UP Loksabha Election: जौनपुर सीट पर अब मुकाबला हुआ दिलचस्प,धनंजय सिंह को जमानत मिलने से श्रीकला की बढ़ी ताकत
UP Loksabha Election: इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से धनंजय सिंह को जमानत मिलने के बाद अब जौनपुर लोकसभा सीट का समीकरण पूरी तरह बदलने की संभावना
UP Loksabha Election: पूर्वी उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला हो रहा है। बसपा ने इस सीट पर बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को चुनाव मैदान में उतारा है। इंजीनियर के अपहरण और रंगदारी मांगने के मामले में धनंजय को सात साल की सजा सुनाई गई है और इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई थी मगर शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। हालांकि हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई है। ऐसे में वे खुद चुनाव नहीं लड़ सकते।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से धनंजय सिंह को जमानत मिलने के बाद अब जौनपुर लोकसभा सीट का समीकरण पूरी तरह बदलने की संभावना है। माना जा रहा है कि धनंजय सिंह को मिली यह जमानत बड़ा असर डालेगी। इससे उनकी पत्नी और बसपा उम्मीदवार श्रीकला रेड्डी की चुनावी संभावनाएं मजबूत होने की पूरी उम्मीद है। भाजपा ने इस सीट पर जौनपुर के मूल निवासी और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है जबकि बसपा ने किसी जमाने में मायावती का दाहिना हाथ माने जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है।
जौनपुर सीट का दिलचस्प इतिहास
यदि जौनपुर लोकसभा सीट के पिछले 20 साल के इतिहास को देखा जाए तो यह काफी दिलचस्प बात उभरकर सामने आती है कि 2004 से ही जौनपुर के मतदाताओं ने अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग पार्टियों को जीत दिलाई है। 2004 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की थी तो 2009 में बसपा प्रत्याशी ने दम दिखाया था।2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा इस सीट को जीतने में कामयाब रही थी तो 2019 के चुनाव में एक बार फिर चुनावी बाजी बसपा के हाथ में रही थी। इस तरह बसपा ने पिछले 20 वर्षों के दौरान दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है। पार्टी ने इस बार धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को चुनाव मैदान में उतार कर एक बार फिर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाने का प्रयास किया है।
जौनपुर में धनंजय की बड़ी ताकत
इंजीनियर से रंगदारी मांगने और अपहरण के मामले में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद माना जा रहा था कि खुद चुनाव न लड़ पाने की स्थिति में धनंजय सिंह अपनी पत्नी या किसी करीबी को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। आखिरकार धनंजय ने जेल में रहते हुए अपनी पत्नी श्रीकला के लिए बसपा के टिकट का इंतजाम कर लिया। धनंजय सिंह की इलाके में मजबूत सियासी पकड़ मानी जाती रही है।उन्होंने 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में रारी सीट से जीत हासिल की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में वे जौनपुर से बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। 2009 में उन्होंने सपा के कद्दावर नेता पारस यादव को हराया था।हालांकि उसके बाद वे लगातार चुनाव हारते रहे हैं। 2014 में उन्हें निर्दल उम्मीदवार के रूप में जौनपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें मल्हनी सीट पर शिकस्त झेलने पड़ी थी। 2020 में मल्हनी सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में भी वे पराजित हो गए थे।
अब श्रीकला को धनंजय से मिलेगी बड़ी मदद
