यूपी में पांचवा चरणः पक्ष-विपक्ष में असली जंग कम मार्जिन वाली सीटों पर, 14 में से 13 पर बीजेपी का कब्जा

Election 2024: 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा की घेरेबंदी के बाद भी रायबरेली में कांग्रेस ने बाजी मार ली थी। मोहनलालगंज, अमेठी, फैजाबाद, बांदा, कौशांबी में बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगाए है।

Written By :  Ashish Kumar Pandey
Update:2024-05-14 10:35 IST

अखिलेश यादव ,पीएम मोदी, मायावती  (फोटो: सोशल मीडिया )

UP Lok Sabha Election 2024 Fifth Phase: 2024 का लोकसभा चुनाव सात चरणों में हो रहा है। अब तक चार चरणों के मतदान हो चुके हैं। अब बारी है पांचवे चरण की। यूपी में पांचवां चरण भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस चरण की सीटों पर पक्ष और विपक्ष के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिलेगा। खास कर उन सीटों पर जहां भाजपा ने 2019 में कम मार्जिन से जीत दर्ज की थी। इन सीटों पर इस बार कड़ी टक्कर होगी। 2019 में पांचवें चरण की 14 सीटों में 13 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी।

घेराबंदी के बाद भी नहीं जीत पाए थे रायबरेली सीट-

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जोरदार घेरेबंदी के बावजूद भी रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया था। लेकिन इस बार वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। वहीं काफी कम अंतर से जीत दर्ज करने वाली सीटों मोहनलालगंज, अमेठी, फैजाबाद, बांदा और कौशांबी में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस चरण की 14 लोकसभा सीटों में 71 विधानसभा की सीटें हैं। इनमें से वर्तमान में 41 सीटों पर भाजपा का तो 30 सीटों पर विपक्ष का कब्जा है। इसलिए लड़ाई अपेक्षाकृत कांटे की होने के आसार हैं।


भाजपा इन 5 सीटों पर काफी कम अंतर से जीती थी-

सीट...........................................वोट का अंतर

मोहनलालगंज..........................90204

अमेठी.........................................55120

फैजाबाद....................................65477

बंदा.............................................58938

कौशांबी......................................38722

भाजपा के लिए मतदान प्रतिशत बढ़ाना ही विकल्प-

ऐसा माना जा रहा है कि यदि पिछले चरणों की तरह पांचवें चरण में भी मतदान प्रतिशत में गिरावट रही तो इसका भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए भाजपा के सामने मतदान बढ़ाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी। भाजपा के पास मतदान प्रतिशत बढ़ाना ही एक ऐसा विकल्प है, जिसके जरिए कम अंतर वाली सीटों पर एक बार फिर कब्जा बरकरार रखा जा सकता है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने वोट प्रतिशत बढ़ाकर ही इन सीटों पर जीत दर्ज की थी।

2009 में सपा, बसपा ले चुकी है कम प्रतिशत का लाभ-

2009 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि उस चुनाव में मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा है। इसका असर कई सीटों पर पड़ा। जिसका लाभ सपा, बसपा और कांग्रेस को मिला था। उस चुनाव में कई सीटों पर सपा ने बाजी मारी थी। अपनी परंपरागत सीट रायबरेली और अमेठी पर कब्जा बरकार रखने के साथ कांग्रेस ने भी फैजाबाद, गोंडा, बाराबंकी और झांसी में जीत दर्ज कर ली थी। वहीं, बसपा के खाते में हमीरपुर लोकसभा सीट गई थी।


बसपा ने भी कसी कमर

पांचवें चरण में बहुजन समाज पार्टी को भी सुरक्षित सीटों से बड़ी उम्मीद है। बीएसपी को मोहनलालगंज, हमीरपुर, बांदा, जालौन और बाराबंकी में त्रिकोणीय मुकाबला होने पर फायदा मिलने की उम्मीद है। इसी वजह से पार्टी ने इन सीटों पर प्रत्याशी चयन में अपने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले का बखूबी इस्तेमाल किया है। इसी के तहत पार्टी ने गोंडा, कैसरगंज, फैजाबाद, हमीरपुर में ब्राह्मण चेहरे को अपना प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को त्रिकोणिय बनाने की कोशिश की है।


बसपा-सपा में इस सीटों का हुआ था बंटवारा

2019 का लोकसभा चुनाव सपा और बसपा मिलकर लड़े थे। सपा के हिस्से में लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, कौशांबी, झांसी, गोंडा, बांदा की सीटें जबकि बसपा ने फतेहपुर, हमीरपुर, जालौन, मोहनलालगंज, कैसरगंज की सीट पर चुनाव लड़ा था। गठबंधन ने अमेठी और रायबरेली सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। बसपा भले ही इन सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी थी, लेकिन उसके प्रत्याशियों ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी थी। इस बार बसपा इन सभी सीटों पर अकेले चुनाव मैदान में है।


मायावती ने संभाली कमान

पांचवें चरण की सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद ही प्रचार की कमान अपने हाथों में ली है। मायावती ने सोमवार को लखनऊ में जनसभा की। वह जल्द ही जालौन, कैसरगंज, रायबरेली में भी अपनी चुनावी सभाएं कर सकती हैं।



Tags:    

Similar News