Lok Sabha Election: पीलीभीत में आज साफ होगी तस्वीर, टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के रुख पर सबकी निगाहें

Lok Sabha Election 2024: वरुण गांधी की ओर से नामांकन के चार सीट खरीदे गए थे जबकि उस समय भाजपा का टिकट भी घोषित नहीं हुआ था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-03-27 09:02 IST

वरुण गांधी  (photo: social media )

Lok Sabha Election 2024: पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का टिकट कटने के बाद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने चुप्पी साध रखी है। इस लोकसभा क्षेत्र में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद वरुण गांधी (Varun Gandhi) की ओर से नामांकन के चार सीट खरीदे गए थे जबकि उस समय भाजपा का टिकट भी घोषित नहीं हुआ था।

बाद में भाजपा की ओर से वरुण गांधी (Varun Gandhi BJP Ticket) का टिकट काटते हुए जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतार दिया गया है। ऐसे में अब सबकी निगाहें वरुण गांधी पर टिकी हुई हैं। पहले चरण की लोकसभा सीटों में पीलीभीत की सीट भी शामिल है और आज यहां नामांकन का आखिरी दिन है। ऐसे में आज इस सीट को लेकर वरुण गांधी का रुख साफ होने की उम्मीद है।

मेनका के टिकट के बाद गहराया रहस्य

पहले यह माना जा रहा था कि टिकट कटने की स्थिति में वरुण गांधी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। उनके निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरे जाने की भी चर्चाएं थीं मगर भाजपा ने उनकी मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया है। इसके बाद ही वरुण गांधी के अगले कदम को लेकर रहस्य और गहरा गया है।

पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से वरुण गांधी के परिवार का लंबा रिश्ता रहा है। उनकी मां मेनका गांधी ने इस लोकसभा क्षेत्र से 1989 में पहली बार चुनाव जीता था। ऐसे में अगर वरुण गांधी इस बार इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में नहीं उतरे तो उनके परिवार का इस लोकसभा क्षेत्र से 35 वर्षों का सियासी रिश्ता खत्म हो जाएगा।

पीलीभीत सीट से 1989 से ही रिश्ता

वरुण गांधी की मां मेनका गांधी ने 1989 में जनता दल उम्मीदवार के रूप में पहली बार इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। दो साल बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें भाजपा उम्मीदवार परशुराम गंगवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि 1996 के लोकसभा चुनाव में मेनका ने एक बार फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया था। 1996 में उन्होंने जनता दल उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी।

इसके बाद 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में मेनका को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर जीत हासिल हुई। मेनका ने 2004 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी और फिर भाजपा उम्मीदवार के रूप में इस सीट पर जीत हासिल की थी।

2009 में वरुण को मिली थी पहली जीत

उसके बाद 2009 में इस सीट पर वरुण गांधी को जीत हासिल हुई। 2014 में मेनका गांधी ने पीलीभीत से फिर जीत हासिल की जबकि वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद बने थे। 2019 में फिर तस्वीर बदली और वरुण पीलीभीत सीट से जीते जबकि मेनका सुल्तानपुर से सांसद बनी थीं।

अब इस बार भाजपा ने मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट तो दे दिया है मगर पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को चुनाव मैदान में उतार दिया है।

मेनका ने अटकलों को बताया अफवाह

हालांकि अभी भी सियासी हल्कों में इस तरह की चर्चाएं हैं कि वरुण गांधी को रायबरेली या किसी दूसरी सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। प्रदेश की कई महत्वपूर्ण सीटों पर अभी भाजपा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वरुण गांधी को लेकर यह भी चर्चाएं हैं कि वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर सकते हैं या किसी दूसरी पार्टी में जा सकते हैं।

वैसे उनकी मां मेनका गांधी का कहना है कि वरुण को लेकर जो कुछ भी चर्चाएं सुनी जा रही हैं, वे सब अफवाह हैं। उनका कहना है कि वे पूरी मजबूती के साथ सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने कहा कि मैं 1 अप्रैल को सुल्तानपुर जा रही हूं और फिर जनता के बीच रहूंगी। उन्होंने कहा कि मुझे सुल्तानपुर के लोगों पर पूरा भरोसा है।

दूसरी ओर वरुण गांधी को लेकर आज तस्वीर साफ होने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि आज पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में नामांकन का आखिरी दिन है। अब देखने वाली बात होगी कि वरुण गांधी आज क्या फैसला लेते हैं।

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