Election 2024: इन दिग्गज नेताओं के लिए पार्टी सिंबल नहीं रखता मायने, जहां गए जीत गए

Lok Sabha Election 2024: भारतीय राजनीति में कुछ ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिनके लिए लोकसभा सीट मायने नहीं रखती। वे जहां से भी चुनाव लड़े सीट पर जीत हासिल की।

Report :  Aniket Gupta
Update:2024-04-18 18:29 IST
सपा नेता अखिलेश यादव, बीजेपी नेता राजनाथ सिंह और सांसद बृजभूषण शरण सिंह

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में पहले चरण के लिए वोटिंग कल यानी 19 अप्रैल को होनी है। पहले फेज में उत्तर प्रदेश की कुल 8 सीटों पर चुनाव है। इनमें मुजफ्फरनगर, रामपुर, कैराना, सहारनपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, पीलीभीत और नगीना लोकसभा सीटें शामिल हैं। ऐसे में यूपी की राजनीति में कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो जिस भी पार्टी में गए जीत दर्ज की। कई बार सीटें भी बदलीं फिर भी जीते। यही वजह है कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे नेताओं पर भरोसा जताती हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसे उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

राजनाथ सिंह: जहां गए वहां जीते


बीजेपी सरकार में रक्षामंत्री व लखनऊ से प्रत्याशी राजनाथ सिंह न सिर्फ उत्तर प्रदेश की राजनीति बल्कि देश की पॉलिटिक्स में भी एक जाना-पहचाना नाम है। साल 2009 में राजनाथ सिंह गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए। इसके बाद 2014 में वह लखनऊ सीट से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे और एक बार फिर जीत हासिल की। बीते 10 साल से वह लखनऊ सीट से सांसद हैं और इस बार जीत की हैट्रीक लगाने को चुनावी मैदान में हैं।

कीर्तिवर्धन सिंह: पार्टी बदला लेकिन जीत मिली


मनकापुर के राजा आनंद सिंह उर्फ अन्नू भैया का पूरा कूनबा किसी समय में कांग्रेसी हुआ करता था। अन्नू भैया 1980, 1984 और 1989 में लगातार तीन बार गोंडा से सांसद रह चुके हैं। भाजपा की टिकट से कीर्तिवर्धन सिंह 1998 में पहली बार सांसद बने। इसके बाद 2004 में दोबारा समाजवादी पार्टी की टिकट पर सांसद बने। बीते दो चुनाव से वह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और जीत भी रहे हैं। इस बार के चुनावी जंग में भी वह गोंडा से मैदान में हैं।

बृजभूषण सिंह: जिस सीट से लड़े जीत गए


यूपी की बहुचर्चित सीट कैसरगंज से वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह पूर्वांचल का एक ऐसा नाम है जिस पर दांव लगाना सभी राजनीतिक दलों के लिए फायदेमंद साबित होता आया है। 1991 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया और गोंडा सीट से चुनावी मैदान में उतरे। उस चुनाव में उन्हें शानदार जीत मिली। इसके बाद बृजभूषण सिंह ने 1996 में गोंडा लोकसभा सीट से बीजेपी की टिकट पर अपनी पत्नी केतकी सिंह को चुनाव लड़ाया और जीत दिलाई। इसके बाद साल 1999 में वह फिर गोंडा से सांसद बने। 2004 के चुनाव में बृजभूषण सिंह ने एक बार फिर अपनी सीट बदली और बलरामपुर (श्रावस्ती) सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े और जीत गए। बीजेपी से मनमुटाव होने के बाद 2009 में वह सपा की टिकट से कैसरगंज सीट पर उम्मीदवार चुने गए और चुनाव जीत कर सांसद बने। 2014 से अब तक बृजभूषण सिंह कैसरगंज से भाजपा सांसद हैं। इस बार अभी तक उनकी सीट पर बीजेपी ने उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सीट से एक बार फिर बीजेपी बृजभूषण सिंह को टिकट दे सकती है।

मेनका गांधी ने बेटे के लिए छोड़ा था पीलीभीत


मेनका गांधी जिस भी पार्टी में गईं उन्हें सफलता मिली। 1989 और 1996 में मेनका पीलीभीत लोकसभा सीट से जनता दल की टिकट से सांसद बनी। 1998 व 1999 में वह इसी सीट से निर्दलीय जीतीं। फिर 2004 में वह बीजेपी की टिकट पर पीलीभीत से सांसद बनी, लेकिन 2009 में मेनका गांधी ने अपने बेटे वरुण के लिए पीलीभीत सीट छोड़ दिया और खुद आंवला से चुनाव लड़ीं और वहां से भी जीत दर्ज की। इसके बाद 2014 में वह एक बार फिर पीलीभीत सीट से भाजपा उम्मीदवार घोषित हुई और उन्हें जीत मिली। पिछले लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ी और फिर सांसद बनीं। एक बार फिर भाजपा ने उन पर भरोसा जताते हुए सुल्तानपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।

अखिलेश यादव ने कई सीटें बदली


समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी खूब सीटें बदली हैं। अखिलेश 2000 और 2004 के चुनाव में कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। 2009 में उन्होंने कन्नौज और फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और दोनों ही सीटों पर उन्होंने जीत दर्ज की। बाद में अखिलेश ने फिरोजाबाद सीट से इस्तीफा दे दिया और पत्नी डिंपल यादव को उपचुनाव लड़ाया। डिंपल यादव कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर से हार गईं। पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत दर्ज की। इस बार फिर उन्होंने आजमगढ़ सीट से चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव का कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है, लेकिन अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

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