MP: शिवराज सिंह चौहान ने HC के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र- 'पवित्र उद्देश्य से हुआ अपराध, छात्रों को माफ कर दें'

Shivraj Singh Chouhan News: शिवराज सिंह चौहान आगे कहते हैं, महोदय, 'चूंकि ये एक अलग तरह का मामला है। इसमें 'पवित्र उद्देश्य' के साथ अपराध किया गया है। छात्रों ने मानवीय आधार पर सहयोग तथा जान बचाने के अभिप्राय से यह अपराध किया।

Report :  aman
Update:2023-12-15 20:02 IST

Shivraj Singh Chouhan (Social Media)

Shivraj Singh Chouhan News: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने ग्वालियर में कुलपति की जान बचाने के लिए जज की कार छीनकर इलाज कराने मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। शिवराज सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि, 'युवकों की मंशा किसी तरह का द्वेष या आपराधिक कार्य करने का नहीं था। एमपी के पूर्व सीएम ने हाईकोर्ट से स्वत: संज्ञान लेने की बात कही है। साथ ही, उन्होंने छात्रों के भविष्य को देखते हुए दर्ज मामले को वापस लेकर छात्रों को माफ़ी देने का भी अऩुरोध किया है।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा, कि समाचार पत्रों के माध्यम से एक मामला मेरे संज्ञान में आया है, जिस पर मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।

ये है पूरा मामला

शिवराज सिंह लिखते हैं, 'निजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर रणजीत सिंह (VC Professor Ranjit Singh) का दिल्ली से झांसी जाते समय ट्रेन में अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया। उनके साथ यात्रा कर रहे कुछ छात्रों ने उन्हें इलाज के लिए ग्वालियर स्टेशन (Gwalior Station) पर उतारा। रेलवे स्टेशन के बाहर छात्रों ने न्यायाधीश की कार का उपयोग चाबी छीनकर किया। जिससे कुलपति को अस्पताल पहुंच कर उन्हें शीघ्र चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। हालांकि, अस्पताल में कुलपति जी को नहीं बचाया जा सका। इस पूरे मामले में पुलिस द्वारा चोरियों में डकैती की धाराओं के अंतर्गत दो छात्रों पर प्रकरण दर्ज कर लिए गए।'

'पवित्र उद्देश्य' से हुआ अपराध

शिवराज सिंह चौहान आगे कहते हैं, महोदय, 'चूंकि ये एक अलग तरह का मामला है। इसमें 'पवित्र उद्देश्य' के साथ अपराध किया गया है। इस मामले में दोनों छात्र हिमांशु और सुकृत ने मानवीय आधार पर सहयोग तथा जान बचाने के अभिप्राय से यह अपराध किया है। यहां छात्रों का भाव किसी तरह का द्वेष या आपराधिक कार्य करने का नहीं था। चूंकि, यह एक अपराध है लेकिन क्षमा योग्य भी है। अतः मेरा निवेदन है कि माननीय उच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान लेकर दोनों छात्रों के भविष्य के मद्देनजर दर्ज प्रकरण को वापस लेकर छात्रों को क्षमा करने की कृपा करें।'


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