Bhopal News: जब दहेज के चलते दर्जनों लड़कों ने शादी से कर दिया इनकार तो अनामिका ने उठाया बढ़ा कदम, फिर जो हुआ...

Bhopal News: भारत में दहेज के चलते बहुत से रिश्ते नहीं बन पाते हैं। लड़की के घर वालों से लड़के वाले दहेज की मांग करते हैं जब लड़की वाले इसे देने में सक्षम नहीं होते हैं तो वे शादी करने से इंकार कर देते हैं। दहेत के विरोध में ही एक बेटी ने मुहिम छेड़ी है।

Update:2023-07-17 13:44 IST
Bhopal News: photo: social media

Bhopal News: एक युवती को शादी के लिए जब दहेज के कारण दर्जनों लड़कों ने इंकार कर दिया तो उसने बड़ा कदम उठाया और एक मुहिम की शुरुआत की। हमारे देश में दहेज लेना व देना भले ही गैर कानूनी है, लेकिन हकीकत यह है कि दहेज के बिना शायद ही किसी लड़की की शादी होती हो। 1961 से ही भारत में दहेज लेना और देना दोनों गैर कानूनी है, लेकिन हकीकत ये है कि दहेज आज भी चलन में है। यहां लड़की के परिवार वालों से लड़के वाले उम्मीद करते हैं कि वे लड़के के परिवार वालों को नकद, कपड़े और ज्वैलरी इत्यादि के रुप में दहेज दें। हाल के एक अध्ययन के मुताबिक गैर कानूनी होने के बाद भी 90 प्रतिशत भारतीय शादियों में दहेज का लेन-देन होता है।

यहां बात एक 27 साल की युवती अनामिका की हो रही है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की 27 साल की इस शिक्षिका ने दहेज जैसे गैर कानूनी प्रथा और सामाजिक बुराई के उन्मूलन के लिए बकायदा एक मुहिम शुरू की है। उन्होंने शादी के मंडपों में पुलिस अधिकारियों की निगरानी और छापा मारने के अनुरोध को लेकरएक याचिका दायर की है। अनामिका शुक्ला (बदला हुआ नाम) ने एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में बताया कि दहेज के चलते दर्जनों लड़कों ने उनके साथ शादी से इनकार कर दिया तो उसके बाद उन्होंने भोपाल पुलिस को एक याचिका दी है।

जैसे मानो वे मेरे शरीर की नाप-तौल कर रहे हों-

उन्होंने बताया कि सबसे आखिरी बार यह वाकया फरवरी 2023 में तब हुआ जब पिता ने एक लड़के के परिवार वालों को रिश्ते के लिए आमंत्रित किया था। इस दौरान दोनों परिवार के लोगों ने एक-दूसरे से मुलाकात की। उसके बाद अनामिका मेहमानों के लिए चाय और नाश्ते की ट्रे लेकर आईं। उनका कहना है कि यह मेरे लिए काफी परेशान करने वाला पल था। हर कोई मुझे ही घूर रहा था, जैसे मानो वे मेरे शरीर की नाप-तौल कर रहे हों। अनामिका के अनुसार मेहमानों के सामने किस तरह जाना है, इसको लेकर मेरे परिवार में चर्चा हुई थी। इसके लिए बकायदा तैयारी भी की गई थी। मां ने मेरे लिए हरे रंग की ड्रेस चुनी क्योंकि उनकी बेटी उस ड्रेस में कहीं ज्यादा सुंदर दिखती।

मां ने बेटी को दी थी सलाह-

उन्होंने बेटी को यह सलाह भी दी कि वह लड़के वालों के सामने ज्यादा जोर से न हंसे नहीं तो मेहमानों की नजर उसके दांतों पर पड़ सकती है। अनामिका के दांत थोड़े ठेढ़े-मेढ़े हैं। अनामिका के लिए यह सब कोई नयी बात नहीं थी। उसके साथ यह सिलसिला पिछले छह सालों से चल रहा है और कम से कम छह बार वह यह सब दोहराती आयी हैं। उनका कहना है कि इस दौरान लड़कों और उनके परिवार द्वारा पूछे जाने वाले सवाल भी लगभग एक जैसे ही होते हैं, जैसे-कहां तक पढ़ी हो, क्या काम करती हो और खाना बनाना आता है या नहीं आदि?

