UP Loksabha Election: पूर्वांचल की तीन लोकसभा सीटों पर होगी भाजपा की अग्निपरीक्षा, सातवें चरण में सपा से मिल रही कड़ी चुनौती

UP Loksabha Election : सातवें चरण का चुनावी शोर थमने से पहले पूर्वांचल की बाकी बची सीटों पर भाजपा और इंडिया गठबंधन ने पूरी ताकत लगा रखी है। सातवें चरण की कोई सीटों पर भाजपा मजबूती स्थिति में दिख रही है तो कुछ सीटों पर पार्टी की अग्निपरीक्षा भी होनी है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-05-27 18:25 IST

UP Loksabha Election : सातवें चरण का चुनावी शोर थमने से पहले पूर्वांचल की बाकी बची सीटों पर भाजपा और इंडिया गठबंधन ने पूरी ताकत लगा रखी है। सातवें चरण की कोई सीटों पर भाजपा मजबूती स्थिति में दिख रही है तो कुछ सीटों पर पार्टी की अग्निपरीक्षा भी होनी है। भाजपा के लिए उन तीन लोकसभा क्षेत्र को चुनौती पूर्ण माना जा रहा है जहां 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भी इन तीन महत्वपूर्ण सीटों पर सपा प्रत्याशी प्रत्याशियों ने भाजपा की मजबूत घेराबंदी कर रखी है। यही कारण है कि बलिया,गाजीपुर और घोसी लोकसभा सीटों पर भाजपा की सियासी राह मुश्किलों भरी मानी जा रही है।

2019 में इन दो सीटों पर हार गई थी भाजपा

उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण में पूर्वांचल की जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज की लोकसभा सीटें शामिल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने घोसी और गाजीपुर लोकसभा सीट को छोड़कर इन सभी सीटों पर जीत हासिल की थी।


इस बार के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर गाजीपुर और घोसी लोकसभा सीटों पर एनडीए को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। गाजीपुर में सपा के अफजाल अंसारी भाजपा के पारसनाथ राय को कड़ी चुनौती दे रहे हैं तो घोसी में सपा के राजीव राय सुभासपा के अरविंद राजभर के लिए बड़ी मुसीबत साबित हो रहे हैं।

बलिया सीट पर भाजपा की मजबूत घेराबंदी

बलिया लोकसभा सीट पर भी पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कड़े मुकाबले में काफी कम मार्जिन से जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा के लिए यह सीट भी फंसी हुई नजर आ रही है। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा के सनातन पांडेय को करीब 15 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा था मगर इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर की सियासी राह मुश्किल बना दी है।

दरअसल ब्राह्मण मतदाताओं की गोलबंदी नीरज शेखर के लिए बड़ी मुसीबत बनती दिख रही है। बहुजन समाज पार्टी ने इस सीट पर लल्लन सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है और वे पार्टी के कोर वोट बैंक के दम पर अपनी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हालांकि इस सीट पर भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य रूप से मुकाबला माना जा रहा है।

घोसी में बदली नजर आ रही है सियासी तस्वीर

वैसे घोसी की तस्वीर इस बार बदली हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर सपा के गठबंधन में शामिल थे। इस कारण भाजपा का जातीय समीकरण काफी प्रभावित हुआ था मगर इस बार ओमप्रकाश राजभर एनडीए में शामिल होकर चुनाव मैदान में उतरे हैं। घोसी सीट पर राजभर के बेटे अरविंद राजभर सपा के चक्रव्यूह में फंसे हुए दिखाई दे रहे हैं। सपा प्रत्याशी राजीव राय की कड़ी चुनौती के कारण उनकी सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।


2022 के चुनाव में अच्छे नहीं रहे नतीजे

पूर्वांचल के तीन लोकसभा क्षेत्रों को भाजपा के लिए मुश्किल मानने का मजबूत आधार भी है। दरअसल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बलिया, गाजीपुर और घोसी लोकसभा क्षेत्रों से जुड़े 15 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा सिर्फ दो सीटें जीतने में कामयाब हो सकी थी। गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में तो भाजपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी जबकि घोसी में सिर्फ मधुबन सीट पर भाजपा को कामयाबी मिली थी।

यदि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखा जाए तो गाजीपुर और घोसी सीटों पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा के टिकट पर अफजाल अंसारी ने जीत हासिल की थी जबकि घोसी में बसपा प्रत्याशी के रूप में अतुल राय को जीत मिली थी। अफजाल अंसारी इस बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर एक बार फिर गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में उतरे हैं जबकि घोसी में सपा ने राजीव राय के रूप में मजबूत प्रत्याशी उतार दिया है।

इन लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा ने दिखाया था दम

भाजपा के लिए सबसे बड़े सुकून की बात यह है कि सातवें चरण की सात लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दल अपना खाता भी नहीं खोल सके थे। ऐसी लोकसभा सीटों में वाराणसी, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया और बांसगांव की सीटें शामिल हैं।

इन लोकसभा क्षेत्रों की सभी विधानसभा सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों अपना दल (एस) और निषाद पार्टी ने जीत हासिल की थी। चंदौली और महाराजगंज लोकसभा क्षेत्रों में भी विपक्षी दलों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में सिर्फ एक-एक विधानसभा सीट पर विपक्ष के उम्मीदवार को कामयाबी मिली थी।

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