Lok Sabha Election: यादव वोट बैंक की जंग हुई तीखी, भाजपा को मोहन यादव तो कांग्रेस को अखिलेश यादव का सहारा

Lok Sabha Election 2024: यूपी और बिहार में भाजपा अभी तक यादव वोट बैंक में सेंधमारी नहीं कर सकी है। इन दोनों राज्यों में गैर यादव ओबीसी मतदाताओं के जरिए ही मदद मिलती रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-04-17 09:18 IST

मोहन यादव अखिलेश यादव  (फोटो: सोशल मीडिया ) 

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की बाजी जीतने के लिए सभी राजनीतिक दलों की ओर से जातीय समीकरण साधने की भी पूरी कोशिश की जा रही है। जातीय समीकरण साधने की इस जंग में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में यादव वोटों की जंग काफी तीखी हो गई है। उत्तर प्रदेश में यादव वोट बैंक सपा और बिहार में राजद का मुख्य आधार रहा है मगर बीजेपी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के जरिए इस वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश में जुटी हुई है। इसी कड़ी में मैनपुरी में मोहन यादव का दौरा कराया गया।

दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कांग्रेस यादव वोट बैंक का समीकरण साधने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की मदद लेने की कोशिश में जुटी हुई है। मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव की कई रैलियों का खाका तैयार किया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेता इसमें जुटे हुए हैं और जल्द ही इस बाबत ऐलान किया जाएगा। अब यह देखने वाली बात होगी कि उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा और मध्य प्रदेश में कांग्रेस को यादव वोट बैंक का समीकरण साधने में कहां तक कामयाबी मिलती है।

मोहन यादव के जरिए सेंधमारी की कोशिश

उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा अभी तक यादव वोट बैंक में सेंधमारी नहीं कर सकी है। इन दोनों राज्यों में गैर यादव ओबीसी मतदाताओं के जरिए ही भाजपा को मदद मिलती रही है। यादव वोट बैंकों को लुभाने के लिए ही मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने बड़ा फैसला लिया था। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने शिवराज सिंह चौहान की मजबूत दावेदारी को नकार कर मुख्यमंत्री के पद पर मोहन यादव की ताजपोशी की थी। अब मोहन यादव के जरिए भाजपा उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव वोट बैंक का समीकरण साधने की कोशिश में जुटी हुई है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद मोहन यादव ने पटना का दौरा किया था और इस दौरान यादवों के संगठन की ओर से उनका सम्मान भी किया गया था। अब मोहन यादव को उत्तर प्रदेश और बिहार के यादव लैंड में उतारने की तैयारी की जा रही है। भाजपा ने अपनी इस योजना पर अमल शुरू भी कर दिया है और इसी योजना के तहत सोमवार को मोहन यादव मैनपुरी भी पहुंचे थे।


मोहन यादव को इसलिए अहमियत दे रही भाजपा

उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में मोहन यादव का नाम अनायास नहीं रखा गया है बल्कि इसके पीछे भाजपा की सोची-समझी रणनीति है। उत्तर प्रदेश में तो भाजपा की ओर से 40 स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की गई है, उसमें मोहन यादव का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ठीक बाद रखा गया है।

इसी तरह बिहार के स्टार प्रचारकों में भी मोहन यादव को प्रमुखता से शामिल किया गया है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मैनपुरी के बाद फिरोजाबाद समेत यादव बहुल कई लोकसभा सीटों पर मोहन यादव का चुनावी कार्यक्रम तय किया जाएगा। बिहार के यादव बहुल इलाकों में भी उनका दौरा तय करने की तैयारी की जा रही है। भाजपा की इस रणनीति से साफ हो गया है कि पार्टी इस बार यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर गंभीरता से काम कर रही है।


मोहन यादव ने सपा-कांग्रेस पर साधा निशाना

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार को मैनपुरी में भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश के मंत्री जयवीर सिंह के केंद्रीय चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मोहन यादव ने कांग्रेस पर सनातन विरोधी होने का बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए अप्रत्यक्ष रूप से सपा पर भी हमला बोला।

उन्होंने कहा कि भाजपा में छोटा कार्यकर्ता भी बड़े पद पर पहुंच सकता है जबकि दूसरे दलों में एक ही खानदान का राज चला करता है। उल्लेखनीय है कि मैनपुरी में सपा ने पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा है और मोहन यादव ने इसी को लेकर परिवारवाद पर निशाना साधा।


एमपी में कांग्रेस को अखिलेश यादव पर भरोसा

दूसरी ओर मध्य प्रदेश में कांग्रेस भी इसी रणनीति पर काम कर रही है। दरअसल विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने की पूरी तैयारी कर रखी है। राज्य के कई लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत बताई जा रही है। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को अपने गढ़ छिंदवाड़ा में अपने बेटे नकुलनाथ को जिताने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

ऐसे में कांग्रेस ने यादव वोट बैंक का समीकरण साधने के लिए अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की मदद लेने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर रखा है। इस गठबंधन के तहत कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की 17 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है जबकि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने खजुराहो लोकसभा सीट सपा के लिए छोड़ दी है। हालांकि खजुराहो में समाजवादी पार्टी की महिला प्रत्याशी का नामांकन खारिज किया जा चुका है।


अखिलेश की रैलियां कराने की कांग्रेस की तैयारी

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की ओर से मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद कांग्रेस की यादव वोट बैंक को लेकर चिंता काफी बढ़ गई है। भाजपा के मोहन फैक्टर की काट के लिए अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को मध्य प्रदेश के सियासी रण में उतरने की तैयारी है।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कई रैलियों को संबोधित करते हुए नजर आएंगे।

मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव की रैलियों का कार्यक्रम तय करने के लिए सपा और कांग्रेस के राज्य स्तरीय नेताओं की बैठक भी हुई है। इस बैठक के दौरान रैली स्थलों को लेकर लंबा मंथन किया गया। कांग्रेस की ओर से अखिलेश की रैलियां यादव बहुल इलाकों में कराने की तैयारी की जा रही है ताकि कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को मजबूती मिल सके।



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