आपकी बेटी सुंदर होगी तो आपको डिस्काउंट देंगे-

अनामिका की मानें तो कमरे में प्रवेश करने से पहले उनके पिता, लड़के के पिता से दहेज के बारे में बात कर रहे थे। उन्होंने बताया, कमरे में जाने से पहले मैंने सुना था कि मेरे पिता उनसे दहेज के बारे में पूछ रहे थे। हम लोगों ने सुन रखा था कि वे पचास से साठ लाख रुपये तक मांग रहे हैं, उन्होंने मेरे पिता को हंसते हुए कहा कि आपकी बेटी सुंदर होगी, तो आपको डिस्काउंट देंगे। जैसे ही बातचीत आगे बढ़ी अनामिका को पता चल गया कि उनके पिता को दहेज में कोई डिस्काउंट नहीं मिलेगा, क्योंकि लड़के वालों ने उनके दांतों और माथे पर बने मस्से के बारे में पूछा।

जब अनामिका ने लड़के से कही ये बात-

चाय के बाद अनामिका को अकेले में लड़के से बात करने का मौका मिला तो अनामिका ने उससे साफ कहा कि वह दहेज के चलते शादी नहीं करेगी। तब लड़के ने माना कि दहेज एक सामाजिक बुराई है। अनामिका को लगा कि अब तक वह जितने लड़कों से मिली हैं, उसमें यह अलग है, लेकिन जल्दी ही शुक्ला परिवार को पता चल गया कि अनामिका के साथ उन लोगों ने रिश्ता स्वीकार नहीं किया।

तब मेरी मां ने मुझे ही उलाहना दिया था-

अनामिका ने बताया कि जब लड़के वालों ने रिश्ता करने से मना कर दिया तो मेरी मां ने मुझे ही दहेज विरोधी स्टैंड के लिए उलाहना दिया। वह काफी गुस्से में थीं और दो सप्ताह से तक उन्होंने मुझसे बात तक नहीं की।

और हर बार बातचीत दहेज के चलते टूट गई-

अनामिका के मुताबिक उनके पिता ने छह सालों में कम से कम 100 से 150 संभावित योग्य वर तलाशे हैं और उनमें से दो दर्जन से ज्यादा परिवारों से मुलाकात की। अनामिका खुद इनमें से छह परिवारों से मिलीं और हर बार बातचीत दहेज के चलते टूट गई। गणित में पीजी और ऑनलाइन पढ़ाने वाली अनामिका बताती हैं कि शादी के लिए इतनी बार खारिज किए जाने से मेरा आत्मविश्वास खत्म हो चुका है। उन्होंने दहेज जैसी इस प्रथा पर काफी सोच विचार किया। उन्होंने बताया, तार्कित तौर पर जब भी मैं सोचती हूं तो मुझे लगता है कि मेरे में कुछ कमी नहीं है।

90 प्रतिशत शादियों में दहेज का लेन-देन होता है-

हाल ही में हुए एक स्टडी के मुताबिक भारत में दहेज गैर कानूनी होने के बाद भी 90 प्रतिशत शादियों में दहेज का लेन-देन होता है। अगर आप 1950 से 1999 के दौरान दहेज में दी गई संपत्ति का आकलन करें तो एक ट्रिलियन डॉलर की चैथाई रकम होगी।

कई बार लगता है मैं माता-पिता के लिए बोझ बन गई-

शादी में दहेज के लिए लड़कियों के माता-पिता भारी कर्ज लेते हैं या फिर इसके लिए जमीन या अपने घर तक बेचते हैं। यही वजह है कि कई बार लगता है कि मैं माता-पिता के लिए बोझ बन गई हूं। हालांकि दहेज की मांग पूरी करने के बाद भी कोई भरोसा नहीं दे सकता है कि बेटी का जीवन खुशहाल ही होगा। अनामिका ने हाल ही में भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायन चारी मिश्रा से मिलकर दहेज के खिलाफ लड़ाई में समर्थन मांगा।

