MP News: नवरात्रि में रानी तालाब कालिका मंदिर में लगने लगा भक्तों का सैलाब, जानें मां के चमत्कार व मान्यता

Rani Talab Kalika Mandir: 26 सितम्बर से शुरू हो हुए नवरात्रि के चलते सुबह से देर शाम तक भक्तों के पहुचने का सिलसिला जारी है और भक्त 9 दिनों तक मां की विशेष पूजा-अर्चना करते है।

Newstrack :  Network
Update:2022-09-26 20:00 IST

रानी तालाब मंदिर। (Social Media)

Madhya Pradesh: रीवा शहर के रानी तालाब (Rani Pond) में गत वर्षों की तरह इस वर्ष भी नवरात्रि के अवसर पर आस्था, विश्वास, आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ता है। 26 सितम्बर से शुरू हो हुए नवरात्रि के चलते सुबह से देर शाम तक भक्तों के पहुचने का सिलसिला जारी है और भक्त 9 दिनों तक मां की विशेष पूजा-अर्चना करते है।

आज हम आपको मां कालिका के चमत्कारों और रानी तालाब (Rani Pond) वाली मां के महत्व के बारे में बता रहे है । रानी तालाब स्थित मां कालिका देवी के मंदिर (Mother Kalika Devi Temple) में एक फिर बार नवरात्रि के अवसर पर आस्था, विश्वास, आराधना और भक्ति का सैलाब उमड़ा है। इस 450 वर्ष पुराने माता कलिका देवी मंदिर (Mother Kalika Devi Temple) में नौ दिनों तक सिद्धि के लिए आराधना होगी।

ये है मान्यता

मान्यता है कि ज्योतिष गणना पर आधारित इस सिद्धिपीठ में नवरात्र की आराधना से लोगों को सिद्धि प्राप्त होती है। रानी तालाब (Rani Pond) के मेढ़ पर स्थित मां कालिका के मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। मंदिर में गुलाबी पत्थरों और गोल्डन एवं चांदी रंग के प्लेट पर की गई नक्कासी जहां उसकी सुन्दरता और भव्यता अपनी ओर खीचती है तो वही रानी तालाब का हवा के बीच लहराता पानी पहुचने वाले भक्तों को काफी सुकून देता है।

मां कालिका की स्थापना

मां कालिका की स्थापना को लेकर बताया जाता है कि तकरीबन 450 वर्ष पूर्व यहां से गुजर रहे व्यापारियों के पास यह देवी मूर्ति थी। घने जंगल और रात्रि विश्राम के समय व्यापारियों ने मां की प्रतिमा को एक इमली के पेड़ पर टीकाकर रात्रि विश्राम किया। दूसरे दिन इसे उठाना चाहा तो मूर्ति नहीं उठी। कई कोशिशो के बाद मूर्ति नहीं उठी तो व्यापारियों ने इस मूर्ति को यही छोड़ आगे बढ़ गए तब से यह मूर्ति यही हैं। बताते है कि बघेल साम्राज्य के शासन काल में रीवा रियासत के राजा व्याघ्रदेव सिंह की जानकारी में यह बात सामने आई तो उन्होंने इस स्थान पर एक चबूतरा बनवाकर इस भव्य मूर्ति की स्थापना की और नियमित रूप से यहां पूजा पाठ की शुरूआत हुई, जो सैकड़ो वर्षों से यहां आस्था और भक्ति जारी है।

माता कालिका का नवरात्रि में दो दिनों तक आभूषणों से किया श्रृंगार

माता कालिका का नवरात्रि में दो दिनों तक आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है। एक घटना यह भी बताई जाती है कि लगभग 70 से 80 वर्ष पूर्व मंदिर में मां के पहने आभूषण को चोर ले जाने का प्रयास किए थें, जैसे ही मंदिर के बाहर जाने लगे उनकी आंखों में पर्दा आ गया और उन्हें कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, जिसके चलते वे मंदिर से बाहर नहीं जा सकें, सुबह पुजारी के आने पर आभूषणों से वापस श्रृंगार किया गया और चोरो ने माफी मांगी, जिसके बाद ही वे मंदिर से बाहर जा सकें। नवरात्रि और नवदुर्गा पूजा के समय सुरक्षा गार्डों की देख-रेख में माँ की स्वर्ण आभूषणों से साज-सज्जा होती है।

बताते है कि तालाब की खुदाई का काम लवाने समुदाए के लोगों ने किया था, जिससे लोगों को पानी की समस्या न हो और वे इस तालाब के पानी का उपयोग कर सकें। उक्त तालाब निर्माण की भव्यता को देखकर रीवा की महारानी कुंदन कुंवरि जो जोधपुर घराने से थी, रीवा राज्य में ब्याही थी। लवाने समुदाय के लोगो को इसके बदले में राखी बांधी थी। यही वजह है कि इस तालाब का नाम रानी तालाब रखा गया था।

रानी तालाब के बीच में है भव्य शिवजी का मंदिर

रानी तालाब के बीच में भव्य शिवजी का मंदिर है। कहा जाता है जहां देवी की जाग्रत देवी मूर्ति होगी वहां जलाशय और वट वृक्ष नीम और पीपल के वृक्ष जरूर होंगे। वहीं ज्योतिष गणना के अनुसार यहां उत्तर में हनुमान जी और शंकर जी, उत्तर पूर्व के कोने में शिवलिंग, दक्षिण में गणेश जी, पूर्व में काल भैरव हैं। इसलिए इस स्थान को सिद्धिपीठ का दर्जा मिला है।

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