UP Lok Sabha Election Results 2024: यूपी में बसपा को लगा बड़ा झटका, 2014 की तरह फिर जीरो पर पहुंचीं मायावती
UP Lok Sabha Election Results 2024: 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा 20 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर ने ऐसा असर दिखाया कि बसपा का खाता तक नहीं खुल सका।
UP Lok Sabha Election Results 2024: उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को सबसे बड़ा झटका लगा है और पार्टी एक बार फिर शून्य की स्थिति में पहुंचती दिख रही है। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर के कारण बसपा का उत्तर प्रदेश में खाता नहीं खुल सका था। वैसे 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा प्रदेश की 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई थी। हालांकि 2019 में बसपा की इस जीत के पीछे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन भी बड़ा कारण था।
अब इस बार के लोकसभा चुनाव में बसपा मुखिया मायावती को एक बार फिर करारा झटका लगा है। प्रदेश के किसी भी लोकसभा क्षेत्र में पार्टी का प्रत्याशी जीत की स्थिति में नहीं है। प्रदेश में पहले ही एनडीए और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच मुकाबला माना जा रहा था मगर बसपा की ऐसी दुर्दशा के बारे में भी किसी ने नहीं सोचा था।
इसलिए लिया था अकेले लड़ने का फैसला
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने लोकसभा चुनाव से काफी पहले ही अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। उनका कहना था कि किसी भी गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ने से बसपा का नुकसान होता है। गठबंधन करने पर हमारा वोट तो उन्हें ट्रांसफर हो जाता है मगर उनका वोट खास कर सवर्ण वोट बसपा के खाते में नहीं आता। इस कारण हम आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होंगे।
मायावती का कहना था कि देश की अधिकांश पार्टियां बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती हैं मगर हम किसी भी दल के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि 2007 के विधानसभा चुनाव की तरह हमारी पार्टी 2024 में भी बेहतर नतीजे हासिल करने में कामयाब होगी मगर पार्टी को इस बार के लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगा है।
2007 के चुनाव में दिखाई थी ताकत
2007 के विधानसभा चुनाव में मायावती की अगुवाई में बसपा ने उत्तर प्रदेश में अपनी ताकत दिखाई थी। 12 मई 2007 को चौथी बार उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद मायावती ने मुख्यमंत्री के रूप में पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। मुख्यमंत्री के रूप में कानून व्यवस्था को लेकर मायावती ने काफी सख्त तेवर अपनाया था जिसकी आज तक मिसाल दी जाती है।
उत्तर प्रदेश में 2012 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद मायावती सियासी रूप से काफी कमजोर दिखी हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने 224 सीटों पर जीत हासिल करके प्रदेश में सरकार बनाई थी जबकि बसपा 80 सीटों पर सिमट गई थी। भाजपा को 47 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस 28 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।
विधानसभा चुनाव में लगातार लगा झटका
2017 का विधानसभा चुनाव मायावती के लिए और भी खराब रहा। 2017 के चुनाव में भाजपा गठबंधन ने 324 सीटों पर जीत हासिल करके प्रचंड बहुमत हासिल किया था। भाजपा को 311 सीटों पर जीत मिली थी जबकि सहयोगी दलों अपना दल ने 9 और सुभासपा ने 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन को 54 सीटों पर जीत मिली थी जबकि बसपा 19 सीटों पर सिमट गई थी।
2022 के विधानसभा चुनाव ने मायावती की कमजोर होती पकड़ पर पूरी तरह मुहर लगा दी। 2022 के चुनाव में भाजपा गठबंधन को 273 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि सपा गठबंधन ने 125 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की। कांग्रेस को दो सीटों पर कामयाबी मिली जबकि बसपा सिर्फ एक सीट ही जीत सकी।
लोकसभा चुनाव में भी नहीं दिखा सकीं दम
यदि लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखा जाए तो उससे भी साबित होता है कि मायावती की पकड़ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा 20 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मोदी लहर ने ऐसा असर दिखाया कि बसपा का खाता तक नहीं खुल सका। मायावती के लिए 2014 का लोकसभा चुनाव बड़ा सियासी झटका था।
उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया। सपा से गठबंधन करने का मायावती को फायदा भी मिला और बसपा 2019 के चुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही। मायावती की जीत में सपा से हाथ मिलाने का भी खासा असर रहा,लेकिन चुनाव के बाद सपा से बसपा का गठबंधन टूट गया। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा अपने दम पर चुनाव लड़कर एक बार फिर जीरो पर पहुंच गई है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन को ट्रांसफर हुआ वोट
2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने 19 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी को सिर्फ 18 फ़ीसदी वोट मिले थे मगर इस बार सपा के वोट शेयर में भारी उछाल आया है जबकि बसपा के वोट शेयर में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सियासी जानकारों का मानना है कि बसपा का वोट शेयर इस बार सपा-कांग्रेस गठबंधन को ट्रांसफर हो गया है जिससे बसपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।