Gorakhpur News: पुराने चेहरों पर दांव भाजपा पर पड़ा भारी, योगी के गढ़ में अब होगा ‘आपरेशन’!

Gorakhpur News: पार्टी नये सिरे से 2027 के विधानसभा की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी की विधानसभावार समीक्षा की तैयारी है।जनता के बीच गायब नेताओं को लेकर भाजपा आपरेशन चला सकती है।

Update:2024-06-05 09:42 IST

सीएम योगी  (photo: social media ) 

Gorakhpur News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों पर पुराने चेहरों को लेकर जनता की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ी। भाजपा को न सिर्फ तीन सीटों का भाजपा को नुकसान हुआ, बल्कि जीती हुई सीटों पर वोटों का अंतर भी काफी घट गया। बांसगांव लोकसभा सीट तो धांधली के गम्भीर आरोपों के बीच किसी तरह बची। अब जब चुनाव खत्म हो गया है। पार्टी नये सिरे से 2027 के विधानसभा की तैयारियों में जुट गई है। पार्टी की विधानसभावार समीक्षा की तैयारी है। माना जा रहा है कि जनता के बीच गायब नेताओं को लेकर भाजपा आपरेशन चला सकती है।

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गोरखपुर-बस्ती मंडल की सभी नौ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने देवरिया में शशांक मणि त्रिपाठी को छोड़कर सभी पुराने चेहरों पर दोबारा दांव लगाया। पुराने चेहरों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ही जनता में भी गुस्सा साफ दिखा। जीत हार का अंतर इस गुस्से को तस्दीक भी कर रहा है। महराजगंज में पंकज चौधरी ने नौ लोकसभा सीटों में सर्वाधिक 3,40,424 वोटों के अंतर से जीत मिली थी। लेकिन इस बार उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी से कड़ी टक्कर मिली। उन्हें अपनी ही जाति के वोटरों के बीच पसीना बहाना पड़ा। नाराजगी ही है कि उनकी जीत अंतर 35451 मतों पर सिमट गया।

पंकज चौधरी को जनसंपर्क के दौरान कई बार जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा। कुर्मी वोटरों ने तो पंकज की खुलकर विरोध किया। गोरखपुर में रवि किशन ने 2019 में पहली ही बार में 7,17,122 वोट हासिल कर सपा के रामभुआल निषाद को 3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। इस बार जीत का अंतर मुश्किल से एक लाख को पार हुआ। रवि किशन को लेकर जनता के बीच गुस्सा है। कई क्षेत्रों में लोगों ने कहा कि रवि किशन मुख्समंत्री के साथ सिर्फ मंचों पर दिखते हैं। जनता के सुख दुख से उनका कोई सरोकार नहीं है। बांसगांव में कमलेश पासवान को कांग्रेस के सदल के मुकाबले सिर्फ 3150 वोटों के अंतर से जीत दर्ज कर सके। कमलेश को तो रुद्रपुर में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। बाद में कमलेश यहां पीएम नरेन्द्र मोदी की जनसभा कराने में कामयाब हुए। कुशीनगर में भी विजय दूबे को लेकर सैंथवार वोटरों में गुस्सा था। पिछली बार तीन लाख से अधिक वोटों से जीतने वाले विजय दूबे कड़े मुकाबले में 81655 वोटों से जीते। विजय दूबे को लेकर लोगों में गुस्सा जगजाहिर है।

बस्ती मंडल में विधानसभा से ही दिखने लगा था गुस्सा

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बस्ती मंडल की सभी तीन सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। डुमरियागंज में जंगदम्बिका पाल एक लाख से अधिक वोटों से जीते थे, लेकिन संतकबीर नगर प्रवीण निषाद और बस्ती में हरीश द्विवेदी को सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में बस्ती में पांच विधानसभा में से चार सीटों पर भाजपा को हार मिली थी। तीन सीट सपा के खाते में गई थी तो एक सीट ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को मिली थी। पुराने प्रदर्शन को बरकरार रखते हुए बस्ती में सपा के राम प्रसाद चौधरी ने भाजपा के हरीश द्विवेदी को हैट्रिक बनाने से रोक लिया। वहीं संतकबीर नगर में निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद और निवर्तमान सांसद प्रवीण निषाद सपा के लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद ने हार गए। भाजपा के दिग्गज गठबंधन के उठाये मुद्दों पर भी पलटवार करने में असफल रहे। वोटरों में अग्निवीर, संविधान, महंगाई, पेपरलीक का मुद्दा भी प्रभावी दिखा।


दिग्गजों की मौजूदगी में हार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भाजपा के कई दिग्गज पूर्वांचल में प्रभावी है। भाजपा ने यहां के शिव प्रताप शुक्ला को हिमाचल का राज्यपाल बनाया है। डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव जैसा अहम पद दिया है। डॉ.धर्मेन्द्र सिंह, डॉ.संजय निषाद एमएलसी हैं। तो जय प्रकाश निषाद और संगीता यादव को पार्टी ने राज्यसभा भेजा है। डॉ.राधा मोहन दास अग्रवाल को भी तमाम गुणाभाग के बीच पार्टी ने राज्यसभा भेजा है।


भीतरघात से जूझ रही भाजपा

भाजपा अंदरूनी कलह से सभी सीटों पर जूझना पड़ा। बस्ती में तो हैट्रिक की दावेदारी करने वाले हरीश द्विवेदी के इशारे पर लोकसभा के हरैया विधानसभा से विधायक अजय सिंह की चुनाव ड्यूटी वाराणसी के लिए लगा दी गई है। विधायक ने फेसबुक पर लिखा है कि ‘मैं चला चंदौली। बाबा विश्वनाथ की नगरी में। बाबा विश्वनाथ हम बस्ती वासियों पर अपनी कृपा बनाएं रखें।’ इसी तरह डुमरियागंज में पूर्व मंत्री सतीश द्विवेदी सिद्धार्थनगर छोड़कर पीएम नरेन्द्र मोदी के लोकसभा सीट वाराणसी चले गए। इसी तरह महराजगंज जिले में केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को अपने ही विधायकों का विरोध झेलना पड़ा। सिसवा से विधायक प्रेम सागर पटेल से पंकज की अनबन जगजाहिर है। वहीं पूर्व विधायक बजरंग बहादुर सिंह का भी पूरा समर्पण नहीं दिखा। बस्ती में दूसरे दलों के दिग्गजों को पार्टी में शामिल करना भी कारगर साबित नहीं हुआ। महराजगंज में पार्टी के कुछ पदाधिकारी ही पूरे मन से नहीं लगे थे। इसकी अंदरूनी शिकायत पार्टी स्तर पर हुई है। इतना ही नहीं जातिगत आधार पर भी भाजपा अपने पुराने वोट बैंक को सहेजने में कामयाब नहीं दिखी। सैंथवार वोटरों की नाराजगी का असर वोटों के रूप में संतकबीरनगर, कुशीनगर के साथ ही गोरखपुर के एक विधानसभा में साफ दिख रहा है।

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