UP Lok Sabha Election: तीसरे चरण में यादव लैंड की महाजंग, सैफई कुनबे के दमखम की होगी परीक्षा, BJP ने कर रखी है मजबूत घेरेबंदी
UP Lok Sabha Election 2024: 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की मजबूत घेरेबंदी के कारण समाजवादी पार्टी इस इलाके में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं हासिल कर सकी थी।
UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दो चरणों में 16 सीटों पर मतदान के बाद अब तीसरे चरण में सात मई को 10 लोकसभा सीटों पर मतदान होने वाला है। ब्रज और रुहेलखंड क्षेत्र में होने वाली इस महाजंग पर सबकी निगाहें लगी हुई है। कोर मतदाताओं की नजर से देखा जाए तो इस इलाके को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है।
यादव-मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका होने के कारण इस इलाके को यादव लैंड भी कहा जाता है। हालांकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की मजबूत घेरेबंदी के कारण समाजवादी पार्टी इस इलाके में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं हासिल कर सकी थी मगर इस बार पार्टी ने भाजपा को चुनौती देने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण के दौरान जिन प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है उनमें कई दिग्गज चेहरे शामिल हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव, रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव और भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह के दमखम की तीसरे चरण में परीक्षा होगी। केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल और योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह व अनूप वाल्मीकि की किस्मत का फैसला भी तीसरे चरण में ही होना है।
यादव लैंड में कमल खिलाने की कोशिश
तीसरे चरण की 10 सीटों को देखा जाए तो तो मैनपुरी, बदायूं, एटा, फिरोजाबाद और संभल लोकसभा क्षेत्रों में यादव मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है जिन्हें समाजवादी पार्टी का कोर वोटर माना जाता रहा है। फिरोजाबाद, आगरा, फतेहपुर सीकरी, संभल, आंवला और फिरोजाबाद में मुस्लिम मतदाताओं की भी काफी संख्या है जो चुनाव नतीजे में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। संभल में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 50 फ़ीसदी तो बरेली लोकसभा क्षेत्र में 33 फ़ीसदी से ज्यादा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में सपा इनमें से पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इस यादव लैंड में समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा था। 2019 में मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव और संभल लोकसभा सीट से शफीकुर रहमान बर्क ही सपा की लाज बचा सके थे। बाकी आठ सीटों पर भाजपा ने कमल खिलाकर सपा को उसके गढ़ में ही करारी मात दी थी।
मुलायम कुनबे के तीन सदस्यों का इम्तिहान
तीसरे चरण में सैफई परिवार यानी स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के कुनबे से जुड़े तीन सदस्यों का भी सियासी इम्तिहान होने वाला है। मैनपुरी में सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव, बदायूं में शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव और फिरोजाबाद में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के चुनाव क्षेत्र में तीसरे चरण में ही वोट डाले जाएंगे।
भाजपा ने तीसरे चरण की 10 सीटों पर जीत हासिल करने के लिए सैफई कुनबे समेत अन्य सपा प्रत्याशियों की मजबूत घेरेबंदी कर रखी है। पिछले लोकसभा चुनाव में इनमें आठ सीटों पर कमल खिला था। इसी चरण में भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह का भी इम्तिहान होगा।
मुलायम कुनबे के अलावा यादवों को टिकट नहीं
इस बार के लोकसभा चुनाव में मुलायम कुनबे के पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं। उल्लेखनीय बात यह है कि मुलायम कुनबे के अलावा प्रदेश में अभी तक सपा की ओर से किसी और यादव को टिकट नहीं दिया गया है। यदि पिछले चुनावों को देखा जाए तो पार्टी यादव उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती रही है मगर इस बार माहौल बदला हुआ है।
मुलायम सिंह यादव के समय से ही सपा को यादव वोट बैंक का मजबूत समर्थन मिलता रहा है मगर इसके बावजूद मुलायम कुनबे को छोड़कर अन्य यादव दावेदारों की अनदेखी पर हैरानी भी जताई जा रही है।
भाजपा और बसपा ने बनाया मुद्दा
