गजब का कमाल: MP में नकली रेमडेसिविर लगवाने वाले 90% मरीज हुए ठीक, पुलिस भी हैरान

देश में बढ़ते कोरोना मारामारी के कारण ही विभिन्न राज्यों से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार की खबरें भी मिल रही हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Monika
Update:2021-05-16 11:23 IST

रेमडेसिविर इंजेक्शन (फोटो : सोशल मीडिया )

नई दिल्ली: देश में कोरोना संकट बढ़ने के बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन ( Remdesivir)के लिए मारामारी मची हुई है। इस मारामारी के कारण ही देश के विभिन्न राज्यों से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार की खबरें भी मिल रही हैं। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Fake Remdesivir Injection ) का धंधा करने वालों के खिलाफ प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई भी की जा रही है। ऐसे में मध्य प्रदेश से चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राज्य में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वाले 90 फ़ीसदी मरीज कोरोना वायरस और फेफड़ों में संक्रमण को मात देने में कामयाब हुए हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस को निर्देश दिया है कि नकली रेमडेसिविर का धंधा करने वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। दूसरी ओर पुलिस नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वाले 90 फ़ीसदी लोगों के स्वस्थ होने की खबर से हैरान है।

खबर सुनकर हर कोई हैरान

देश में कोरोना की इस आपदा में अवसर तलाश करने वाले लोग रेमडेसिविर की कालाबाजारी में जुटे हुए हैं। कहीं-कहीं तो यह इंजेक्शन पचास हजार तक बेचा जा रहा है। दूसरी ओर कुछ धंधेबाज नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का भी कारोबार करने में जुटे हुए हैं।

ऐसे धंधेबाजों के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार कड़ी कार्रवाई करने में जुटी हुई है, लेकिन नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने वालों के स्वस्थ होने की खबर सुनकर हर कोई हैरान है।

गुजरात के गिरोह ने बेचा था नकली इंजेक्शन

जानकार सूत्रों का कहना है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने में गुजरात के एक गिरोह को पकड़ा गया है। इस गिरोह में शामिल लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने इंदौर में करीब 700 और जबलपुर में 500 नकली इंजेक्शन बेचे थे। सरकार के कड़े रुख के कारण पुलिस भी इस मामले में तेजी से जांच करने में जुटी हुई है।

अब दुविधा में फंसी एमपी की पुलिस

मध्य प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि जिन मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया गया था उनमें से 90 फ़ीसदी मरीज ठीक हो गए हैं। इन मरीजों ने कोरोना वायरस और फेफड़े में संक्रमण को मात देने में कामयाबी हासिल की है। ऐसे में पुलिस हत्या का मुकदमा दर्ज करने को लेकर दुविधा की स्थिति में फंस गई है।

सरवाइवल रेट असली इंजेक्शन वालों से ज्यादा

पुलिस ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि जिन लोगों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाया गया था उनका सरवाइवल रेट असली रेमडेसिविर इंजेक्शन पाने वाले लोगों से कहीं ज्यादा है।

इस बाबत पुलिस अफसरों का कहना है कि हम मेडिकल एक्सपर्ट नहीं है। इस बाबत डॉक्टरों को ही स्पष्टीकरण देना चाहिए कि आखिरकार ऐसा हुआ कैसे। रेमडेसिविर के नकली इंजेक्शन में साधारण पानी, ग्लूकोज नमक मात्र ही था। इसके बावजूद मरीज कोरोना को हराने में कामयाब हुए।

सौ से ज्यादा मरीज जंग जीतने में कामयाब

पुलिस का यह भी कहना है कि इंदौर में जिन लोगों को नकली रेमडेसिविर लगाया गया था, उनमें से केवल 10 लोगों की मौत हुई है जबकि सौ से ज्यादा मरीज कोरोना से जंग जीतने में कामयाब रहे। मौत का शिकार होने वाले लोगों को जलाया जा चुका है। इसलिए अब यह कहना भी मुश्किल है कि उनकी मौत नकली इंजेक्शन की वजह से हुई या किसी और कारण।

जांच के बाद की जाएगी कार्रवाई

वैसे इंदौर के आईजी हरि नारायण मिश्रा का कहना है कि नकली इंजेक्शन का कारोबार करने वाले किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले की पूरी पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई करेगी।

दूसरी ओर जबलपुर में अभी तक मामले की जांच का काम पूरा नहीं हो सका है। पुलिस अभी तक ऐसे लोगों का पता ही नहीं लगा सकी है जिन्होंने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदा था। अस्पतालों में भी उनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है।

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