ऐसे में धनंजय सिंह इस बार अपनी पिछली हारों का हिसाब बराबर करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जौनपुर लोकसभा सीट से उन्होंने 2019 का चुनाव नहीं लड़ा था मगर 2024 की सियासी जंग में वे काफी दिनों से जुटे हुए थे मगर इस बीच अदालत की ओर से सजा सुनाए जाने के बाद उनके अरमानों पर पानी फिर गया।उनके जेल में होने के कारण उनकी पत्नी श्रीकला का चुनाव प्रचार अपेक्षा के अनुरूप जोर नहीं पकड़ पा रहा था मगर अब सियासी जानकारों का मानना है कि धनंजय सिंह को जमानत मिलने के बाद जौनपुर लोकसभा सीट का समीकरण काफी हद तक बदल जाएगा।धनंजय सिंह के बाहर आने का उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी को बड़ा फायदा मिल सकता है। धनंजय सिंह के नाम पर ही उनकी पत्नी चुनाव मैदान में उतरी हैं और अब उनकी चुनाव रणनीति को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी धनंजय सिंह ही निभाएंगे।
सपा में नाराजगी का मिल सकता है फायदा
बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पिछले 22 वर्षों से जौनपुर की सियासत में सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा और ब्लॉक से लेकर जिला पंचायत और एमएलसी चुनाव में उनकी सक्रिय भूमिका दिखती रही है। जौनपुर के लगभग सभी इलाकों में उनके समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है और ऐसे में अब उनकी पत्नी और बसपा प्रत्याशी श्रीकला रेड्डी का चुनाव प्रचार काफी रफ्तार पकड़ सकता है।इसके साथ ही बसपा का टिकट मिलना भी श्रीकला के लिए मजबूती का आधार बन सकता है। बसपा इस सीट पर दो बार जीत हासिल कर चुकी है। बसपा का वोट बैंक और धनंजय सिंह की ताकत श्रीकला के लिए चुनाव में दूसरे उम्मीदवारों को पिछाड़ने में मददगार बनेंगे।सपा में अपने प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा को लेकर दिख रही नाराजगी का भी धनंजय की पत्नी को बड़ा फायदा मिल सकता है।जौनपुर में करीब पौने दो लाख मुस्लिम मतदाता हैं और यदि उन्होंने भाजपा के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार के रूप में श्रीकला को समर्थन दिया तो जौनपुर लोकसभा सीट का नतीजा चौंकाने वाला हो सकता है।
मुश्किल में फंसे हुए हैं बाबू सिंह कुशवाहा
जौनपुर में सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है। मायावती सरकार में प्रभावशाली मंत्री रह चुके बाबू सिंह कुशवाहा को एनआरएचएम घोटाले में जेल जाना पड़ा था। इस घोटाले में घिरने के बाद उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसके बाद उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया गया था।बाद में कुशवाहा ने जन अधिकार पार्टी का भी गठन किया था। उनकी पत्नी सुकन्या कुशवाहा ने 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को जौनपुर की सियासी जंग में उतार दिया है।हालांकि उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने के बाद से सपा में अंदरखाने काफी विरोध भी हो रहा है। सपा का एक धड़ा बाबू सिंह कुशवाहा के चुनाव प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। बाहरी प्रत्याशी होने के कारण बाबू सिंह कुशवाहा स्थानीय मतदाताओं में मजबूत पैठ भी नहीं बना पा रहे हैं। इस कारण भी सपा की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं।
कृपाशंकर भी ताकत दिखाने को बेताब
भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा चेहरा रहे हैं। उन्होंने 2019 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने जम्मू कश्मीर को लेकर कांग्रेस की नीतियों पर नाराजगी जताई थी और इसी कारण उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था। वे मुंबई के सांताक्रूज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं और इसके साथ ही उन्होंने 2008 से 2012 तक मुंबई कांग्रेस के चीफ पद की जिम्मेदारी भी संभाली थी।कांग्रेस से इस्तीफा देने के दो साल बाद 2021 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भाजपा ने 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। बीजेपी ने उन्हें गुजरात के 10 जिलों का प्रभारी बनाया गया था।इन दस जिलों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस को करारा झटका दिया था। इसके अलावा बीजेपी ने उन्हें महाराष्ट्र में पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष भी नियुक्त किया था।अब उन्हें भाजपा की ओर से जौनपुर संसदीय सीट पर चुनाव मैदान में उतारा गया है। वे जौनपुर के ही मूल निवासी हैं। इस बार वे अपने गृह जिले में ताकत दिखाने को बेताब हैं और इस कारण जौनपुर में दिलचस्प मुकाबला दिख रहा है।