989 तक लगातार कांग्रेस की राजेंद्र कुमारी बाजपेयी सांसद चुनीं गईं।
  • 1991 में भाजपा के जनार्दन प्रसाद मिश्रा विजयी रहे तो 1996 में समाजवादी पार्टी के मुख्तार अनीस को जीत हासिल हुई।
  • 1998 में फिर भाजपा के जनार्दन प्रसाद मिश्र जीते। इसके बाद 1999 और 2004 में बसपा के राजेश वर्मा को जीत हासिल हुई। 2009 में बसपा की कैसर जहाँ को जीत मिली। 2014 और 2019 में भाजपा के राजेश वर्मा ने कब्जा जमाया।

इस बार के उम्मीदवार

बसपा ने सीतापुर संसदीय सीट पर पूर्व विधायक महेंद्र सिंह यादव को टिकट दिया है। भाजपा से राजेश वर्मा और गठबंधन से कांग्रेस के राकेश राठौर उम्मीदवार हैं।


स्थानीय मुद्दे

शिक्षा, चिकित्सा और बेरोजगारी यहाँ के प्रमुख मुद्दे हैं। यहाँ के लोगों को रोजगार के लिए लखनऊ समेत अन्य बड़े शहरों का ही रुख करना पड़ता है।

Tags:    

Similar News