UP Lok Sabha Election: मुलायम कुनबे के पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में, प्रदेश में किसी और यादव को टिकट नहीं
UP Lok Sabha Election: मुलायम सिंह यादव के समय से ही सपा को यादव वोट बैंक का मजबूत समर्थन मिलता रहा है मगर इसके बावजूद मुलायम कुनबे को छोड़कर अन्य यादव दावेदारों की अनदेखी पर हैरानी भी जताई जा रही है।
UP Loksabha Election: समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है। पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अभी तक लोकसभा चुनाव की जंग से दूरी बना रखी थी मगर अब उन्होंने भी कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इस बार के लोकसभा चुनाव में मुलायम कुनबे के पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं।
उल्लेखनीय बात यह है कि मुलायम कुनबे के अलावा प्रदेश में अभी तक सपा की ओर से किसी और यादव को टिकट नहीं दिया गया है। यदि पिछले चुनावों को देखा जाए तो पार्टी यादव उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती रही है मगर इस बार माहौल बदला हुआ है। मुलायम सिंह यादव के समय से ही सपा को यादव वोट बैंक का मजबूत समर्थन मिलता रहा है मगर इसके बावजूद मुलायम कुनबे को छोड़कर अन्य यादव दावेदारों की अनदेखी पर हैरानी भी जताई जा रही है।
मैनपुरी
इस बार के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर से मुलायम कुनबे के पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में डिंपल ने जीत हासिल की थी और इस बार भी वे मैनपुरी के चुनावी अखाड़े में उतरी हुई हैं।
बदायूं
बदायूं से सपा के टिकट में तीन बार बदलाव हुआ है। पहले इस सीट पर धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर बाद में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को इस लोकसभा सीट से टिकट दिया था। शिवपाल सिंह यादव बदायूं से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं थे। इसलिए बाद में उनके बेटे आदित्य यादव को इस सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया गया।
आजमगढ़
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट पर पिछले उपचुनाव में धर्मेंद्र को भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर धर्मेंद्र यादव की निरहुआ से भिड़ंत हो रही है। धर्मेंद्र यादव निरहुआ से उस हार का हिसाब बराबर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
कन्नौज
कन्नौज लोकसभा सीट से सपा ने पहले तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया था। बाद में स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के दबाव में अखिलेश यादव अपने भतीजे तेज प्रताप का टिकट काटने पर मजबूर हो गए। अब उन्होंने खुद ही इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अखिलेश पहले भी कई बार कन्नौज सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
फिरोजाबाद
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर अपने चाचा रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय प्रताप यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। अक्षय ने इस सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन के मुकाबले हार का सामना करना पड़ा था। उस समय अक्षय की हार में शिवपाल सिंह यादव की भी बड़ी भूमिका मानी गई थी जो खुद चुनाव मैदान में उतर गए थे।
2014 में 13 यादव उम्मीदवार
यादव वोट बैंक का मजबूत समर्थन होने के बावजूद इन पांच यादव प्रत्याशियों के अलावा यादव बिरादरी से जुड़े किसी दूसरे नेता को इस बार सपा का टिकट नहीं मिल सका है। वैसे यदि पिछले लोकसभा चुनावों को देखा जाए तो ऐसी स्थिति नहीं थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा की ओर से 13 यादव उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे गए थे और इनमें से पांच मुलायम कुनबे से जुड़े हुए थे। एक दिलचस्प बात यह भी है कि पार्टी परिवार की सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी।
2019 में 11 यादवों को टिकट
यदि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो समाजवादी पार्टी ने 11 यादव उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को छोड़कर कुनबे के सभी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था। अब इस बार फिर मुलायम कुनबे का गढ़ मानी जाने वाली पांच सीटों से कुनबे के पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर उतरे हैं।
भाजपा भी इन सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतार कर समाजवादी पार्टी की घेरेबंदी में जुटी हुई है। समाजवादी पार्टी को उसके गढ़ में ही हराने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि मुलायम कुनबा अपने प्रभुत्व वाली सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हो पाता है या नहीं।