भाजपा और बहुजन समाज पार्टी की ओर से यादवों की अनदेखी पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इन दोनों दलों का कहना है कि समाजवादी पार्टी के लिए सिर्फ मुलायम का कुनबा ही यादव है और इसी कारण सपा की ओर से अन्य यादव प्रत्याशियों के अनदेखी की गई है। भाजपा और बसपा की ओर से यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की बड़ी कोशिश की जा रही है और अगर इन दोनों दलों को कुछ हद तक भी कामयाबी मिली तो समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी यादव महासभा को भाजपा ने अपने साथ मिल लिया है और इसके साथ ही यादव बहुल इलाकों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का दौरा भी कराया गया है।
बदायूं में आदित्य यादव कड़े मुकाबले में फंसे
इस बार के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव के परिवार से पांच सदस्य अलग-अलग सीटों से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें से तीन सीटों पर तीसरी चरण में चुनाव है। बदायूं, फिरोजाबाद और मैनपुरी सीटों पर मुलायम कुनबे की अग्निपरीक्षा होनी है तो एटा लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के सियासी वारिस राजवीर सिंह की किस्मत का फैसला होगा। बदायूं लोकसभा सीट पर तीन बार प्रत्याशी बदलने के बाद आखिरकार शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य यादव का नाम फाइनल किया गया। इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की थी और इस बार भी भाजपा ने इस सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है। आदित्य यादव पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं।
डिंपल को योगी के मंत्री से मिल रही चुनौती
इसी तरह मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछला उपचुनाव जीतने वाली सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव की किस्मत का फैसला भी तीसरे चरण में ही होना है। भाजपा ने इस बार योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह को मैदान में उतारकर उनके तगड़ी घेरेबंदी की है। बसपा ने इस सीट से अपना कैंडिडेट बदलकर यादव कार्ड खेल दिया है। बसपा ने शिव प्रसाद यादव को उम्मीदवार बना दिया है।
1996 के बाद से मैनपुरी सपा का मजबूत गढ़ बना हुआ है। मोदी लहर में भी बीजेपी इस सीट को नहीं जीत सकी थी मगर पार्टी ने इस बार इस सीट पर काफी मेहनत की है। जयवीर सिंह मैनपुरी सदर विधानसभा सीट से विधायक हैं और उन्होंने चुनाव में पूरी ताकत लगा रखी है। बसपा की ओर से यादव उम्मीदवार उतारने से भी सपा की मुश्किलें बढ़ी हुई नजर आ रही है।
बेटे की जीत के लिए पिता ने लगाई ताकत
फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र में सपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव की परीक्षा होनी है। अक्षय यादव को भाजपा के ठाकुर विश्वदीप सिंह कड़ी चुनौती दे रहे हैं। अक्षय यादव ने 2014 में इस सीट से चुनाव जीता था मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल सिंह यादव के मैदान में उतर जाने से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। अपने बेटे के सियासी दुर्ग को बचाने के लिए रामगोपाल यादव ने भी इस लोकसभा क्षेत्र में डेरा डाल रखा है।
बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतार कर सपा का खेल बिगाड़ने का प्रयास किया है। इस बार मुलायम कुनबा पूरी एकजुटता के साथ भाजपा से यह सीट जीतने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं जबकि दूसरी ओर भाजपा बदले प्रत्याशी के साथ दूसरी बार मैदान मारने की कोशिश में जुटी हुई है।
संभल सीट पर दिलचस्प मुकाबला
संभल लोकसभा सीट पर भी तीसरे चरण में ही मतदान होना है जहां समाजवादी पार्टी ने दिवंगत सांसद शफीकुर रहमान बर्क के पोते जियाउर रहमान बर्क पर दांव लगाया है। जियाउर रहमान कुदरकी सीट से विधायक हैं। भाजपा ने इस लोकसभा सीट पर पूर्व एमएलसी परमेश्वर लाल सैनी को चुनाव मैदान में उतार कर 2014 में मिली जीत को दोहराने की कोशिश की है। इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक की स्थिति में है मगर बसपा ने सौलत अली को चुनाव मैदान में उतार कर मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारे का बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। दूसरी ओर भाजपा हिंदू वोट बैंक को एकजुट रख कर सपा को झटका देने का प्रयास कर रही है।
इन सीटों को भाजपा ने बनाया प्रतिष्ठा की जंग
बरेली, आगरा, फतेहपुर सीकरी,आंवला, हाथरस और एटा लोकसभा सीटों पर भी प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला तीसरे चरण में ही होना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी और ऐसे में भाजपा ने इन सीटों के चुनाव को प्रतिष्ठा की जंग बना रखा है।
भाजपा के सामने 2024 की सियासी जंग में इन सभी सीटों को बनाए रखने की चुनौती है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन और बसपा की ओर से इन सीटों पर भाजपा को कड़ी चुनौती देने की कोशिश की गई है। तीसरा चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है और ऐसे में देखने वाली बात होगी कि कौन अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हो पाता है।