MP News: जैविक खाद को लेकर सरकार के दावे हवा हवाई, किसानों तक नहीं पहुंची योजनाएं
MP News: जीवामृत मिट्टी में प्राकृतिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो पौधों के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।
MP News: जैविक खेती को लेकर सरकार के दावे फेल हो गए। किसानों तक योजनाएं नही पहुँच रहीं हैं। जीवामृत मिट्टी में प्राकृतिक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो पौधों के संपूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। यह मिट्टी के पीएच मान को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खेती में असंतुलित रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के भारी मात्रा में उपयोग करने के कारण भूमि की उर्वरा शक्ति और स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर पड़ रहा है, जो कि पौधों के विकास और और खाद्यान्नों की उपज पर सीधा प्रभाव डालता है।
इसे सुधारने के लिए और भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए सरकार जैविक खेती की ओर ध्यान देने को कह रही है। जिससे भूमि के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया जा सके और बढ़ती जनसंख्या को भूख और सही पोषक तत्वों से भरपूर खाद्यान्नों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इसको देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने मध्यप्रदेश के सभी कृषि विज्ञान केंद्र पर किसानों को जागरूक करने के लिए जैविक खेती के कई घटकों को शुरू किया है। मगर कृषि विभाग के आला अधिकारी दफ्तर तक ही सीमित रह जाते है और किसानों तक सही जानकारी नही पहुचती।
जैविक खेती के लिए कैसे तैयार करते है खाद
जीवामृत दो शब्दों के मेल से बना हुआ है, जिसका मतलब जीवन और अमृत दोनों का मेल होता है। यह मिट्टी के लिए अमृत के समान माना गया है या देशी गाय के गोबर से गोमूत्र गुड बेसन और उपजाऊ मिट्टी को आपस में मिलाने के बाद तैयार किया जाता है। जो न केवल फसल के लिए बल्कि मिट्टी के लिए अमृत के समान माना गया है। जीवामृत एक बहुत ही प्रभावशाली जय उर्वरक पौधों की वृद्धि में सहायक विभिन्न प्रकार के हार्मोस को बढ़ाने वाला और पूरे जीवन काल में पौधों को विकास और पैदावार बढ़ाने में मदद करने के लिए उपयोगी भूमिका निभाता है।
यह मिट्टी में लाभदायक सूक्ष्म जीवों की संख्या को कई गुना बढ़ाता है और एक अनुकूल वातावरण का निर्माण करता है जिससे पौधों को विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित हो पाती है साथ ही साथ ऐसा भी देखा गया है कि मिट्टी में केचुआ की संख्या बढ़ती है। तरल जीवामृत बनाने के लिए देसी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है और एक छायादार स्थान का चयन किया जाता है। जहां पर सीधे जो है सूर्य का प्रकाश ना पहुंचे लेकिन समान मात्रा में ठंडा और गर्म वातावरण रहे।
किसान भाई जी अमृत आसानी से बना सकें इसके लिए मोटी प्लास्टिक की टंकी या एक परमानेंट टंकी का इस्तेमाल किया जाता है जो ऊपर से ढक्कन से बंद हो जिसे समय समय पर खोलकर ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके और जीवामृत को आसानी से तैयार किया जा सके। प्राकृतिक खेती के लिए गाय पालने वाले किसानों को 900 रुपये प्रति माह देने की सरकार की घोषणा कागजो तक ही जमीनी हकीकत कुछ और मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश के अंदर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं की हैं। जिसके तहत प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती के लिए गाय पालने वाले किसानों को 900 रुपये प्रतिमहीने देने की घोषणा की है।
असल में प्राकृतिक खेती के लिए सबसे जरूरी गोबर और गौमूत्र होता है। यह दोनों ही प्राकृतिक खेती में खाद का काम करते हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार प्रदेश के अंदर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए गौ पालन को प्रोत्साहित कर रही है। मगर रीवा जिले अधिकारी और कर्मचारियों की तानाशाही के चलते किसानों को कई योजनाओ का लाभ नही मिल पाता है तो आखिर कहा जा रही सरकार की योजनाएं कौन ले रहा इन योजनाओं का लाभ।
रीवा के किसानों को कितना मिल रहा लाभ
रीवा के किसानों को मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा लागू की गई योजनाओं का लाभ तो मिलना दूर की बात है उन्हें योजनाओं के बारे में पता ही नहीं है। सरकार की योजनाएं हवा हवाई ही साबित हो रही हैं क्योंकि जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारी किसानों तक नहीं पहुंच पाती है, जिससे किसान अपना खेती करने में ही व्यस्त रहता है। योजनाओं एवं संसाधनों की जानकारी ही किसानों को नहीं है। कई किसानों ने बताया कि न हीं हमें गाय पालने के लिए पैसे सरकार दे रही हैं। और ना ही जैविक खेती के बारे में कोई जानकारी मिल पाई है।
जैविक खेती को लेकर पूर्व मंत्री का क्या कहना
पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक रीवा राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि जैविक खेती तो हमने तो अभी समीक्षा नहीं की है। जैविक खेती के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र के दौरान प्रदर्शनी के माध्यम से किसानों को समझाया गया है। जगह-जगह पर कैम्प लगाए जा चुके हैं। किसान जागरूक भी हो चुके हैं। रीवा कई गौशाला जैसे लक्ष्मण बाग में बायोगैस लगाया गया है, जिससे 15 दिन में ही जैविक खाद तैयार हो जाती है।
जिसकी बिक्री भी की जाती है जिससे किसानों को लाभ भी मिल रहा है। जैविक खाद से अच्छी पैदावार होती है। स्वास्थ्य के लिए भी किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है इसलिए सभी किसान इन योजनाओं को समझें और जैविक खाद का प्रयोग करें। सरकार के द्वारा जो योजनाएं किसानों के लिए दी गई हैं। निचले स्तर के कर्मचारियों के द्वारा जानकारी किसानों तक पहुंचाई जा रही है।