पुलिस हर जगह नहीं रह सकती मौजूद-

सामाजिक कार्यकर्ताओं की मानें तो दहेज के कारण से ही भारत में लिंगानुपात की स्थिति बेहतर नहीं हो पा रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल करीब चार लाख बच्चियों की भु्रण हत्या कर दी जाती है। भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा को दी गई अपनी याचिका में अनामिका ने कहा है कि शादी के दौरान छापे और दहेज का लेन देन करने वालों की गिरफ्तारी ही इसके लिए एक मात्र विकल्प है। वह कहती हैं, सजा के डर से ही दहेज जैसे इस कुप्रथा पर रोक लगेगी।

...तो उनकी तत्काल मदद करें-

वहीं हरिनारायण चारी मिश्रा ने कहा, दहेज एक सामाजिक बुराई है। हम लोग इसे समाप्त करने के प्रति प्रतिबद्ध हैं। मैंने सभी पुलिस स्टेशन में इस बारे में निर्देश जारी किया है कि अगर कोई महिला मदद के लिए आती है, तो उनकी तत्काल मदद करें। हालांकि वे ये भी मानते हैं कि पुलिस प्रशासन की भी अपनी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा, पुलिस हर जगह मौजूद नहीं हो सकती। लोगों को मानसिकता में बदलाव लाना होगा, इसलिए इस पहलू को लेकर जागरूकता बढ़ाए जाने की काफी जरूरत है।

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता सीमा सिंह कहती हैं कि दहेज जैसे कुप्रथा के मामले में पुलिस सहायता कर सकती है लेकिन इसे मिटाना एक बिकट समस्या है। दहेज के रोकथाम को लेकर कानून है और हमें उस कानून को सख्ती से लागू करना होगा। दहेज जैसी प्रथा पर तभी रोक लगेगी जब युवा आगे आएंगे और दहेज लेने या देने से इनकार करेंगे।

बिना दहेज के तो 60 साल में भी लड़का नहीं मिलेगा-

अनामिका ये भी कहती हैं कि वह शादी करना चाहती हैं। उन्होंने बताया, जिंदगी लंबी है और मैं इसे अकेले नहीं बिताना चाहती। हालांकि ये निश्चित है कि मैं दहेज नहीं दूंगी। लेकिन जैसे जैसे समय बीत रहा है, उनके परिवार की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। वो बताती हैं, मेरा पैतृक घर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हैं, वहां तो शादी के लिए 25 साल की उम्र भी अधिक मानी जाती है। यही कारण है कि मेरे पिता मेरे लिए हरसंभव लड़का तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे पिता ने एक ऐसा व्हाट्सऐप ग्रुप भी ज्वाइन किया है जिसमें उनके जाति के 2000 से अधिक लोग सदस्य हैं और वहां वे अपने बच्चों की सीवी शादी के लिए शेयर करते रहते हैं। अनामिका ने बताया, ज्यादातर लोग धूमधाम से शादी करना चाहते हैं जिसमें 50 लाख या उससे अधिक खर्च करने होंगे। मेरे पिता की हैसियत इससे आधी रकम खर्च करने की है। अनामिका के मुताबिक दहेज के बिना शादी की बात ने उनके माता-पिता की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। मेरे पिता कहते हैं कि छह साल से ही लड़का तलाश रहा हूं। बिना दहेज के तो 60 साल में भी लड़का नहीं मिलेगा।

यह दर्द केवल अनामिका का ही नहीं है। हमारे देश में दहेज के कारण बहुत से रिश्ते बनने से पहले ही टूट जाते हैं। समाज को दहेज जैसी इस प्रथा के विरोध में खड़ा होना होगा, नहीं तो यह बहुत से घरों के लिए समस्या बनती चली जाएगी। कोई बाप घर बेच कर अपनी बेटी की शादी के लिए दहेज देगा तो कोई अपना खेत बेच कर दहेज देगा और अपनी बेटी की शादी करेगा। उसके बाद भी यह गारंटी नहीं है कि उसकी बेटी अपने ससुराल में खुशहाल ही होगी।

Tags:    

Similar News