Bhopal Gas Tragedy: सबसे बड़े औद्योगिक हादसे से दहल गया था देश, भाग निकला था मुख्य आरोपी, नहीं भुगती कोई सजा
Bhopal Gas Tragedy: इस हादसे का दुष्प्रभाव आगे की पीढ़ियों ने भी भुगता मगर कई सवालों का जवाब इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं मिल सका।
Bhopal Gas Tragedy: पूरी दुनिया के लोग आज तक उस त्रासदी को नहीं भूल सके हैं जो 38 साल पहले आज ही के दिन भोपाल में हुई थी। 1984 में हुए देश के सबसे बड़े औद्योगिक हादसे में एक केमिकल फैक्ट्री से जहरीली गैस के रिसाव ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। इस हादसे का दुष्प्रभाव आगे की पीढ़ियों ने भी भुगता मगर कई सवालों का जवाब इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी नहीं मिल सका।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस कांड की याद करते हुए लोग आज भी सिहर उठते हैं। इस घटना का ऐसा खौफनाक मंजर था मानो पूरा भोपाल शहर गैस चेंबर में तब्दील हो गया हो। इस हादसे का सबसे दुखद पहलू यह था कि इसका सबसे बड़ा गुनहगार वॉरेन एंडरसन भारत से भाग निकला। 2014 में एंडरसन की अमेरिका में मौत भी हो गई। उसे अंत तक इतने बड़े हादसे के लिए कोई सजा नहीं भुगतनी पड़ी।
तड़प-तड़प कर हुई थी हजारों की मौत
1984 में हुए इस हादसे में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस ने पूरे भोपाल की हवा को जहरीला बना दिया था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि लोग सड़कों पर तड़प-तड़प कर मर रहे थे और कई लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। कई लोगों की घरों में सोने के दौरान ही जहरीली गैस ने जान ले ली। फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस से आसपास के घनी आबादी वाले इलाकों में फैल गई थी। गैस इतनी ज्यादा उधारी ली थी कि हजारों लोगों की तुरंत ही मौत हो गई। इस हादसे में 16,000 से अधिक लोगों की जान गई थी।
जो लोग मौत के मुंह में जाने से बच गए,उन्हें भी तमाम तरीके की समस्याओं से जूझना पड़ा। तमाम लोग अंधेपन, सांस की बीमारी और तमाम अन्य विकृतियों का शिकार हो गए। करीब छह लाख से अधिक लोगों की सेहत पर इस जहरीली गैस ने काफी बुरा असर डाला।
श्मशान भूमि बन गया था पूरा इलाका
जहरीली गैस के रिसाव से पेड़ और जानवर भी प्रभावित हुए थे। कुछ ही दिनों के भीतर आसपास के इलाकों के तमाम पेड़ बंजर हो गए। काफी संख्या में पशुओं की भी इस हादसे में मौत हुई थी। भोपाल गैस कांड का मंजर इतना खौफनाक था कि पूरा इलाका ही श्मशान भूमि जैसा नजर आ रहा था। सरकार ऐसी अप्रत्याशित आपदा से पूरी तरह अनजान थी और ऐसे क्राइसिस मैनेजमेंट का मौका कभी नहीं आया था।
इस मामले में फरवरी 1989 में आउट ऑफ कोर्ट समझौता हुआ था। यूनियन कार्बाइड ने भोपाल में हुए इस बड़े हादसे के लिए 470 मिलियन डॉलर का भुगतान करने पर सहमति जताई थी। इस हादसे के 26 साल बाद 2010 में यूनियन कार्बाइड के सात पूर्व कर्मचारियों को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई गई थी। हालांकि बाद में इन सभी भारतीय कर्मचारियों को भी जमानत पर रिहा कर दिया गया।
भारत से फरार हो गया एंडरसन
इस हादसे का सबसे दुखद पहलू यह था कि मुख्य आरोपी और यूसीसी का अध्यक्ष वॉरेन एंडरसन भारत से भाग निकला। एंडरसन की फरारी में स्थानीय प्रशासन और पुलिस का ही हाथ था। भोपाल की कोर्ट ने 1992 में एंडरसन को फरार घोषित किया था। 1992 और 2009 में दो बार एंडरसन के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए गए मगर एंडरसन की गिरफ्तारी कभी नहीं हो सकी।
29 सितंबर 2014 को फ्लोरिडा के एक नर्सिंग होम में एंडरसन की मौत हो गई। भोपाल गैस हादसे का वह कातिल कानून की गिरफ्त से बाहर रहा और उसे कोई सजा नहीं भुगतनी पड़ी।