Lok Sabha Election: अधीर रंजन की राह में ममता ने बोए कांटे, नेता के सामने अब क्या हैं मुश्किलें

Lok Sabha Election 2024: अधीर रंजन चौधरी की लोकसभा सीट बरहामपुर को उनका मजबूत गढ़ माना जाता रहा है मगर सीट पर ममता ने चौधरी की सियासी राह में कांटे बो दिए हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-03-11 10:40 IST

Andhir Ranjan Chowdhary, Mamata Banerjee, Yusuf Pathan  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी (Andhir Ranjan Chowdhary) हमेशा खुलकर टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर हमला करते रहे हैं। उनका ममता से हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है मगर इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में ममता ने अधीर रंजन चौधरी (Andhir Ranjan Chowdhary)  से बदला चुकाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अपने जमाने के मशहूर क्रिकेटर यूसुफ पठान (Yusuf Pathan) को अंधीर रंजन चौधरी के खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतारना ममता बनर्जी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस ने चौधरी को अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है मगर उनका बरहामपुर से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।

अधीर रंजन चौधरी की लोकसभा सीट बरहामपुर को उनका मजबूत गढ़ माना जाता रहा है मगर 66 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली इस सीट पर ममता ने चौधरी की सियासी राह में कांटे बो दिए हैं। यूसुफ पठान को सियासी अखाड़े में उतारने के बाद मुस्लिम मतों में टीएमसी की ओर से बड़ी सेंधमारी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

सियासी जानकारों का मानना है कि ममता सियासत की माहिर खिलाड़ी हैं और उन्होंने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यही कारण है कि ममता बनर्जी की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद चौधरी ने ममता पर तीखा हमला बोला है।

अपने गढ़ में ही फंस गए चौधरी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस के मुखिया ममता बनर्जी ने राज्य की सभी 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। ममता ने राज्य की विभिन्न सीटों पर जीत की संभावना वाले प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। उन्होंने अपने जमाने के मशहूर अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के साथ ही दो चर्चित क्रिकेटर यूसुफ पठान और कीर्ति आजाद को भी टिकट दिया है। ममता के उम्मीदवारों में यूसुफ पठान की चर्चा इसलिए ज्यादा हो रही है क्योंकि ममता ने उन्हें पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सिर्फ बरहामपुर और मालदा दक्षिण सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी मगर इस बार ममता ने बरहामपुर में भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यूसुफ पठान को अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ उतारना ममता बनर्जी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। उनके इस कदम से चौधरी अपने ही गढ़ में कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।

2019 में नहीं उतारा था मुस्लिम उम्मीदवार

बरहामपुर लोकसभा सीट पर करीब 66 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता हैं और ममता ने इस सीट पर एक स्टार मुस्लिम क्रिकेटर को उतार कर चौधरी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यदि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो इस बार अधीर रंजन चौधरी की चुनौती काफी बढ़ गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में ममता ने इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था।

पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को 45.43%, तृणमूल कांग्रेस को 39.23%, बीजेपी को 10.99% और आरएसपी को 1.03% वोट मिले थे। लेकिन, 2021 में बहरामपुर का चुनावी समीकरण पूरी तरह से बदला नजर आया। 2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी बहरामपुर लोकसभा सीट की 7 विधानसभा सीटों में से 6 जीत गई थी और एक पर भाजपा का कब्जा हो गया था। कांग्रेस के हाथ कुछ भी नहीं लगा था।

ममता ने बनाया प्रतिष्ठा की जंग

जानकारों का मानना है कि बरहामपुर लोकसभा सीट को ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिष्ठा की जंग बना लिया है। जनवरी महीने के दौरान ही पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बंद कमरे में बैठक में ममता ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से साफ तौर पर कहा था कि वे हर हाल में बरहामपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल करना चाहती हैं। उन्होंने टीएमसी कार्यकर्ताओं को इसके लिए जुटने का निर्देश भी दिया था।

अब उन्होंने अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार के रूप में यूसुफ पठान को उतार कर उनकी तगड़ी घेरैबंदी की है। ममता का यह कदम चौधरी की कितनी मुश्किलें बढ़ने वाला है, इसे ममता की ओर से उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद चौधरी की प्रतिक्रिया से साफ तौर पर समझा जा सकता है।

ममता के कदम पर फूटा अधीर का गुस्सा

ममता की ओर से यूसुफ पठान को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चौधरी ने ममता बनर्जी पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार कर ममता ने यह साबित कर दिया कि उन पर कभी भरोसा नहीं किया जा सकता। अपने उम्मीदवारों की सूची के जरिए ममता ने पीएमओ को यह संदेश भेज दिया है कि वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। दरअसल ममता को इस बात का डर सता रहा है कि अगर वे इंडिया गठबंधन का हिस्सा बनेंगी तो उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई के छापे पड़ने लगेंगे।

चौधरी ने कहा कि यदि ममता बनर्जी यूसुफ पठान को सम्मानित ही करना चाहती थीं तो वे उन्हें राज्यसभा में भेज सकती थीं। वे गुजरात में भी यूसुफ पठान के लिए टिकट मांग सकती थीं मगर उन्होंने यूसुफ को मेरे खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतारा है। इसके जरिए वे भाजपा को खुश करना चाहती हैं कि वे भाजपा के खिलाफ बने मजबूत गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।

मुस्लिम मतों के बंटवारे का खतरा

बरहामपुर लोकसभा सीट को अधीर रंजन चौधरी का मजबूत गढ़ माना जाता है और वे 1999 से ही इस सीट पर चुनाव जीतते रहे हैं। पिछले चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की ओर से पूरी ताकत लगाने के बावजूद अधीर रंजन चौधरी करीब 90,000 मतों से विजयी हुए थे मगर इस बार उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

इस सीट पर भाजपा की ओर से डॉ निर्मल कुमार साहा को प्रत्याशी घोषित किया गया है। अपने नाम की घोषणा के बाद साहा ने कहा था कि मैं जीतने के लिए अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा, लेकिन आखिरी फैसला मतदाताओं को ही लेना है।

चुनावी जानकारों का मानना है कि यदि यूसुफ पठान और अधीर रंजन चौधरी के बीच मुस्लिम मतों का बड़ा बंटवारा हुआ तो निर्मल कुमार मजबूती से उभर सकते हैं। इतना तो तय है कि इस लोकसभा क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं और अधीर रंजन की राह काफी मुश्किलों भरी होगी।

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